मच्छरों के लिए जहर बन जाएगा आपका खून, महीने में सिर्फ 1 टेबलेट की दरकार, वैज्ञानिकों ने निकाल लिया तोड़

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ivermectin kill mosquitoes: वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तोड़ निकाल लिया है जिसमें एक टैबलेट खाने के बाद इंसान का खून मच्छरों के लिए जहर बन जाएगा. जैसे ही मच्छर काटेगा वह काटेगा

हाइलाइट्स

  • आइवरमेक्टिन टेबलेट से मच्छर काटते ही मर जाएगा
  • मलेरिया के मामलों में 26% की कमी आई
  • महीने में एक टेबलेट से मलेरिया का जोखिम कम
Your Blood Poison for Mosquitoes: वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तोड़ निकाला है जिसमें अगर मच्छर आपको काटेगा तो काटते ही मर जाएगा. इसके बाद इससे मलेरिया का जोखिम भी न के बराबर होगा. इसमें बस महीने में एक टेबलेट खाना होगा. दरअसल, मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में यह साधारण गोली नई क्रांति ला सकती है. केन्या और मोजाम्बिक में किए गए एक बड़े अध्ययन में पाया गया कि आइवरमेक्टिन (ivermectin) नाम की यह एंटीपैरासिटिक दवा मलेरिया के खिलाफ कारगर हथियार बनकर सामने आई है. अध्ययन में देखा गया है कि आइवरमेक्टिन टेबलेट खाने के बाद इन जगहों पर सामुहिक रुप से मलेरिया के मामलों में 26 प्रतिशत की कमी आई है.

मच्छरदानी का भी विकल्प
साइंस डेली की रिपोर्ट के मुताबिक यह गोली अनोखे तरीके से काम करती है. जब कोई यह टेबलेट खाता है तब यह गोली मानव रक्त को मच्छरों के लिए विषैला बना देती है.यानी इंसान का खून मच्छरों के लिए जहर बन जाएगा. जैसे ही मच्छर इंसान का खून चूसेगा वैसे ही वह मर जाएगा. यह नया तरीका मच्छरदानी जैसी पारंपरिक विधियों का विकल्प भी साबित हो सकता है. एक तरफ जहां मलेरिया की दवा मच्छरों के लिए रेजिस्टेंस बन रही है, तो यह दवा नई उम्मीद जगाती है. इससे भी अच्छी बात यह रही कि जिन समुदायों ने इस दवा का सेवन किया, वहां जुओं, खुजली और खटमलों की संख्या में भी कमी देखी गई. यह सब महीने में सिर्फ एक टेबलेट खाने से ही हो गई.
सामुदायिक स्तर पर दी जा सकती दवा
आइवरमेक्टिन एक सुरक्षित और व्यापक रूप से उपलब्ध दवा है. यह समुदायिक स्तर पर सबको दी जा सकती है. यह मलेरिया के प्रसार को रोकने में प्रभावी साबित हो सकती है.अब तक के सबसे बड़े अध्ययन में यह पाया गया कि समुदाय में इस दवा को देने के बाद मलेरिया संक्रमणों में 26 प्रतिशत की कमी आई जबकि पारंपरिक उपाय जैसे मच्छरदानी पहले से उपयोग में थे. यह निष्कर्ष इस दवा की संभावनाओं को दर्शाता है कि यह मलेरिया से बचाव के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा उपाय बन सकती है. यह अध्ययन बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ ने ला काइशा फाउंडेशन के सहयोग से मन्हीसा हेल्थ रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर किया. इसके परिणाम द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में प्रकाशित हुए हैं.

मलेरिया के कारण 6 लाख मौतें
2023 में मलेरिया के 26.3 करोड़ मामले और 5.97 लाख मौतें दर्ज की गईं. मच्छरदानी और इनडोर स्प्रे जैसे पारंपरिक बचाव उपाय अब कम प्रभावी हो रहे हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि मच्छरों का कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गया है. अब वे घर के बाहर या ऐसे समय पर काटते हैं जब लोग इन उपायों से सुरक्षित नहीं होते. इस वजह से मलेरिया को रोकने के लिए नए तरीकों की सख्त ज़रूरत है. आमतौर पर आइवरमेक्टिन का इस्तेमाल रीवर ब्लाइंडनेस और लिम्फेटिक फिलेरियासिस (हाथीपांव) जैसी बीमारियों के इलाज में होता है. लेकिन अब यह पाया गया है कि यह दवा मलेरिया को भी कम कर सकती है क्योंकि इससे उपचारित व्यक्ति का खून मच्छरों के लिए घातक हो जाता है. जैसे-जैसे मच्छर कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधी हो रहे हैं, वैसे-वैसे आइवरमेक्टिन संक्रमण कम करने का एक नया और असरदार तरीका बन सकता है.

LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें

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