उज्जवला सिलेंडर पर ₹300 की सब्सिडी मिलती रहेगी: LPG पर नुकसान की भरपाई के लिए तेल कंपनियों को ₹30 हजार करोड़ देगी सरकार

नई दिल्ली3 घंटे पहले

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प्रधानमंत्री उज्जवला योजना 2016 में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत गरीब महिलाओं को सिलेंडर पर 300 रुपए की सब्सिडी मिलती है।

LPG सिलेंडर को सब्सिडी में बेचने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए तेल कंपनियों को सरकार ₹30 हजार करोड़ देगी। यह राशि कंपनियों को 12 किश्तों में दी जाएगी।

इसके अलावा उज्ज्वला योजना की सब्सिडी जारी रखने के लिए ₹12 हजार करोड़ भी मंजूर किए गए हैं। आज यानी, 8 अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई है।

इंटरनेशनल मार्केट में महंगी LPG से कंपनियों को नुकसान

भारत में घरेलू एलपीजी सिलेंडर IOCL, BPCL और HPCL जैसी सरकारी तेल कंपनियां बेचती हैं। ये सिलेंडर सरकार द्वारा तय की गई रेगुलेटेड कीमतों पर मिलते हैं। यानी, इनकी कीमतें बाजार से तय नहीं होतीं, बल्कि सरकार इन्हें कंट्रोल करती है।

इंटरनेशनल मार्केट में लंबे समय से LPG की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। इससे तेल कंपनियों को भारी नुकसान हुआ। उन्हें महंगे दामों पर LPG खरीदना पड़ा, लेकिन सस्ते दामों पर बेचना पड़ा। इस नुकसान को अंडर-रिकवरी कहते हैं, यानी वो रकम जो कंपनियों को बिक्री से नहीं मिल पाई।

उज्ज्वला योजना की सब्सिडी के लिए ₹12,000 करोड़ मंजूर

सरकार ने 2025-26 में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की सब्सिडी जारी रखने के लिए 12,000 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इस योजना के लाभार्थियों को 14.2 किलो के LPG सिलेंडर पर 300 रुपए की सब्सिडी मिलती है। एक साल में 9 सिलेंडर लिए जा सकते हैं।

2016 में शुरू की गई थी प्रधानमंत्री उज्जवला योजना

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (PMUY) मई 2016 में शुरू की गई थी। इसका मकसद गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त LPG कनेक्शन देना था ताकि महिलाएं लकड़ी या कोयले जैसे हानिकारक ईंधन की बजाय गैस से खाना बना सकें।

1 जुलाई 2025 तक देश भर में PMUY के तहत 10.33 करोड़ कनेक्शन दिए जा चुके हैं। उज्ज्वला 2.0 के तहत पहली रिफिल और स्टोव भी मुफ्त मिलता है। यानी, लाभार्थियों को कनेक्शन या पहला सिलेंडर और स्टोव लेने के लिए एक भी पैसा नहीं देना पड़ता।

कैसे तय होती है गैस सिलेंडर की कीमत

तेल कंपनियां हर महीने पिछले महीने के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों, एक्सचेंज रेट और अन्य लागतों के आधार पर LPG की बेस प्राइस तय करती हैं। इसके बाद टैक्स, ट्रांसपोर्ट, और डीलर कमीशन जोड़कर खुदरा मूल्य निकाला जाता है। सब्सिडी वाले सिलेंडर के लिए सरकार अंतर की भरपाई करती है, जबकि गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडर की पूरी कीमत ग्राहक चुकाता है।

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