Rupee vs Dollar: भारतीय रुपया मंगलवार को शुरुआती कारोबार के दौरान 29 पैसे टूटकर डॉलर के मुकाबले 87.95 पर पहुंच गया, जो पिछले 6 महीनों में रुपये का सबसे निचला स्तर है. विदेशी मुद्रा कारोबारियों (Forex Traders) का मानना है कि रुपये पर यह दबाव इस सप्ताह भी बना रह सकता है, क्योंकि अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर उच्च शुल्क (High Tariffs) लगाने की चेतावनी दी है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार (interbank foreign exchange market) में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 87.95 पर कमजोर रुख के साथ खुला, जो सोमवार के 87.66 के बंद स्तर की तुलना में 29 पैसे की गिरावट दर्शाता है.
रुपये में क्यों गिरावट?
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, 0.04 प्रतिशत की बढ़त के साथ 98.81 पर पहुंच गया. घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी देखने को मिली, जहां BSE सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 200.40 अंकों की गिरावट के साथ 80,818.32 पर आ गया, जबकि एनएसई निफ्टी 58.90 अंक गिरकर 24,663.80 पर पहुंच गया. अंतरराष्ट्रीय ब्रेंट क्रूड 0.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ 68.57 डॉलर प्रति बैरल पर रहा.
शेयर बाजार पर टैरिफ का असर
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) सोमवार को शुद्ध रूप से बिकवाल रहे. उन्होंने 2,566.51 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. अमेरिका की चेतावनी के चलते बाजार में तनाव देखने को मिला. अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदने और उसे मुनाफे के साथ बेचने का आरोप लगाया है.
भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ की तरफ से अनुचित रूप से निशाना बनाया गया है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत ने यह तेल आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष के बाद पारंपरिक आपूर्तियां यूरोप की ओर मोड़ दी गई थीं. बयान में यह भी कहा गया कि उस समय अमेरिका ने खुद भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता के लिए ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया था. भारत का उद्देश्य हमेशा देश के उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की लागत को किफायती बनाए रखना रहा है.
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