अनिल अंबानी की SBI से फ्रॉड-टैग हटाने की अपील: वकील ने कहा- बैंक ने अनिल अंबानी को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया

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नई दिल्ली45 मिनट पहले

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SBI ने 13 जून को RCom और अनिल अंबानी को फ्रॉड घोषित किया था।

अनिल अंबानी के वकील ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी SBI से रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और उसके प्रमोटर-डायरेक्टर के खिलाफ फ्रॉड यानी धोखाधड़ी का टैग हटाने का आग्रह किया है। वकील ने दावा किया कि बैंक ने यह कदम अनिल अंबानी को अपना पक्ष रखने का मौका दिए बिना उठाया है।

कभी भारत की सबसे बड़ी मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स में से एक रही रिलायंस कम्युनिकेशंस अभी इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) 2016 के तहत कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) से गुजर रही है। रेजोल्यूशन प्लान को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ने अप्रूव किया था और 6 मार्च 2020 को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) मुंबई में दायर किया गया था। हालांकि, इस मामले में ट्रिब्यूनल की मंजूरी का इंतजार है।

SBI ने क्यों लगाया फ्रॉड का टैग?

जुलाई 2025 में सरकार ने संसद को बताया था कि SBI ने 13 जून को RCom और अनिल अंबानी को RBI के दिशानिर्देशों और अपनी नीतियों के आधार पर फ्रॉड घोषित किया है।

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा था कि SBI ने इस मामले में CBI में शिकायत दर्ज करने की प्रोसेस भी शुरू की है। इसके अलावा बैंक ने अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया कार्यवाही भी शुरू की है, जो मुंबई NCLT में पेंडिंग है।

अनिल अंबानी का पक्ष

अनिल अंबानी के वकील ने कहा कि SBI ने यह फैसला बिना व्यक्तिगत सुनवाई के लिया, जो कि निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। सूत्रों के मुताबिक, बैंक ने शो कॉज नोटिस से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स अनिल अंबानी के साथ शेयर नहीं किए।

वकील ने यह भी बताया कि आरकॉम के लेनदारों के ग्रुप में शामिल केनरा बैंक ने 10 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट में कंपनी और अंबानी पर लगाए गए फ्रॉड टैग को वापस ले लिया। केनरा बैंक ने माना कि उसका यह फैसला कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं था। अंबानी के वकील ने सवाल उठाया कि जब एक ही ग्रुप का दूसरा बैंक (केनरा बैंक) अपना फैसला वापस ले चुका है, तो SBI इस मामले में क्यों अड़ा हुआ है?

SBI की कुल देनदारी

SBI की आरकॉम में कुल देनदारी में 26 अगस्त 2016 तक 2,228 करोड़ रुपए का प्रिंसिपल, ब्याज और अन्य खर्च शामिल है। इसके अलावा लगभग 787 करोड़ रुपए की नॉन-फंड बेस्ड गारंटी भी है।

मामले में आगे क्या होगा?

अनिल अंबानी के वकील ने SBI से इस फैसले को वापस लेने और निष्पक्ष सुनवाई की मांग की है। यह मामला न केवल आरकॉम की दिवालिया प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है, बल्कि अनिल अंबानी की व्यक्तिगत और व्यावसायिक साख पर भी गहरा असर डाल सकता है। इस मामले में अब NCLT और SBI की अगली कार्रवाई पर नजर रहेगी।

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