बुक रिव्यू: हम वही बनते हैं, जो सोचते हैं: जो बीज बोया, वही फल काटेंगे, जीवन में खुश रहना है तो ये 8 बातें हमेशा याद रखना

9 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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किताब- ‘जैसी सोच वैसा जीवन‘ और ‘खुशहाली के 8 स्तंभ‘

(अंग्रेजी की दो इंटरनेशनल बेस्टसेलर्स किताब ‘एज ए मैन थिंक’ और ‘एट पिलर्स ऑफ प्रॉस्पैरिटी’ का हिंदी अनुवाद)

लेखक- जेम्स एलन

अनुवाद- राजेंद्र कुमार राज

प्रकाशक- प्रभात प्रकाशन

मूल्य- 300 रुपए

सन 1864 में इंग्लैंड के लीसेस्टर में जन्मे जेम्स एलन अपने समय के एक प्रमुख विचारक और दार्शनिक थे। उनकी दो किताबें ’एज ए मैन थिंक’ और ‘एट पिलर्स ऑफ प्रॉस्पैरिटी’ न केवल उस दौर में, बल्कि आज भी मार्गदर्शक की तरह काम करती हैं।

इन दोनों किताबों का हिंदी अनुवाद ‘जैसी सोच, वैसा जीवन एवं खुशहाली के 8 स्तंभ’ नामक एक किताब में किया गया है। अब सवाल ये उठता है कि 150 साल से भी पहले लिखी ये किताबें आज के आधुनिक, तकनीक-प्रधान और तेज रफ्तार जीवन में क्या मायने रखती हैं।

इसका सीधा सा जवाब है कि समय बदला है, पर जीवन की बुनियादी सच्चाइयां नहीं बदली हैं। पेड़ आज भी बीज से ही उगता है। ठीक वैसे ही, इंसान के विचार ही उसके जीवन की दिशा तय करते हैं।

यह सिद्धांत तब भी सच था और आज भी उतना ही प्रासंगिक है। नैतिकता-अनैतिकता, अच्छाई-बुराई जैसे मूल्य समय के साथ बदले नहीं हैं। हां, ये बात अलग है कि हम कभी-कभी उन्हें भूल जाते हैं।

इसीलिए आज इन किताबों की जरूरत और भी बढ़ गई है क्योंकि हम तकनीक में आगे बढ़ गए हैं। लेकिन भीतर की आवाज और मूल्यों की ओर लौटने की राह कहीं खोती जा रही है। एलन की ये दोनों किताबें हमें याद दिलाती हैं कि जीवन हमारी सोच का प्रतिबिंब है।

जेम्स एलन की ये दो मोटिवेशनल किताबें हमारे जीवन को एक नई राह दिखाती हैं। ये न सिर्फ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं, बल्कि अपने जीवन में बदलाव लाने की प्रेरणा भी देती हैं। आइए पहले ‘जैसी सोच वैसा जीवन’ के बारे में बात करते हैं।

जैसी सोच वैसा जीवन: अपने विचारों को पहचानें

यह एक छोटी, लेकिन गहरी किताब है, जो इस सच्चाई को उजागर करती है कि हमारा जीवन विचारों का आईना होता है। जेम्स एलन इस किताब में बताते हैं कि जैसे एक माली अपने बगीचे को संवारता है, वैसे ही हमें अपने मन को संवारना चाहिए।

अगर हम सकारात्मक विचार बोते हैं तो हमारा जीवन फूलों की तरह खिल उठता है। लेकिन अगर नकारात्मकता को जगह देते हैं तो यह खरपतवार की तरह हमें घेर लेती है।

इस किताब का मूल संदेश है, “आप वही बनते हैं, जो सोचते हैं।” यानी सोच ही हमारे हकीकत को आकार देती है। इस किताब से यह सीख मिलती है कि हम अक्सर अपनी सोच को हल्के में लेते हैं। लेकिन सच तो यह है कि हमारे विचार ही हमें बनाते और बिगाड़ते हैं।

खुशहाली के 8 स्तंभ अब बात करते हैं ‘खुशहाली के 8 स्तंभ’ की। यह किताब समृद्धि के उन आठ सिद्धांतों की बात करती है, जो न सिर्फ आर्थिक सफलता, बल्कि मानसिक शांति और खुशी की नींव रखते हैं। जेम्स एलन ने इन आठ स्तंभों को इस तरह समझाया है कि इन्हें अपने जीवन में लागू करना आसान हो जाता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

किताब में बताया गया हर स्तंभ अपने आप में एक सबक है। मिसाल के तौर पर ‘ऊर्जा’ हमें आलस्य से दूर रखती है तो ‘ईमानदारी’ हमें भरोसेमंद बनाती है।

ये किताबें किसे पढ़नी चाहिए?

ये किताबें उन सभी के लिए हैं, जो अपने जीवन में सच में बदलाव लाना चाहते हैं। खासतौर पर वे लोग जो अपनी सोच को सकारात्मक और सशक्त बनाना चाहते हैं, जीवन में समृद्धि के सही रास्ते पर चलना चाहते हैं।

साथ ही पर्सनल ग्रोथ व सेल्फ इम्प्रूवमेंट को प्राथमिकता देते हैं। यह उन लोगों के लिए भी है, जो मानसिक शांति, स्थिरता और सच्ची खुशी की तलाश में हैं।

इसके अलावा जो लोग अनुशासन, ईमानदारी व आत्मविश्वास जैसे गुणों को जीवन में बढ़ाना चाहते हैं उन्हें भी ‘जैसी सोच वैसा जीवन एवं खुशहाली के 8 स्तंभ’ किताब जरूर पढ़नी चाहिए। यह किताब सच्ची सफलता और संतुष्टि का रास्ता दिखाने वाली है।

किताब के बारे में मेरी राय

जेम्स एलन की किताब ‘जैसी सोच वैसा जीवन’ ने मुझे मेरे विचारों की ताकत का अहसास कराया तो ‘खुशहाली के 8 स्तंभ’ ने उस ताकत को सही दिशा में इस्तेमाल करना सिखाया।

किताब की भाषा सरल और प्रेरक है, जो हर पन्ने पर कुछ नया सोचने के लिए मजबूर करती है। इन दोनों किताबों ने मुझे यह सिखाया कि हमारा जीवन हमारे हाथ में है। अगर हम अपनी सोच और अपने सिद्धांतों पर काम करें तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती है।

अगर आप अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं, अपनी सोच को बदलना चाहते हैं और सच्ची समृद्धि की राह पर चलना चाहते हैं तो ये किताबें आपके लिए हैं। इन्हें पढ़ें, इनके सबक अपनाएं और देखें कि कैसे आपका जीवन एक नई ऊंचाई छूता है।

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