‘मौत की पुलिया’…लाल झंडा खतरे का निशान, इतनी अहम सड़क और हाल बेहाल

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Balaghat News: एक दिन इस सड़क पर सुबह से दोपहर 12 बजे के बीच पांच सड़क हादसे हुए. गनीमत रही कि सभी को मामूली चोटें आईं. बारिश के बाद हादसों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अब याद रखना भी मुश्किल हो गया है. इसमें एक एक्सीडेंट ऐसा भी है, जिसमें एक महिला की रीढ़ की हड्डी टूट गई और वह आजीवन अपाहिज हो गई.

बालाघाट. भारत में सड़क का खराब होना आम बात है लेकिन सड़क नेशनल हाईवे को जोड़ने वाली हो और उसमें गड्ढों की संख्या गिनने में समस्या आए, तो नजर तो पड़ेगी. शिकायत भी इतने बार हुई की लोगों ने अब ध्यान देना भी बंद कर दिया है लेकिन हादसे इतने होने लगे कि लोगों को सावधान करने के लिए सड़क पर लाल झंडे ही लगा दिए. यह हाल देश के सबसे लंबे नेशनल हाईवे 44 को जोड़ने वाली सड़क का है. मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के तिरोड़ी से लेकर पिपरवानी और खवासा नेशनल हाईवे को जोड़ने वाली सड़क का हाल बेहाल है. वहीं सबसे ज्यादा समस्या सीता पठोर नाम के गांव में बने राजीव सागर बांध की नहर पर बने पुल पर है. ऐसे में वहां से गुजरना काफी मुश्किल हो जाता है. लोगों ने उसे ‘मौत की पुलिया’ नाम दिया है. समस्या इतनी गंभीर है कि ऐसा कोई दिन नहीं होता, जब किसी हादसे की खबर न आती हो.

एहतियात के तौर पर ग्रामीणों ने ही पुल को दोनों ओर लाल झंडे लगा दिए हैं और लोगों से अपील की है कि वे धीमी गति के साथ ध्यान से वाहन चलाएं, अन्यथा आपके साथ भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

किसी को मामूली चोट, तो कोई आजीवन अपाहिज
ग्रामीणों ने बताया कि बीते एक माह में करीब दर्जन भर से भी ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसका कारण पुलिया के गड्ढों के को बताया जाता है. एक दिन सुबह से लेकर दोपहर 12 बजे के बीच पांच सड़क हादसे हुए. गनीमत रही कि सभी को मामूली चोट आई लेकिन बारिश के बाद से हादसों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि याद रखना भी मुश्किल हो गया है. इसमें एक मामला ऐसा भी है, जिसमें एक महिला की रीढ़ की हड्डी टूट गई और वह आजीवन अपाहिज हो गई.

हालत खराब लेकिन किसी का ध्यान नहीं
पुलिया की हालत के खराब होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सरिया बाहर दिखाई देने लगी है. ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराते हुए मरम्मत कराने की मांग की लेकिन अब तक पुलिया की हालत पर किसी का ध्यान नहीं गया है. यह रास्ता काफी अहम है. बालाघाट जिले के कई यात्री सिवनी, जबलपुर और नागपुर जाने के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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