हमीदिया अस्पताल में आयुष्मान योजना से जुड़ी समस्याओं का बड़ा समाधान हुआ है। नई व्यवस्था लागू होने से दो साल से अटके 6.6 करोड़ रुपए के बिल पास हो गए हैं। साथ ही अब मरीजों के आयुष्मान कार्ड 24 घंटे में तैयार होंगे और डॉक्टरों को तय इंसेंटिव भी मिलेगा।
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यह बदलाव पुराने खराब ट्रैक रिकॉर्ड को सुधराने के लिए किया गया है। दरअसल, मध्यप्रदेश की राजधानी में स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) आयुष्मान योजना के तहत इलाज मुहैया कराने में पिछड़ा हुआ था। जीएमसी के हमीदिया अस्पताल में 1 जुलाई तक की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मरीज जो आयुष्मान कार्ड के लिए पात्र थे लेकिन उनके पास कार्ड नहीं था, उनका कन्वर्जन रेट सिर्फ 35 प्रतिशत था।
यानी 100 मरीजों में से केवल 35 का कार्ड ही अस्पताल प्रबंधन बना पा रहा था। यही नहीं, आयुष्मान पोर्टल पर गलत या अधूरी जानकारी भरने के कारण पिछले दो साल में 6.62 करोड़ रुपए के बिल भी अटके थे। इस स्थिति को देखते हुए, आयुष्मान योजना की जिम्मेदारी हमीदिया अस्पताल प्रबंधन से लेकर जीएमसी प्रबंधन ने अपने पास ले ली है।
5 साल से डॉक्टरों को नहीं मिला इंसेंटिव हमीदिया अस्पताल में पिछले 5 साल से आयुष्मान योजना का संचालन चुनौतीपूर्ण था। कम कन्वर्जन रेट, इलाज के बाद पोर्टल पर गलत जानकारी डालने से बिल अटकना और वेंडर का बकाया बढ़ने पर जरूरी सामान की सप्लाई रुक जाना बड़ी समस्या थी। पहले आयुष्मान योजना से मिलने वाली राशि से वेंडरों का भुगतान किया जाता था, जिससे डॉक्टरों को इंसेंटिव नहीं मिल पा रहा था।
अब मिलेगा डॉक्टरों को इंसेंटिव जीएमसी डीन डॉ. कविता एन सिंह ने बताया कि अब डॉक्टरों को आयुष्मान मरीज का इलाज करने पर तय इंसेंटिव मिलेगा। हमने वेंडरों के पुराने बिल चुका दिए हैं। अब आने वाली राशि से डॉक्टरों को इंसेंटिव और मरीजों की सुविधाओं पर खर्च होगा।
24 घंटे नो पेंडेंसी रूल लागू जीएमसी में 24 घंटे नो पेंडेंसी रूल लागू किया गया है। इसके तहत 15 नए आयुष्मान मित्र अपॉइन्ट किए गए हैं। हर क्लीनिकल विभाग में एक आयुष्मान कोऑर्डिनेटर भी बनाया गया है। ये विभागाध्यक्ष के साथ मिलकर सभी कार्य 24 घंटे में पूरे करेंगे। पेंडिंग कार्य की जानकारी रजिस्टर में दर्ज होगी और नोडल ऑफिसर द्वारा मॉनिटरिंग की जाएगी।
इधर, 15 अगस्त से आयुष्मान मित्र एप्रन पहनेंगे, जिस पर आयुष्मान मित्र का लोगो होगा ताकि मरीज और परिजन उन्हें आसानी से पहचान सकें। इसके अलावा कार्ड बनाने के लिए 13 नई बायोमैट्रिक मशीनें भी खरीदी गई हैं।
स्टोर मैनेजमेंट होगा मजबूत पास हुई राशि से स्टोर में जरूरी दवाएं और कंज्यूमेबल्स पहले से उपलब्ध रखे जाएंगे, ताकि मरीजों को समय पर इलाज मिल सके। अभी कई बार सर्जरी सिर्फ इसलिए टल जाती है क्योंकि जरूरी सामान उपलब्ध नहीं होता।
नी और हिप रिप्लेसमेंट की दिक्कत जारी आयुष्मान योजना के तहत हमीदिया अस्पताल में नी और हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी लगभग नहीं हो पा रही है। कारण यह है कि योजना के बजट में इंप्लांट खरीदना संभव नहीं। यह समस्या एम्स समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में भी है, जिसके चलते मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।