साइबर लिटरेसी- अर्चना पूरन सिंह फेक टिकटिंग स्कैम का शिकार: टिकट बुकिंग करते समय सावधान, फ्रॉड से बचें, 8 बातें ध्यान रखें

41 मिनट पहलेलेखक: संदीप सिंह

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टीवी पर हमेशा हंसते-खिलखिलाते नजर आने वाली अर्चना पूरन सिंह की इस बार की छुट्टियां एक साइबर फ्रॉड की वजह से कड़वी याद बन गईं। दुबई में फैमिली ट्रिप के दौरान उन्होंने ऑनलाइन इंडोर स्काइडाइविंग के टिकट बुक किए थे। लेकिन जब पूरे उत्साह के साथ परिवार के साथ वहां पहुंचीं तो चौंकाने वाला सच सामने आया कि बुकिंग कभी हुई ही नहीं थी। बाद में जांच में पता चला कि जिस वेबसाइट से टिकट बुक किए गए थे, वह फर्जी थी।

ये मामला सिर्फ एक सेलिब्रिटी तक सीमित नहीं है। हर दिन हजारों लोग छुट्टियों की प्लानिंग से लेकर शॉपिंग, टिकट और होटल बुकिंग तक इसी तरह की फर्जी वेबसाइट्स और ऑनलाइन स्कैम का शिकार हो रहे हैं। डिजिटल दुनिया में हर क्लिक से पहले सतर्क रहना अब जरूरत बन गया है, वरना एक ट्रिप की खुशी भी ठगी का गम बन सकती है।

तो चलिए, साइबर लिटरेसी कॉलम में आज जानेंगे कि ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही जानेंगे कि-

  • फर्जी वेबसाइट या एप की कैसे पहचान करें?
  • असली और फेक प्लेटफॉर्म में फर्क कैसे करें?

एक्सपर्ट: राजेश दंडोतिया, एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच, इंदौर

सवाल- ट्रैवल बुकिंग स्कैम में स्कैमर्स लोगों को कैसे फंसाते हैं?

जवाब- ऑनलाइन ट्रैवल स्कैम आजकल बेहद शातिर तरीके से किए जा रहे हैं। स्कैमर इसके लिए फर्जी वेबसाइट, सोशल मीडिया विज्ञापन या गूगल सर्च में दिखने वाले नकली बुकिंग प्लेटफॉर्म का सहारा लेते हैं। ये वेबसाइट्स देखने में बिल्कुल असली ट्रैवल साइट्स जैसी लगती हैं। इन पर आपको आकर्षक ऑफर जैसे ‘70% डिस्काउंट सिर्फ आज के लिए’, ‘लास्ट मिनट डील या ‘कन्फर्म बुकिंग विदाउट OTP’ जैसे झूठे वादे दिखते हैं। भरोसा दिलाने के लिए नकली रिव्यू और फेक यूजर टेस्टिमोनियल्स का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे ही यूजर इन पर भरोसा कर पेमेंट करता है तो एक फर्जी टिकट भेज दिया जाता है।

सवाल- कोई ट्रैवल बुकिंग वेबसाइट असली है या फर्जी, इसकी कैसे पहचान कर सकते हैं?

जवाब- इंदौर के एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश दंडोतिया बताते हैं कि स्कैमर असली वेबसाइट से मिलते-जुलते नाम बनाते हैं, जैसे एक अक्षर बदल देना या स्पेलिंग में अंतर डालना। इसलिए किसी भी वेबसाइट पर विजिट करने के बाद URL में ‘https’ और ताले का चिन्ह जरूर देखें। अगर वेबसाइट ‘https’ से नहीं शुरू होती या ताले का आइकन नहीं है तो वह सुरक्षित नहीं है। इसके अलावा बुकिंग से पहले वेबसाइट का नाम गूगल या सोशल मीडिया पर सर्च करें। अगर वो फर्जी है तो किसी ने जरूर पहले से उसके बारे में चेतावनी दी होगी। इसके अलावा कुछ और सावधानियां नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

जवाब- ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग करते समय सबसे जरूरी है कि आप सिर्फ ऑफिशियल या जानी-पहचानी वेबसाइट्स का ही इस्तेमाल करें। इसके अलावा वेबसाइट के रिव्यू और रेटिंग पढ़ें। किसी भी वेबसाइट पर बिना कन्फर्मेशन मिले पेमेंट न करें। हमेशा UPI या बैंक ट्रांसफर की जगह क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करना ज्यादा सुरक्षित होता है क्योंकि इसमें रिकवरी की संभावना अधिक रहती है।

सवाल- इस तरह के स्कैम के रेड फ्लैग्स क्या हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए?

