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unknown side effects of broccoli: हरी-हरी फूलगोभी देखकर यदि आप ललचा जाते हैं तो ठहरिए कुछ लोगों के लिए कैबेज या फूलगोभी, पत्तागोभी बिल्कुल ठीक नहीं है. उनकी कई परेशानियों को बढ़ा देता है.
हाइलाइट्स
- ब्रोकली कुछ लोगों के लिए नुकसानदेह हो सकती है. 3 बीमारियों में जहर से कम नहीं.
- आईबीएस मरीजों के लिए ब्रोकली हानिकारक होता है. इसलिए उन्हें नहीं खाना चाहिए.
- थायरॉइड और लिवर मरीजों को ब्रोकली से बचना चाहिए वरना इससे परेशानी हो सकती है.
टीओआई की खबर में रिसर्च के हवाले से बताया गया है कि ब्रोकली या फूलगोभी कुछ लोगों में पेट से जुड़ी गंभीर समस्या पैदा कर देती है. इससे पेट में मरोड़ या क्रैंप उठने लगता है. इससे गैस, बदहजमी और पेट फूलने की भयंकर समस्या हो सकती है. इतना ही नहीं ब्रोकली थायरॉइड फंक्शन को प्रभावित कर सकती है और कुछ दवाओं के अवशोषण में भी बाधा डाल सकती है. ब्रोकली हाई फाइबर वाली सब्जी है जिसमें रैफिनोज नामक एक जटिल स्टार्च होती है जो आंत में ठीक से नहीं पचती क्योंकि इसे पचाने के लिए इंसानों के पास बहुत कम एंजाइम होते हैं. यह स्टार्च बड़ी आंत में जाकर फर्मेंटेड हो जाती है जिससे गैस बनती है और पेट फूलना या मरोड़ जैसी समस्याएं हो सकती हैं. एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि ब्रोकली आंतों के माइक्रोबायोटा को काफी हद तक बदल देती है जिसमें बैक्टीरोडेट्स बढ़ते हैं और फर्मिक्यूट्स घटते हैं. यह बदलाव मेटाबोलिज्म के रास्तों को प्रभावित करता है और जिनका पहले से पेट संबंधी दिक्कतें है उनमें भयंकर परेशानी ला सकती है.
किन-किन लोगों के लिए परेशानी
2. थायरॉइड मरीज के लिए- ब्रोकली में ग्वाइट्रोजनिक तत्व होता है.ग्वाइट्रोजनिक तत्व का मतलब होता है कि ग्वाइटर या घेघा रोग फैलाने वाला तत्व. इसमें गोइट्रिन्स, थायोसाइनेट्स और फ्लेवोनॉइड्स जैसे कंपाउड शामिल होते हैं जो आयोडीन के अवशोषण को रोक सकते हैं और थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन में बाधा डाल सकते हैं. इसलिए जिन लोगों को पहले से थायरॉइड की समस्या है जैसे हाइपोथायरॉइडिज्म उन्हें कच्ची ब्रोकली अधिक मात्रा में खाने से बचना चाहिए. विशेष रूप से कच्ची ब्रोकली का अत्यधिक सेवन थायरॉइड की कार्यक्षमता को धीमा कर सकता है और ग्वाइटर की आशंका बढ़ा सकता है. पकाने से इनमें मौजूद कई ग्वाइट्रोजनिक यौगिक निष्क्रिय हो जाते हैं जिससे यह जोखिम कम हो जाता है.
3. लिवर मरीजों के लिए-ब्रोकोली में सल्फोराफेन फाइटोकैमिकल प्रचुर मात्रा में होता है. इसे कैंसर-रोधी, सूजन-रोधी और मेटाबॉलिज्म को सुधारने वाला माना जाता है. इसलिए थोड़ी मात्रा में इसे खाने से कुछ नहीं होता है. लेकिन यदि आप इसे कच्चा खाते हैं या ज्यादा खाते हैं तो तो यह लीवर या किडनी पर दबाव डाल सकता है. इससे गैस, कब्ज, दस्त जैसे हल्के साइड इफेक्ट्स के साथ-साथ उन दवाओं के प्रभाव को भी कम कर सकता है.
ब्रोकोली का सेवन कैसे करें
ब्रोकोली निस्संदेह सबसे पौष्टिक सब्जियों में से एक है. ज्यादातर लोगों को इसका कोई नुकसान नहीं है और इसके कई फायदे हैं. लेकिन किसी भी खाद्य पदार्थ की तरह, चाहे वह कितना भी फायदेमंद क्यों न हो, यदि अत्यधिक मात्रा में लिया जाए या किसी विशेष स्वास्थ्य स्थिति में हो तो परेशानी हो सकती है.इसलिए अच्छे से पकी हुई ब्रोकोली खाना चाहिए. इससे साइड इफेक्ट्स का खतरा कम होता है. यदि आप ब्रोकोली को अपने रोज़ाना के आहार में शामिल कर रहे हैं तो धीरे-धीरे शुरू करें. यदि पहले फाइबर का सेवन कम रहा है तो गैस या पेट फूलने से बचने के लिए धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं. अगर आप थायरॉयड की दवा, ब्लड थिनर या मिनरल सप्लीमेंट ले रहे हैं तो ब्रोकोली का सेवन न करें. ब्रोकली को स्टीम या हल्के तेल में भूनने से उसमें मौजूद गॉइट्रोजेन निष्क्रिय हो जाते हैं और फाइबर से जुड़ी पाचन संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं. अर आप ज्यादा ब्रोकली खा रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें
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