10 दिन पहलेलेखक: संदीप सिंह
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हैदराबाद में एक 49 साल के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल साइबर ठगी का शिकार हो गए। उन्हें वॉट्सएप पर एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि उनकी गाड़ी से ट्रैफिक नियम तोड़ा गया है और ₹1000 का चालान भरना है। साथ ही ‘e-parivahan.apk’ नाम की एक फाइल भी भेजी गई थी।
उन्हें लगा कि शायद कोई गलती हो गई हो, इसलिए उन्होंने फाइल को डाउनलोड कर एप इंस्टॉल कर लिया। एप इंस्टॉल करते ही उनके मोबाइल का कंट्रोल ठगों के हाथ में चला गया। कुछ ही देर में उनके बैंक खाते से 1.2 लाख रुपए से ज्यादा की रकम निकाल ली गई। असल में यह एप दिखने में सरकार के mParivahan एप जैसा था, लेकिन यह फेक एप था, जो सिर्फ ठगी करने के लिए बनाया गया था।
तो चलिए, साइबर लिटरेसी के कॉलम में आज जानेंगे कि फेक ई-चालान स्कैम क्या है? साथ ही बात करेंगे कि-
- इस तरह के स्कैम से कैसे बच सकते हैं?
एक्सपर्ट:
- राजेश दंडोतिया, एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच, इंदौर
- राहुल मिश्रा, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट, उत्तर प्रदेश पुलिस
सवाल- फेक ई-चालान स्कैम क्या है? जवाब- यह एक नया साइबर फ्रॉड है, जिसमें स्कैमर्स खुद को ट्रैफिक अथॉरिटी दिखाते हैं और लोगों को चालान भरने के लिए एक फेक एप डाउनलोड करवाते हैं। यह एप असल में मालवेयर होता है, जो मोबाइल की सेंसिटिव जानकारी जैसे SMS, बैंकिंग एप्स, OTP और पासवर्ड चुरा लेता है।
सवाल- इस स्कैम का तरीका क्या होता है? जवाब- इस स्कैम में साइबर अपराधी खुद को ट्रैफिक पुलिस या सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर वॉट्सएप, SMS या ईमेल के जरिए चालान का फेक मैसेज भेजते हैं। इसमें लिखा होता है कि आपकी गाड़ी से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन हुआ है और आपको जुर्माना भरना है। साथ ही एक APK फाइल (जैसे e-parivahan.apk) या लिंक दिया जाता है, जिसमें दावा किया जाता है कि चालान की डिटेल्स देखने या पेमेंट के लिए इस एप को इंस्टॉल करें।
जब यूजर यह फाइल डाउनलोड करता है और एप इंस्टॉल करता है। वह एप फोन से सेंसिटिव जानकारी जैसे SMS, कॉन्टैक्ट्स, बैंकिंग एप्स, पासवर्ड और OTP तक का एक्सेस मांगता है। एक बार यह एक्सेस मिल गया तो स्कैमर्स मोबाइल बैंकिंग या UPI के जरिए अकाउंट से पैसे उड़ा लेते हैं।

सवाल- असली और फेक e-challan मैसेज में फर्क कैसे करें?
जवाब- असली चालान मैसेज सरकार की ऑफिशियल SMS ID (जैसे VK-MORTH, CH-TRAFF आदि) से आता है और उसमें किसी भी APK फाइल या संदिग्ध लिंक का जिक्र नहीं होता है। असली चालान की जानकारी के लिए https://echallan.parivahan.gov.in जैसी सरकारी वेबसाइट पर जाकर RC नंबर या ड्राइविंग लाइसेंस नंबर डालना होता है।
वहीं, फेक चालान मैसेज में डर फैलाने वाली भाषा होती है, साथ ही किसी APK फाइल को डाउनलोड करने या लिंक पर क्लिक करने का दबाव बनाया जाता है।

