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कानपुर का स्टार्टअप Phool.co इस बात का शानदार उदाहरण है कि सामाजिक संवेदना के साथ बिजनेस कैसे किया जा सकता है. कंपनी मंदिरों से निकलने वाले फूल-कचरे को इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स जैसे अगरबत्ती, खाद और वीगन लेदर में बदलती है. इससे एक ओर प्रदूषण घटा है, वहीं सैकड़ों महिलाओं को रोजगार मिला है. लगभग ₹50 करोड़ के टर्नओवर वाली यह कंपनी अब ग्लोबल सस्टेनेबल इनोवेशन की पहचान बन चुकी है.
नई दिल्ली. भारत के कानपुर शहर से शुरू हुई Phool.co की कहानी एक अनोखा उदाहरण है कि कैसे एक साधारण विचार, सही दिशा और संवेदनशील सोच के साथ लाखों जिंदगियों में बदलाव ला सकता है. यह स्टार्टअप न सिर्फ पर्यावरण को साफ रखने का काम कर रहा है, बल्कि सामाजिक रूप से वंचित महिलाओं को नया जीवन भी दे रहा है. 2017 में अनुराग चौधरी (Anurag Chauhan) और टीम ने इस कंपनी की शुरुआत की थी. उनका मकसद था मंदिरों और धार्मिक स्थलों से रोजाना निकलने वाले टनों फूलों के कचरे को किसी उपयोगी रूप में बदलना.
जहां पहले ये फूल नदियों में बहा दिए जाते थे, वहीं अब यही कचरा Phool.co की लैब में जाकर खुशबूदार अगरबत्तियों, जैविक खाद और यहां तक कि ‘फूल स्किन’ नाम के एक अनोखे वीगन लेदर में बदल रहा है. Phool.co का सबसे बड़ा सामाजिक प्रभाव उन महिलाओं पर पड़ा है जो पहले मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी हाथ से मैला ढोने जैसे काम करती थीं. कंपनी ने इन महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार दिया, जिससे न सिर्फ उनकी आय बढ़ी बल्कि उन्हें समाज में सम्मान भी मिला. आज Phool.co की फैक्टरियों में करीब 150 से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं, और कंपनी की महिला वर्कफोर्स उसकी रीढ़ बन चुकी है.
टर्नओवर, फंडिंग और बिजनेस मॉडल
Phool.co ने अब तक 11,000 मेट्रिक टन से ज्यादा फूलों का कचरा रिसायकल किया है. कंपनी का साल 2023–24 में टर्नओवर करीब ₹50 करोड़ रहा, हालांकि इस दौरान उसे ₹5.2 करोड़ का नेट लॉस हुआ. लेकिन ग्रोथ के संकेत साफ हैं, कंपनी लगातार नए प्रोडक्ट्स और नए मार्केट्स में कदम बढ़ा रही है. इसे कई इन्वेस्टर्स से फंडिंग भी मिल चुकी है. 2021 में आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने Phool.co में निवेश किया था. इसके अलावा स्टार्टअप ने कई सस्टेनेबल इनोवेशन अवॉर्ड्स जीते हैं, जिनमें संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की मान्यता भी शामिल है.
‘Florafoam’ और ‘Fleather’ से बदलती पहचान
Phool.co का इनोवेशन यहीं खत्म नहीं होता. इसकी लैब में रिसर्च टीम ने फूलों के कचरे से एक नया बायो-बेस्ड मैटेरियल ‘Fleather’ तैयार किया है, जो असली लेदर जैसा दिखता और महसूस होता है लेकिन 100% वीगन है. इस इनोवेशन के कारण अब Phool.co को ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी सर्कल में पहचान मिल रही है. इसके अलावा कंपनी का ‘Florafoam’ नामक इको-फ्रेंडली पैकिंग मैटेरियल भी आने वाले सालों में बड़ा प्रोडक्ट बनने की संभावना रखता है.
कैसे एक्सपेंड करेगी कंपनी
Phool.co अब अपने मॉडल को देश के दूसरे धार्मिक शहरों जैसे वाराणसी, उज्जैन और तिरुपति में भी विस्तार देने की योजना बना रहा है. उनका लक्ष्य अगले 5 सालों में भारत के हर प्रमुख मंदिर से फूल कचरा इकट्ठा कर उसे सस्टेनेबल प्रोडक्ट्स में बदलने का है. अनुराग चौधरी का मानना है कि भारत में अगर इनोवेशन को सामाजिक भावना के साथ जोड़ा जाए तो ऐसे कई ‘Phool.co’ बन सकते हैं, जो न सिर्फ बिजनेस बल्कि बदलाव की नई कहानी लिखेंगे.
जय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ें
जय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ें
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