जवाब- इंदौर क्राइम ब्रांच के राजेश दंडोतिया कहते हैं कि अगर कोई वेबसाइट बहुत सस्ती डील दे रही हो जैसे ‘सिर्फ आज के लिए 70% छूट’ या ‘2 सीट बची हैं’ तो सावधान हो जाइए। अगर वेबसाइट सिर्फ बैंक ट्रांसफर से पेमेंट ले रही है और कोई दूसरा तरीका नहीं है तो यह भी खतरे का संकेत है। साथ ही अगर वेबसाइट पर गलत भाषा, अधूरी जानकारी या अजीब लिंक दिखें तो उसे तुरंत छोड़ दें। ये सब स्कैम के साफ संकेत हैं।

सवाल- क्या फर्जी वेबसाइट से मिली टिकट असली लग सकती है?

जवाब- हां, स्कैमर कई बार ऐसी टिकट भेजते हैं, जो दिखने में एकदम असली लगती हैं। उसमें बुकिंग ID, QR कोड और ईमेल कन्फर्मेशन भी होता है। लेकिन ये सब नकली होता है। जब आप मौके पर पहुंचते हैं, तभी पता चलता है कि बुकिंग असली नहीं थी। इसलिए टिकट मिलने पर भी वेबसाइट और कंपनी को पहले अच्छे से जांचना बहुत जरूरी है।

सवाल- क्या गूगल पर दिखने वाली हर वेबसाइट भरोसेमंद होती है?

जवाब- गूगल का एल्गोरिदम यह तय करता है कि कौन-सी वेबसाइट पहले दिखेगी, लेकिन यह भरोसेमंद होने की गारंटी नहीं देता है। स्कैमर भी आजकल SEO (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) की ट्रिक अपनाकर अपनी फर्जी वेबसाइट को गूगल में ऊपर ला देते हैं। इसलिए सिर्फ गूगल पर टॉप पर दिखने से किसी वेबसाइट पर भरोसा न करें। हमेशा उसका URL ध्यान से पढ़ें, रिव्यू चेक करें, और देखें कि वेबसाइट पर कंपनी की असली जानकारी दी गई है या नहीं।

सवाल- क्या मोबाइल एप्स से बुकिंग करना सुरक्षित है?

जवाब- हां, अगर आप ट्रैवल एप सीधे गूगल प्ले स्टोर या एपल एप स्टोर से डाउनलोड करते हैं तो वे आमतौर पर सुरक्षित होते हैं। लेकिन अगर कोई एप किसी लिंक, SMS या थर्ड पार्टी वेबसाइट से डाउनलोड करने को कहे तो वह खतरनाक हो सकता है। इसलिए एप इंस्टॉल करने से पहले कुछ बातें जरूर चेक करें। जैसेकि-

  • एप कितने लोगों ने डाउनलोड किया है।
  • उसकी रेटिंग और यूजर रिव्यू कैसे हैं।
  • डेवलपर की जानकारी सही और साफ है या नहीं।

सवाल- क्या टिकटिंग स्कैम में रिकवरी संभव है?

जवाब- हां, अगर आप समय पर शिकायत करें तो कुछ मामलों में पैसा वापस मिल सकता है। खासकर अगर पेमेंट क्रेडिट कार्ड से हुआ हो तो रिकवरी का मौका ज्यादा होता है। बैंक ट्रांसफर या UPI से पेमेंट होने पर रिकवरी थोड़ी मुश्किल हो सकती है, लेकिन कोशिश जरूर करनी चाहिए। शिकायत के लिए इन तरीकों को फॉलो करें।

  • साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें। यह सरकार की ऑफिशियल इमरजेंसी लाइन है। जितनी जल्दी कॉल करेंगे, उतना रिकवरी का मौका बढ़ता है।
  • www.cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें। यहां आप अपनी पूरी डिटेल के साथ शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
  • पेमेंट जिस एप या बैंक से किया गया है, उसकी कस्टमर सर्विस को भी तुरंत जानकारी दें।

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