सवाल- असली mParivahan एप की पहचान को लेकर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- सरकारी mParivahan एप केवल गूगल प्ले स्टोर या एपल एप स्टोर पर ही उपलब्ध होता है। इसका डेवलपर ‘NIC eGov Mobile Apps’ होता है। इसके अलावा https://parivahan.gov.in पर जाकर भी इसकी आधिकारिक लिंक को वेरिफाई किया जा सकता है।
सवाल- इस तरह के फेक एप्स से बचने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
जवाब- स्कैमर्स डर और जल्दीबाजी का फायदा उठाकर यूजर से गलती करवाते हैं। नीचे दिए गए उपाय अपनाकर आप ऐसे फ्रॉड से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

सवाल- अगर फेक एप डाउनलोड कर लिया हो तो क्या करें?
जवाब- इसके लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें।
- तुरंत एप अनइंस्टॉल करें।
- मोबाइल की सेटिंग्स में जाकर सभी परमिशन को हटाएं।
- अपने बैंक, UPI और सोशल मीडिया के पासवर्ड बदलें।
- अगर पैसे निकाले गए हों या ब्लैकमेलिंग हो रही हो तो नजदीकी साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराएं।
- इसके अलावा साइबर क्राइम पोर्टल पर इसकी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

सवाल- इस तरह के स्कैम में सबसे ज्यादा कौन लोग शिकार बनते हैं?
जवाब- फेक चालान स्कैम खासतौर पर उन लोगों को निशाना बनाते हैं, जो ट्रैफिक नियमों का पालन ईमानदारी से करते हैं और सरकारी मैसेज या नोटिस को तुरंत गंभीरता से लेते हैं। ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा शिकार वे लोग होते हैं। जैसेकि-
- जो तकनीक को ज्यादा नहीं समझते हैं।
- जिनके फोन में मोबाइल बैंकिंग या UPI सर्विसेज चालू होती हैं।
- या फिर वरिष्ठ नागरिक, जो भरोसे के साथ ऐसे मैसेज को असली मान लेते हैं।
सवाल- क्या एंटीवायरस या सिक्योरिटी एप्स ऐसे फेक एप को रोक सकते हैं?
जवाब- कुछ मोबाइल सिक्योरिटी एप्स APK फाइल्स को स्कैन करके चेतावनी जरूर देते हैं, लेकिन यह 100% सुरक्षा की गारंटी नहीं देते हैं। सबसे अच्छा तरीका है कि किसी भी एप को सिर्फ गूगल प्ले स्टोर या एपल एप स्टोर से ही डाउनलोड करें। साथ ही कभी भी मैसेज या वेबसाइट से मिली APK फाइल इंस्टॉल न करें।
सवाल- अगर किसी परिचित को ऐसा मैसेज मिले तो क्या करें?
जवाब- अगर किसी जान-पहचान वाले को फेक चालान मैसेज मिले, तो उन्हें तुरंत अलर्ट करें कि वह एप डाउनलोड न करें। अगर वे पहले ही एप इंस्टॉल कर चुके हैं, तो तुरंत उसे अनइंस्टॉल करें, मोबाइल की सभी परमिशन हटाएं और बैंक व सोशल मीडिया पासवर्ड बदलें। साथ ही www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करना जरूरी है। जरूरत हो तो नजदीकी साइबर सेल में जाकर भी मदद लें।
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डिजिटलाइजेशन के दौर में ‘डिजिटल अरेस्ट’ सबसे तेजी से बढ़ने वाला साइबर स्कैम बन गया है। इसमें आम लोग, प्रोफेशनल्स, व्यापारी और छात्र तक शिकार बन रहे हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार, सिर्फ 2024 के पहले 10 महीनों में इस स्कैम से 2,140 करोड़ रुपए की ठगी हो चुकी है। इसलिए जागरूक रहना और सतर्क रहना जरूरी है। पूरी खबर पढ़िए…
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