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46 Drugs not of standard quality: सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन यानी सीडीएससीओ ने 46 दवाओं की गुणवत्ता को घटिया पाया है. ये दवाएं धड़ल्ले से बेची जा रही है जिससे किसी अनहोनी की भी आशंका हो सकती है…और पढ़ें

घटिया और नकली दवाओं के केस
केंद्रीय दवा प्रयोगशाला की जांच में 46 दवाओं के सैंपल घटिया पाए गए. वहीं, राज्य स्तरीय दवा लैब्स ने 97 सैंपल फेल घोषित किए. इन्हें घटिया इसलिए कहा गया क्योंकि ये सैंपल क्वालिटी चेक में पास नहीं हो सके और इनमें दवा की मानक स्तर की मात्रा मौजूद नहीं थी. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इसका मतलब यह नहीं कि उसी कंपनी की बाकी दवाइयां भी खराब हों. सबसे ज्यादा चिंता बढ़ाने वाला पहलू नकली दवाओं का मामला है. सीडीएससीओ की जांच में बिहार में 7 दवा सैंपल और गाज़ियाबाद (नॉर्थ ज़ोन) में 1 सैंपल नकली निकला. ये दवाएं असली कंपनियों के ब्रांड नाम पर बेची जा रही थीं, लेकिन इन्हें बिना अनुमति और नकली तरीके से तैयार किया गया था. फिलहाल ये मामले जांच में हैं और संबंधित कंपनियों और व्यक्तियों पर कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
इससे पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने नवंबर 2024 में जांचे गए दवा के 41 सैंपलों में बड़ी गड़बड़ी पाई थी. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय दवा प्रयोगशालाओं में टेस्ट की गई 41 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरे. वहीं, राज्य की दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं में जांचे गए 70 सैंपल भी मानक से बाहर पाए गए. अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि दवा के सैंपल को NSQ तभी घोषित किया जाता है जब वह किसी न किसी गुणवत्ता मानक में फेल हो जाए. यह नतीजा केवल जांचे गए बैच पर लागू होता है और इसका मतलब यह नहीं है कि बाजार में उपलब्ध उसी कंपनी की सभी दवाएं खराब हैं. नवंबर में जांच के दौरान दो सैंपल नकली (Spurious Drugs) पाए गए थे. इनमें से एक सैंपल बिहार ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी ने लिया था और दूसरा CDSCO, गाज़ियाबाद से लिया गया था. जांच में पता चला कि ये दवाएं अनधिकृत और अज्ञात निर्माताओं द्वारा बनाई गई थीं, जिन्होंने अन्य कंपनियों के ब्रांड नाम का इस्तेमाल किया था. सूत्रों के मुताबिक, राज्य नियामकों के साथ मिलकर नियमित तौर पर ऐसे सैंपल की पहचान की जाती है ताकि खराब और नकली दवाओं को बाजार से हटाया जा सके.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें
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