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store wheat in rainy season: इस नुस्खे का सबसे बड़ा फायदा यह है कि गेहूं प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रहता है. किसी भी केमिकल या जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता. (रिपोर्ट: अनुज गोतम)
गांव हो या शहर, गेहूं हर घर की रसोई की जान होता है. कटाई के बाद जब बोरियों में भरा हुआ अनाज घरों में लाया जाता है, तो उससे सिर्फ पेट नहीं, साल भर की सुरक्षा भी जुड़ी होती है. लेकिन बरसात के मौसम में एक छोटी सी चूक से नमी, कीड़े या घुन पूरे अनाज को बर्बाद कर सकती है.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा देसी तरीका, जो न केवल कारगर है बल्कि एक दम मुफ्त है. जहां एक ओर आधुनिक तकनीक और कीटनाशकों का चलन बढ़ा है, वहीं बुजुर्गों के अनुभव आज भी सटीक साबित हो रहे हैं.

सागर की द्रौपती बाई, जो वर्षों से अनाज के भंडारण में माहिर रही हैं, बताती हैं कि बरसात के मौसम में गेहूं को अगर भूसे (धान या गेहूं का कचरा) की मदद से स्टोर किया जाए, तो वह सालों तक खराब नहीं होता.

सबसे पहले किसी ऐसे स्थान का चयन करें जहां हवा की आवाजाही कम हो. ज़मीन पर 8-10 इंच मोटी भूसे की परत बिछा दीजिए. इसके ऊपर एक मोटी बरसाती या प्लास्टिक शीट डालें.

अब अपने गेहूं की बोरियों को इस पर एक-एक करके जमाएं. किनारों से हवा न घुसे, इसके लिए जहां भी खाली जगह दिखे वहां भूसा भर दें और अंत में पूरी बोरियों को एक और बरसाती से अच्छी तरह ढक दें.

इस नुस्खे का सबसे बड़ा फायदा यह है कि गेहूं प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रहता है. किसी भी केमिकल या जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता, जिससे स्वास्थ्य को भी कोई खतरा नहीं होता.

ग्रामीण क्षेत्रों में चुना, नीम के पत्ते, राख, प्लास्टिक ड्रम और एयरटाइट डिब्बों का भी इस्तेमाल होता है. लेकिन बरसात के मौसम में भूसे का यह देसी जुगाड़ सबसे सस्ता, आसान और टिकाऊ माना जाता है. खास बात यह है कि इसमें न तो बिजली की जरूरत होती है, न महंगे उपकरणों की.

आज के समय में बहुत से लोग अनाज को कीटनाशक दवाओं की मदद से स्टोर करते हैं. लेकिन कई बार ये रसायन अनाज में मिल जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकते हैं. भूसे वाला यह तरीका इस खतरे से भी पूरी
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