हरदा की कृषि उपज मंडी में शनिवार को भावांतर योजना को लेकर बैठक हुई। बैठक में भाजपा, कांग्रेस और किसान संगठनों के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान कांग्रेस ने बैठक का बहिष्कार किया और योजना को किसानों के लिए नुकसानदायक बताया। वहीं भाजपा ने इसे कि
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अन्य राज्यों में समर्थन मूल्य पर हो रही खरीदी कांग्रेस विधायक डॉ. आरके दोगने और जिलाध्यक्ष मोहन विश्नोई ने सरकार से 19 सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि जब अन्य राज्यों में समर्थन मूल्य पर खरीदी हो रही है, तो मध्यप्रदेश में क्यों नहीं? कांग्रेस ने 2017 की भावांतर योजना का बकाया भुगतान न होने का मुद्दा उठाया। साथ ही कहा कि 2014 से 2025 तक डीएपी, यूरिया और दवाओं की कीमतें दोगुनी हो गईं, लेकिन फसलों के दाम नहीं बढ़े। कांग्रेस ने बारिश से खराब हुई सोयाबीन की फसल का सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा देने की भी मांग की।
किसान नेता रामजीवन वाष्ट ने भी योजना का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जब पहले से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मौजूद है, तो भावांतर योजना की क्या जरूरत है? उन्होंने इसे किसानों के लिए घाटे का सौदा बताया और सवाल उठाया कि यह योजना किसानों के लिए है या फिर उद्योगों और व्यापारियों के हित में।
बीजेपी ने योजना को बताया किसानों के लिए फायदेमंद भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश सिंह वर्मा ने कहा कि भावांतर योजना किसानों के लिए फायदेमंद है। मॉडल रेट और समर्थन मूल्य का अंतर सरकार किसानों को देगी। एसडीएम अशोक डेहरिया ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों को उचित दाम दिलाने के लिए यह योजना लागू की है।
इसके तहत सोयाबीन का पंजीयन 3 से 17 अक्टूबर तक ई-उपार्जन पोर्टल पर होगा। वहीं, फसल विक्रय की भावांतर अवधि 24 अक्टूबर 2025 से 15 जनवरी 2026 तय की गई है। कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवाल वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाए जाएंगे।