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Foul Smell in Mouth : कहा जाता है कि एक फिल्म की शूटिंग के दौरान जब अंतरंग सीन का सूट किया जा रहा था तब मनीषा कोइराला के मुंह की दुर्गंध से बॉबी देओल परेशान हो गए थे. ऐसे कई वाकये हैं जब हीरो-हीरोइनों को अंतरंग सीन के दौरान मुंह की बदबू परेशान करती है. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि किस विटामिन की कमी से ऐसा होता है. आइए इसके बारे में जानते हैं.
बॉलीवुड अभिनेता बॉबी देओल ने एक बार इंटरव्यू में बताया था कि 1997 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘गुप्त’ की शूटिंग के दौरान वह नायिका के मुंह की दुर्गंध से परेशान हो गए थे! बॉबी के अनुसार, फिल्म के सुपरहिट गाने ‘बेचैनिया’ में बॉबी और मनीषा के कई रोमांटिक दृश्य थे. एक सीन में मनीषा को बॉबी के चेहरे के पास आकर ठुड्डी काटने का शॉट देना था और तभी बॉबी देओल मुश्किल में पड़ गए. मनीषा के मुंह की दुर्गंध से उनका मन खराब हो गया! तो अब आप समझ ही गए होंगे कि मुंह की दुर्गंध बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ को भी नहीं छोड़ती! इसके कई कारण हो सकते हैं! अब सवाल यह है कि इस दुर्गंध से कैसे छुटकारा पाया जाए? शोध में पाया गया है कि शरीर में एक खास विटामिन की कमी से मुंह में दुर्गंध होती है.

मुंह से दुर्गंध आना या बदबूदार सांस का चिकित्सीय नाम है हैलिटोसिस. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. दांतों की सही देखभाल न करना, कुछ खास प्रकार के खाद्य पदार्थ, मुंह का सूखापन या शरीर की कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या. कभी-कभी सांस में बदबू आना सामान्य है, लेकिन अगर यह लंबे समय तक बनी रहती है तो यह मुंह की समस्या या किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है.

नसों की कोशिकाओं और रक्त कोशिकाओं का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए विटामिन B12 बेहद ज़रूरी है. यह विटामिन डीएनए बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है. हमारा शरीर खुद से विटामिन B12 नहीं बना सकता, इसलिए इसे भोजन और पेय पदार्थों के ज़रिए लेना पड़ता है. मांस, डेयरी उत्पाद और अंडों में यह विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. कुछ अनाज, ब्रेड और यीस्ट में भी इसकी मौजूदगी होती है.

शाकाहारी आहार में इस विटामिन की मात्रा कुछ कम होती है, जबकि मांसाहारी भोजन में अपेक्षाकृत अधिक विटामिन B12 पाया जाता है. अंडा, मशरूम, विभिन्न प्रकार का मांस और लीवर, समुद्री मछली जैसे खाद्य पदार्थ इसके समृद्ध स्रोत हैं. इसके अलावा दूध, दही और पनीर में भी यह विटामिन अच्छी मात्रा में मिलता है.

लाल रक्त कोशिकाओं और स्नायु कोशिकाओं का स्वास्थ्य बनाए रखने, डीएनए और आनुवंशिक तत्व बनाने तथा हड्डियों को मजबूत रखने में विटामिन B12 बेहद महत्वपूर्ण है. यह विटामिन बाल, नाखून और त्वचा को भी स्वस्थ रखता है. इसकी कमी से मानसिक अवसाद हो सकता है, याददाश्त कम हो सकती है और हाथ-पैर सुन्न हो सकते हैं.

स्वस्थ रहने के लिए शरीर में सही मात्रा में विटामिन B12 का होना आवश्यक है. यह विटामिन नसों के स्वास्थ्य को बनाए रखता है, आरबीसी और डीएनए के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर करता है. विटामिन B12 का Reference Daily Intake (RDI) 2.4 माइक्रोग्राम है.

<br />शोध में पाया गया है कि विटामिन B12 का मस्तिष्क की कार्यक्षमता से गहरा संबंध है. इसकी कमी मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है. सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो सकती है.

विटामिन बी 12 की कमी होने पर विटामिन बी 12 से परिपूर्ण आहार लेना चाहिए. इसके लिए हरी पत्तीदार सब्जियां, मछली, ओएस्टर, पॉल्ट्री फूड, डेयरी फूड, सोयामिल्क, नट्स, बादाम, चीज, मीट, अंडा आदि का सेवन करना चाहिए.

विभिन्न शोधों से साबित हुआ है कि मस्तिष्क की नसों से जुड़ी बीमारियां जैसे डिमेंशिया, अल्ज़ाइमर्स, पार्किंसन्स का संबंध विटामिन B12 की कमी से है. इसकी कमी से मस्तिष्क की नसें सिकुड़ सकती हैं, जिससे स्मरणशक्ति घट सकती है और बार-बार भूलने की समस्या हो सकती है.

ब्रिटिश नेशनल हेल्थ सर्विसेज़ (NHS) के शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन B12 की कमी सबसे पहले शरीर के चार हिस्सों में दिखाई देती है. हाथ, हथेलियां, पैर और पैरों के तलवे. विशेषज्ञों के अनुसार, जिन लोगों में यह कमी होती है, उन्हें इन चारों हिस्सों में एक अजीब-सी सनसनाहट होती है. चिकित्सकीय भाषा में इसे पैरास्थेसिया Parasthesia या पिन एंड नीडल कहा जाता है. यानी इन हिस्सों में झुनझुनी या सुई चुभने जैसा अहसास होता है.

हालाकि कई बार नसों की अन्य समस्याओं, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, हाइपरथायरॉयडिज़्म, एनीमिया, हाइपरवेंटिलेशन, डायबिटीज़ के कारण भी पैरास्थेसिया हो सकता है. इसकी कमी का जोखिम खासकर बुजुर्गों, बच्चों, वेगन्स, डायबिटिक रोगियों और शाकाहारियों में अधिक होता है, क्योंकि यह ‘प्लांट बेस्ड विटामिन’ नहीं है.

विटामिन B12 की कमी से पेट की समस्या हो सकती है. पेट में संक्रमण और सूजन जैसी दिक़्क़तें दिखाई देती हैं. विटामिन B12 की कमी का एक और बड़ा लक्षण है मुंह में छाले होना.