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आयुर्वेद के अनुसार, सुबह 6-10 बजे हल्का और गर्माहट वाला भोजन, 10-2 बजे संतुलित भोजन, 2-5 बजे हल्के स्नैक्स, 5-7 बजे प्रोटीन और फाइबर वाला स्नैक, और रात 8-10 बजे हल्का डिनर करना चाहिए.

आयुर्वेद में दिन को अलग-अलग काल में बांटकर खानपान की आदतें तय की गई हैं, जिससे शरीर का पाचन तंत्र सही तरीके से काम करे और रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे. सुबह, दोपहर और रात का समय अलग-अलग दोष (कफ, पित्त और वात) से जुड़ा होता है, और उसी के हिसाब से खाने की चीजें भी बदल जाती हैं. अगर आप सही समय पर सही भोजन करेंगे, तो न केवल पाचन अच्छा रहेगा बल्कि ऊर्जा का स्तर भी संतुलित रहेगा. वहीं, गलत समय पर गलत भोजन करने से पेट की तकलीफ, आलस, वजन बढ़ना और कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं.
आइए जानते हैं कि आयुर्वेद के हिसाब से दिनभर में क्या खाना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए.
सुबह 6-10 बजे का कफ काल: हल्का और गर्माहट देने वाला भोजन करें
सुबह का समय कफ काल होता है, जिसमें शरीर स्वभाव से भारी और ठंडा होता है. इस दौरान गुनगुना पानी, त्रिफला जल या सादा पानी पीकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए. पपीता, सेब, अंजीर जैसे हल्के और पचने में आसान फल ऊर्जा देते हैं और पाचन को सक्रिय करते हैं. एक चुटकी शहद या हल्का पंचकर्म ड्रिंक भी इस समय लाभकारी रहता है. इस समय दूध, तली-भुनी चीजें और ज्यादा भारी भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि यह पाचन को सुस्त बना देता है और शरीर में आलस बढ़ा सकता है. सुबह का समय शरीर को शुद्ध करने और अग्नि को जगाने का होता है, इसलिए हल्का और पौष्टिक आहार सबसे सही है.
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