मां-बच्चे का प्रेम और प्रकृति की झलक
प्रदर्शनी में प्रदर्शित कलाकृतियों में मां-बच्चे के प्रेम, प्रकृति के रंग, और मानवीय संवेदनाएं खूबसूरती से उकेरी गई हैं. राहुल की आर्ट शैलियों में ग्लिम्सिस, ग्लाइडोस्कोप और पोर्ट्रेट कोलाज शामिल हैं. इनमें से कई चित्रों में उन्होंने राइस पेपर का भी प्रयोग किया है.
“पेपर कोलाज” में ढलता है भावों का समंदर
लोकल 18 से बात करते हुए राहुल सोलंकी ने बताया कि वे पिछले 25 वर्षों से चित्रकला के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया, “मेरी शैली को पेपर कोलाज कहते हैं. इसमें टिशू पेपर से लेकर तमाम तरह के पेपर्स का उपयोग कर, मैं अपनी भावनाओं को कैनवास पर उतारता हूं.”
राहुल बताते हैं कि उन्होंने अपने चित्रकला के सफर की शुरुआत काइट पेपर (पतंग के कागज़) से की थी, लेकिन धीरे-धीरे देखा कि उसके रंग फीके पड़ जाते हैं. तब उन्होंने टिशू पेपर को माध्यम बनाया, क्योंकि इसमें रंगों की गहराई बनी रहती है.
तीन दिन लगते हैं एक पेंटिंग में
उनकी एक पेंटिंग में तीन से चार लेयर होती हैं, और हर लेयर को सूखने में तीन घंटे से अधिक का समय लगता है. वे रोज 3–4 घंटे काम करते हैं, और एक पेंटिंग को पूरा करने में लगभग तीन दिन लग जाते हैं. बारिश के मौसम में काम और मुश्किल हो जाता है क्योंकि लेयर सूखने में ज्यादा वक्त लग जाता है.
कला का नया माध्यम, युवाओं को दे रहे प्रेरणा
राहुल की यह कला न केवल नई पीढ़ी को प्रेरित कर रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि कला केवल महंगे रंग और ब्रश से नहीं बनती, भाव और धैर्य से बनती है. उनके काम की सराहना न केवल मध्य प्रदेश में, बल्कि देशभर के आर्ट प्रेमी कर रहे हैं.
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