मुंबई14 मिनट पहले
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अमेरिका के साथ टैरिफ और ट्रेड डील के टेंशन के बीच मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 7 की वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में 1.35 लाख करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) टॉप लूजर रही।
कंपनी का मार्केट कैप इस दौरन 47,487 करोड़ रुपए कम होकर ₹10.87 लाख करोड़ पर आ गया है। इस दौरान एयरटेल की वैल्यू ₹29,936 करोड़, बजाज फाइनेंस की ₹22,806 करोड़ और इंफोसिस की ₹18,694 करोड़ कम हुई है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर की वैल्यू ₹32,013 करोड़ बढ़ी
इस दौरान FMCG कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) की वैल्यू ₹32,013 करोड़ बढ़कर 5.99 लाख करोड़ रुपए हो गई है। HDFC बैंक की वैल्यू 5,947 करोड़ रुपए बढ़कर 15.44 लाख करोड़ रुपए हो गई है।



कल 586 अंक गिरा बाजार, इस हफ्ते 863 अंक गिरा
अगस्त के पहले कारोबारी दिन शुक्रवार को शेयर बाजार में उतार चढ़ाव रही। सेंसेक्स 586 अंक गिरकर 80,600 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 203 अंक की गिरावट रही, ये 24,565 के स्तर पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 6 शेयरों में तेजी और 24 में गिरावट रही। सनफार्मा का शेयर 4.43% गिरा। टाटा स्टील और टाटा मोटर्स सहित कुल 18 शेयर्स 1% से 4.5% तक नीचे आ गए। एशियन पेंट्स, ट्रेंट और HUL 3% तक चढ़े।
निफ्टी के 50 शेयरों में से 11 तेजी और 39 में गिरावट रही। NSE के फार्मा 3.33%, हेल्थकेयर 2.77%, मेटल 1.97%, IT 1.85%, रियल्टी 1.78%, PSU बैंक 1.13% गिरे। ऑटो, मेटल और मेटल में भी गिरावट रही।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझें…
मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।
कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं…
1. मार्केट कैप के बढ़ने का क्या मतलब है?
- शेयर की कीमत- बाजार में शेयरों का मांग बढ़ने से कॉम्पिटिशन होता है, इसके चलते कीमतें बढ़ती है।
- मजबूत वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी की कमाई, रेवेन्यू, मुनाफा जैसी चीजों में बढ़ोतरी निवेशकों को अट्रैक्ट करती है।
- पॉजिटीव न्यूज या इवेंट- प्रोडक्ट लॉन्च, अधिग्रहण, नया कॉन्ट्रैक्ट या रेगुलेटरी अप्रूवल से शेयरों की डिमांड बढ़ती है।
- मार्केट सेंटिमेंट- बुलिश मार्केट ट्रेंड या सेक्टर स्पेसिफिक उम्मीद जैसे IT सेक्टर में तेजी का अनुमान निवेशकों के आकर्षित करता है।
- हाई प्राइस पर शेयर जारी करना: यदि कोई कंपनी हाई प्राइस पर नए शेयर जारी करती है, तो वैल्यू में कमी आए बिना मार्केट कैप बढ़ जाता है।
2. मार्केट कैप के घटने का क्या मतलब है?
- शेयर प्राइस में गिरावट- मांग में कमी के चलते शेयरों की प्राइस गिरती है, इसका सीधा असर मार्केट कैप पर होता है।
- खराब नतीजे- किसी वित्त वर्ष या तिमाही में कमाई-रेवेन्यू घटने, कर्ज बढ़ने या घाटा होने से निवेशक शेयर बेचते हैं।
- नेगेटिव न्यूज- स्कैंडल, कानूनी कार्रवाई, प्रोडक्ट फेल्योर या लीडरशिप से जुड़ी कोई भी नकारात्मक खबर निवेश को कम करता है।
- इकोनॉमी या मार्केट में गिरावट- मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बेयरिश यानी नीचे जाता मार्केट शेयरों को गिरा सकता है।
- शेयर बायबैक या डीलिस्टिंग: यदि कोई कंपनी शेयरों को वापस खरीदती है या प्राइवेट हो जाती है, तो आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है।
- इंडस्ट्री चैलेंज: रेगुलेटरी चेंज, टेक्नोलॉजिकल डिसरप्शन या किसी सेक्टर की घटती डिमांड के चलते शेयरों की मांग घटती है।
3. मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है।
निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं।
उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।
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