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ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेटरों से हुई छेड़छाड़ के बाद प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ये बयान दिया था। इस घटना के बाद पहले से ही महिला सुरक्षा को लेकर छिड़ी राष्ट्रव्यापी बहस के बीच विजयवर्गीय के इस बयान की आलोचना हुई। मंत्री के बयान के बाद सवाल उठे कि क्या इंदौर अब इतना असुरक्षित है कि हर बेटी को बताकर निकलना पड़ेगा?
मामले ने न सिर्फ प्रशासनिक तंत्र की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इस स्मार्ट सिटी की सड़कों पर महिलाओं की सुरक्षा पर भी गहरी बहस छेड़ दी है। पढ़िए रिपोर्ट।
हर महिला को फ्रीडम के साथ चलने का हक है इस घटना ने उन महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है जो रोज इन्हीं सड़कों से गुजरकर अपने सपनों को पूरा करने के लिए निकलती हैं। एथलीट चैतन्या परमार, जो प्रतिदिन 8 किलोमीटर का सफर तय करती हैं, कहती हैं, “मैं रोज इसी रोड से गुजरती हूं। मेरे साथ अब तक कुछ नहीं हुआ, लेकिन यह सोचना भी भयावह है।
वे बाहर की महिला खिलाड़ी थीं, उन्हें तो और अधिक सुरक्षा दी जानी चाहिए थी। इंदौर में ऐसा होना शहर की छवि पर एक धब्बा है। हर महिला को सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है।
सिस्टम से उम्मीद मत रखिए, खुद करनी होगी सुरक्षा युवा पीढ़ी में इस घटना को लेकर निराशा और आक्रोश का मिला-जुला भाव है। स्टूडेंट मोहिनी हनोतिया का कहना है कि सिस्टम पर से उनका भरोसा उठ गया है। ‘जब मैंने ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ियों से छेड़छाड़ की खबर सुनी तो बहुत बुरा लगा। अगर इंदौर की लड़कियां ही सुरक्षित नहीं हैं तो बाहर से आने वाली कैसे होंगी?


बेटियों को गिटार के साथ-साथ कटार चलाना भी सिखाना चाहिए समाजसेविका माला सिंह ठाकुर इस मुद्दे पर एक अलग नजरिया रखती हैं। वे कहती हैं, ‘शासन-प्रशासन की अपनी सीमाएं हैं। जब सुरक्षा की बात आती है, तो हम अहिल्या शक्ति शिविर लगाते हैं, जिसमें बेटियों को आत्मसुरक्षा के गुर सिखाए जाते हैं। हमारा नारा है – अपनी सुरक्षा अपने हाथ। आत्मविश्वास ही सबसे बड़ा हथियार है।
वह आगे कहती हैं, ‘सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर रहना उचित नहीं है। हम अपने बच्चों को गिटार बजाना सिखाते हैं, जो अच्छी बात है, लेकिन आज के हालात देखकर लगता है कि बेटियों को कटार चलाना भी सिखाना चाहिए। शासन-प्रशासन अपनी ओर से प्रयास करता होगा, लेकिन हमें तकनीकी का सहारा लेना चाहिए।

बच्ची से लेकर बुजुर्ग तक, कोई सुरक्षित नहीं: अलका सैनी स्वदेशी जागरण मंच की प्रचार-प्रसार सह प्रमुख अलका सैनी इस समस्या को और व्यापक दृष्टिकोण से देखती हैं। उनका कहना है कि यह समस्या सिर्फ युवा महिलाओं तक सीमित नहीं है। ‘इंदौर शहर में 4 साल की बच्ची से लेकर 80 साल की बुजुर्ग महिला तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। बुजुर्ग महिलाएं मॉर्निंग वॉक पर जाती हैं तो उनकी चेन छीन ली जाती है।
हम सुरक्षा की बात कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि एक महिला खुद को बचाने के लिए कितने जतन करती है, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। उसे एक गलत स्पर्श से बचना होता है। वे पुलिस कमिश्नरी प्रणाली पर भी सवाल उठाती हैं, ‘जब से इंदौर में पुलिस कमिश्नरी लागू हुई है, अपराध और बढ़ गए हैं। पुलिस ट्रकों को नो-एंट्री में एंट्री देने या रात में बैरिकेड लगाकर मुंह सूंघने में उलझी है।

