कोविड और फ्लू वायरस से भी बढ़ जाता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ! नई स्टडी में बेहद चौंकाने वाला खुलासा

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Breast Cancer Risk Factors: नई स्टडी में पाया गया है कि कोविड-19 और फ्लू जैसे वायरस ब्रेस्ट कैंसर की डॉर्मेंट सेल्स को एक्टिव कर सकते हैं. इससे मेटास्टेटिक ट्यूमर बनने का खतरा बढ़ जाता है. यह स्टडी वैक्सीन आने …और पढ़ें

कोविड और फ्लू वायरस से ब्रेस्ट कैंसर की निष्क्रिय कोशिकाएं एक्टिव हो सकती हैं.

हाइलाइट्स

  • कोविड और फ्लू वायरस से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
  • श्वसन संक्रमण से निष्क्रिय कैंसर कोशिकाएं सक्रिय हो सकती हैं.
  • कैंसर सर्वाइवर्स को भी इन श्वसन वायरस से बचाव करना चाहिए.
New Study on Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर एक घातक बीमारी है, जिसकी मुख्य वजह जेनेटिक फैक्टर्स, हार्मोनल चेंजेस, उम्र बढ़ना, गलत लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय फैक्टर्स को माना जाता है. दुनियाभर में लाखों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के कारण हर साल जान गंवा देती हैं. ब्रेस्ट कैंसर को लेकर एक नई स्टडी में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है. इसमें पता चला है कि कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा जैसे सामान्य रेस्पिरेटरी इंफेक्शन फेफड़ों में निष्क्रिय ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं को सक्रिय कर सकते हैं, जिससे नए मेटास्टेटिक ट्यूमर बनने का खतरा बढ़ जाता है. इस स्टडी ने वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल दिया है.

नेचर मैग्जीन में पब्लिश इस स्टडी में चूहों पर किए गए एक्सपेरिमेंट और ह्यूमन पेशेंट के एनालिसिस से पता चला कि कोविड-19 महामारी के दौरान कैंसर से बचे लोगों में मृत्यु दर और फेफड़ों में मेटास्टेटिक बीमारी में वृद्धि हुई. पिछले शोधों से पता चला है कि सूजन की प्रक्रिया निष्क्रिय कैंसर कोशिकाओं को सक्रिय कर सकती है. ये कोशिकाएं प्राइमरी ट्यूमर से अलग होकर अन्य अंगों में फैलती हैं और लंबे समय तक निष्क्रिय रहती हैं. कोविड महामारी के दौरान कैंसर मृत्यु दर में वृद्धि ने इस विचार को बल दिया कि गंभीर सूजन इन कोशिकाओं को सक्रिय कर सकती है.

शोधकर्ताओं ने चूहों पर सार्स-कोविड 2 और इन्फ्लूएंजा वायरस का परीक्षण किया. दोनों ही वायरस ने फेफड़ों में निष्क्रिय डीसीसीएस को सक्रिय कर दिया, जिससे कुछ ही दिनों में मेटास्टेटिक कोशिकाओं की संख्या तेजी से बढ़ी और दो सप्ताह के भीतर मेटास्टेटिक घाव दिखाई दिए. मॉलेक्यूलर एनालिसिस से पता चला कि यह प्रक्रिया इंटरल्यूकिन-6 नामक प्रोटीन के कारण होती है, जो संक्रमण या चोट के जवाब में इम्यून सेल्स छोड़ती हैं. इससे अवरोधकों या अन्य लक्षित इम्यूनोथेरेपी से मेटास्टेसिस को रोकने या कम करने में मदद मिल सकती है. मानव डेटाबेस के विश्लेषण से पता चला कि कैंसर से ठीक हुए मरीजों में श्वसन संक्रमण के बाद पहले साल में मेटास्टेसिस का खतरा बढ़ जाता है.

अमेरिका के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के जूलियो अगुइरे-घिसो ने कहा कि हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि कैंसर सर्वाइवर्स को श्वसन वायरस से बचाव के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. इसमें वैक्सीनेशन और डॉक्टर से सलाह लेना भी शामिल है. नीदरलैंड्स की यूट्रीख्ट यूनिवर्सिटी के रूल वर्म्यूलन ने बताया कि कैंसर से बचे लोगों में सामान्य श्वसन वायरल संक्रमण के बाद मेटास्टेटिक रिलैप्स का जोखिम बढ़ सकता है. उन्होंने बताया कि यह अध्ययन कोविड-19 वैक्सीन के उपलब्ध होने से पहले का है.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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कोविड और फ्लू वायरस से भी बढ़ जाता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ! स्टडी में खुलासा

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