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देवभूमि उत्तराखंड की कृषि संपदा बेहद समृद्ध है. यहां उगने वाली फसलें स्वाद में लाजवाब होने के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं. उत्तराखंड में मिलने वाली मोट की दाल प्रोटीन से भरपूर होती है. तस्वीरों के माध्यम से जानें इस दाल के फायदे….
उत्तराखंड की उपजाऊ धरती में उगने वाली मोट की दाल यहां के खानपान और संस्कृति का अहम हिस्सा है. गर्म इलाकों में पाई जाने वाली यह दाल लगभग 1.5 मिलियन हेक्टेयर में उगाई जाती है. भारत के अलावा ईरान, सोमालिया और सूडान में भी इसकी खेती होती है. इसे गर्मियों में बोया जाता है और बारिश के शुरुआती दिनों में काटा जाता है. इसका स्वाद हल्का कसैला होने के बावजूद बेहद लजीज़ है, और यही कसैलापन इसे औषधीय गुणों से भर देता है.

मोट की दाल को ‘प्रोटीन पॉवरहाउस’ कहा जा सकता है. इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन मौजूद होते हैं. यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ मांसपेशियों को मजबूत बनाती है. खासकर पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह दाल ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने में मदद करती है. इसकी तासीर गर्म है, जो सर्दियों में इसे और भी लोकप्रिय बनाती है.

उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी के अनुसार, मोट की दाल का सेवन पाचन क्रिया सुधारने, कब्ज दूर करने और गैस की समस्या में बेहद लाभकारी है. इसमें मौजूद पोषक तत्व रक्त शुद्ध करने, शरीर से विषैले तत्व निकालने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं. यह दाल पेट के कीड़ों को खत्म करने, रक्त पित्त रोग और क्षय रोग में भी फायदेमंद मानी जाती है.

मोट की दाल की खेती में ज्यादा मेहनत या सिंचाई की जरूरत नहीं होती. यह गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह पनपती है. किसान अक्सर इसे बाजरे के साथ बोते हैं, जिससे जमीन की उर्वरता बनी रहती है. हालांकि, अधिक बारिश से यह खराब हो सकती है, इसलिए कटाई समय पर करनी जरूरी है. इसकी खेती किसानों को आर्थिक मजबूती देने के साथ-साथ पोषण सुरक्षा भी देती है.

उत्तराखंड में मोट की दाल को कई पारंपरिक व्यंजनों में शामिल किया जाता है. इसे दाल के रूप में पकाने के अलावा पराठा, पकोड़ी और सूप बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसका देसी घी और मसालों के साथ बना गरमागरम तड़का ठंडी रातों में एक खास अनुभव देता है. इसका स्वाद साधारण दालों से अलग और गहरा होता है, जो इसे खास बनाता है.

यह दाल सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक औषधि भी है. इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करता है, पोटैशियम हृदय के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का स्रोत है. जिन लोगों को थकान, कमजोरी या पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं, उनके लिए मोट की दाल का नियमित सेवन बेहद फायदेमंद है. यह शरीर को भीतर से गर्म रखकर ठंड से बचाने में भी मदद करती है.

बढ़ती जागरूकता और हेल्दी ईटिंग ट्रेंड के चलते मोट की दाल अब शहरों के सुपरफूड मार्केट में भी जगह बना रही है. पौष्टिकता, स्वाद और औषधीय गुणों के कारण इसे आधुनिक डाइट प्लान में शामिल किया जा रहा है. अगर इसके उत्पादन और मार्केटिंग पर ध्यान दिया जाए, तो यह न सिर्फ किसानों के लिए आय का स्रोत बनेगी, बल्कि उत्तराखंड की पहचान भी और मजबूत करेगी.