हैदराबाद में एक अफ्रीकन पेड़ 450 साल पुराना, अंदर एक खोखला गड्ढा! जाने रहस्य..

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Hyderabad: हैदराबाद का हटियान झाड़ बाओबाब पेड़ अपनी विशालता और रहस्यमयी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है. 25 मीटर परिधि वाले इस पेड़ के तने में इतना बड़ा खोखला स्थान है कि उसमें 40 लोग समा सकते हैं. अफ्रीका से आया यह…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • हटियान झाड़ बाओबाब पेड़ 450 साल पुराना है.
  • पेड़ के तने में 40 लोग बैठ सकते हैं.
  • यह पेड़ ASI द्वारा संरक्षित है.

हैदराबाद: ये शहर अपने संस्कृति और इतिहास के लिए दुनियां भर में प्रसिद्ध है निजामों के शहर के नाम से मशहूर हैदराबाद में एक हटियान झाड़ बाओबाब पेड़ है. यह पेड़ अफ्रीका के मेडागास्कर से आया है और माना जाता है कि इसे 1569 के दौरान अरब व्यापारियों द्वारा भारत लाया गया था. इस वृक्ष को ‘हटियान झाड़ बाओबाब पेड़’ कहा जाता है. इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका घुमावदार और नुकीला तना हाथी जैसा दिखता है. 25 मीटर परिधि वाले इस पेड़ के अंदर एक खोखला गड्ढा है.

Local 18 की ग्राउंड रिपोर्ट में यह पेड़ दूर से ही देखने में घना और अद्भूत घुमावदार लगता है इसके तने आपको अपनी तरफ आकृषित करने लगते हैं लगभग 25 मीटर परिधि वाले तने के अंदर एक खोखला गड्ढा है जो इतना बड़ा है कि इसमें 40 लोग इसके अंदर समा सकते हैं. पर्यटकों और हैदराबादियों के लिए यह एक ऐसी जगह है. जिसे कोई आसानी से मिस नहीं कर सकता है. हटियान का झाड़ वह जगह है. जहा आसपास और भी पुराने पेड़ और महल बने हुए हैं जिसका इतिहास भी बहुत पुराना है साथ यहां के पार्क में आप अपने परिवार के साथ एंजॉय भी कर सकते हैं.

ASI द्वारा संरक्षण
यहां के गाइड एस. कुमार के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI द्वारा इसके चारों ओर लोहे की बाड़ लगाकर संरक्षित इस पेड़ को हैदराबाद गोल्फ क्लब में रखा गया है. पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा पेड़ की रक्षा करने की बढ़ती मांग और स्थानीय लोगों द्वारा नुकसान पहुंचाने की शिकायतों के बाद कुछ साल पहले एएसआई ने इसे राष्ट्रीय महत्व का ‘संरक्षित स्मारक’ घोषित किया है.

हटियान झाड़ कैसे पहुंचें
हटियान झाड़ बाओबाब पेड़ के पहुंचने के लिए निकटतम मेट्रो स्टेशन जुबली हिल्स चेक पोस्ट मेट्रो स्टेशन है, जो 3 किमी की दूरी पर है. सड़क मार्ग से आप पेड़ तक पहुंचने के लिए ऑटो या रिक्शा भी ले सकते हैं, जो आपको यहां आसानी से पहुंचा देगा. वहीं, कहा जाता है कि यह पेड़ किसी अफ्रीकी यात्री ने लगाया था, लेकिन इसका समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है. इसका इतिहास अभी भी एक रहस्य बना हुआ है।

Rupesh Kumar Jaiswal

रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें

रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें

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हैदराबाद में एक अफ्रीकन पेड़ 450 साल पुराना, अंदर एक खोखला गड्ढा! जाने रहस्य..

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