महिला क्रिकेटर तो बता देंगी, पर बाकी महिलाएं? पूर्व महापौर और बीजेपी नेत्री उमाशशि शर्मा मानती हैं कि शहर की बढ़ती आबादी और बाहरी लोगों का आगमन एक चुनौती है। वे कहती हैं, ‘शहर मेट्रो बनता जा रहा है। बाहर से आने वाले असामाजिक तत्वों पर रोक लगनी चाहिए। महिलाओं को भी सशक्त रहना होगा और आत्मरक्षा के गुर सीखने पड़ेंगे।’
हालांकि, वह मंत्री के बयान पर एक महत्वपूर्ण सवाल उठाती हैं, “महिला क्रिकेटर को बताकर जाने की बात कही गई है। ठीक है, लेकिन अन्य महिलाओं का क्या? एक आम महिला हर बार कहीं आने-जाने के लिए किसे और कैसे बताएगी? यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह महिलाओं को एक सुरक्षित माहौल दे। जब कोई ऐसी घटना होती है, तो वह उस शहर के लिए कलंक बन जाती है।”

सोर्स- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2023 की रिपोर्ट
महिला कांग्रेस का तर्क- मंत्री ने खुद माना कि सिस्टम फेल है विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव सोनाली मिमरोट भाटिया का कहना है कि मंत्री का बयान इस बात की स्वीकारोक्ति है कि सिस्टम पूरी तरह से विफल हो चुका है। ‘यह बहुत दुखद है कि ऑस्ट्रेलिया से आई महिला खिलाड़ियों के साथ ऐसा हुआ, लेकिन उससे भी ज्यादा खेदजनक हमारे नेताओं की टिप्पणियां हैं।
मंत्री जी का यह कहना कि उन्हें सुरक्षा लेकर चलना चाहिए था, यह मानने जैसा है कि उनका सिस्टम फेल है और वे महिलाओं को सुरक्षा नहीं दे सकते। यह बयान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जो प्रदेश के गृह मंत्री भी हैं, की विफलता को भी दर्शाता है। इंदौर स्वच्छता में नंबर 1 है, लेकिन आज उसका नाम इस तरह उछाला जा रहा है कि यहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यह निंदनीय है।
सार्वजनिक स्थानों पर छेड़छाड़ के मामले में मप्र दूसरे नंबर पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में सार्वजनिक स्थान पर छेड़छाड़ के मामलों में एमपी दूसरे नंबर पर है। वहीं यौन उत्पीड़न के मामलों में एमपी 5वें नंबर पर है। साल 2023 में महिलाओं का पीछा करने और उनसे अभद्रता करने के 1005 मामले दर्ज किए गए थे। इस मामले में एमपी देश में चौथे नंबर पर है वहीं पहले नंबर पर महाराष्ट्र है। साथ ही अन्य स्थानों पर छेड़छाड़ और अभद्रता के मामले में भी एमपी टॉप 5 राज्यों में आता है।

सोर्स- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2023 की रिपोर्ट
शहर के 7 स्पॉट जहां महिलाओं से होती है छेड़छाड़ स्थानीय लोगों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंदौर में 7 ऐसे स्पॉट्स हैं जहां छेड़छाड़ और अन्य अपराधों की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। इनमें खजराना रोड, रिंग रोड, आजाद नगर, कनाड़िया डायमंड कॉलोनी व आसपास, विजय नगर, भंवरकुआं और नया बसेरा एलआईजी चौराहा है।