पति को मारने वाली प्रोफेसर पत्नी को जाना होगा जेल: हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा रखी बरकरार, तत्काल ट्रायल कोर्ट में सरेंडर के निर्देश – Jabalpur News

छतरपुर जिले में 3 साल पहले 2021 में हुए बहुचर्चित डॉ. नीरज हत्याकांड मामले में सेशन कोर्ट ने उनकी प्रोफेसर पत्नी ममता पाठक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उन पर आरोप था कि अवैध संबंधों के शक के चलते उन्होंने डॉक्टर पति को जहर देने के बाद नींद में करंट लग

.

सेशन कोर्ट के आदेश को प्रोफेसर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। 2 माह पहले मामले पर जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। मंगलवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए डाॅक्टर पति को करंट देकर मारने की आरोपी पत्नी प्रोफेसर ममता पाठक को मिली उम्रकैद की सजा को कायम रखा है।

हाईकोर्ट ने पूर्व में सुनवाई के दौरान सुरक्षित रखे फैसले में साफ किया था, कि घटना के दिन जब कोई अन्य व्यक्ति बाहर से नहीं आया था। परिस्थितियों की पूरी कड़ी इस तरफ इशारा कर रही थी कि पत्नी ममता पाठक ने ही पति को पहले नशीली दवा देकर बेहोश किया और बाद में करंट लगाकर मौत के घाट उतार दिया।

कोर्ट ने पूर्व में सजा पर दिया गया अस्थायी निलंबन निरस्त करते हुए ममता पाठक को शेष कारावास भुगतने के लिए और तत्काल ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं। बता दें, इस मामले में हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 29 अप्रैल 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दंपती में 20 साल से चल रहा था विवाद डॉक्टर नीरज पाठक और उनकी प्रोफेसर पत्नी ममता पाठक में पिछले 20 साल से विवाद चल रहा था। प्रोफेसर पत्नी को शक था कि उनके डॉक्टर पति के किसी अन्य महिला से संबंध हैं। इसलिए वे रात के समय उसे नींद का इंजेक्शन देकर सुला देते थे।

जबकि डॉक्टर का तर्क था कि उसकी पत्नी की तबीयत खराब रहने से उसे नींद नहीं आती, इसलिए इंजेक्शन देकर सुला देता हूं। इसी विवाद के चलते बीते कई सालों में ममता पाठक ने संबंधित थाना, छतरपुर एसपी, सागर आईजी, भोपाल में डीजीपी तक से शिकायत करते हुए डॉ. नीरज पाठक पर अन्य महिला से संबंध रखने का मामला दर्ज कर कार्रवाई करने की शिकायत की, लेकिन जांच के दौरान मामला बेबुनियाद पाया गया था।

2022 में छतरपुर सेशन कोर्ट ने ममता को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

2022 में छतरपुर सेशन कोर्ट ने ममता को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

दो साल पहले डॉक्टर ने लिया था VRS जिला अस्पताल छतरपुर में मेडिसिन विशेषज्ञ के रूप में पदस्थ डॉ. नीरज पाठक अपनी प्रोफेसर पत्नी से विवाद के कारण परेशान रहते थे। दो साल पहले उन्होंने वीआरएस ले लिया था। इसके बाद उन्होंने जिला अस्पताल आना बंद कर दिया था। वे घर पर मरीजों का इलाज करते थे। 1 मई 2021 को ममता पाठक ने थाना सिविल लाइन थाने को सूचना दी थी।

उन्होंने बताया था कि पति डॉ. नीरज पाठक 29 अप्रैल 2021 को ऊपर वाले कमरे में लेटे थे। रात करीब 9 बजे वह उन्हें खाना खाने के लिए कमरे में बुलाने पहुंची। पति पलंग पर लेटे थे, लेकिन उनकी बातों पर कोई रिप्लाई नहीं कर रहे थे। मैंने पास जाकर देखा तो वे मृत पड़े थे।

पत्नी ने कहा कि उन्हें 7-8 दिन से बुखार आ रहा था। मुझे और मेरे बेटे को भी बुखार आ रहा था, इस कारण मैं 30 अप्रैल 2021 को सुबह बेटे नीतीश के साथ इलाज कराने झांसी चली गई थी, रात को लौटी और फिर पुलिस को सूचना दी। पोस्टमॉर्टम में डॉक्टर की मौत करंट लगने से होना पाया गया।

डॉ. नीरज पाठक ने दो साल पहले वीआरएस ले लिया था। घर पर कर रहे प्रैक्टिस थे।

डॉ. नीरज पाठक ने दो साल पहले वीआरएस ले लिया था। घर पर कर रहे प्रैक्टिस थे।

पहले नींद की गोलियां दी, फिर करंट से मार डाला पुलिस ने सेशन कोर्ट को बताया कि काॅलेज में केमिस्ट्री की प्रोफेसर ममता पाठक ने अपने पति को पहले नींद की गोलियां दीं, और फिर उन्हें करंट लगाकर मार डाला। ड्राइवर के बयान, नीरज की वायरल हुई एक ऑडियो क्लिप, जिसमें वह कह रहे हैं कि उनकी पत्नी उन्हें प्रताड़ित करती हैं, और ममता की एक पुरानी शिकायत ने इस केस को मजबूत बना दिया।

2022 में सेशन कोर्ट ने ममता को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन इसके बाद उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की और कुछ माह पहले जमानत मिल गई थी।

कोर्ट में दिया था रासायनिक विश्लेषण जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा जब केस की सुनवाई कर रहे थे, तब आरोपी महिला ने हाई कोर्ट में पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया का रसायनिक विश्लेषण कर चौंका दिया था। कोर्ट ने आरोपी महिला से सवाल किया था कि आप पर अपने पति की इलेक्ट्रिक करंट से हत्या का आरोप है, इस पर आपका क्या कहना है।

यह सुनते ही ममता ने केमिस्ट्री के ज्ञान के बल पर कहना शुरू कर दिया कि सर, पोस्टमॉर्टम रूम में थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न में अंतर कर पाना संभव नहीं है। जब करंट शरीर से गुजरता है, तो मेडिकल मेटल के कण टिशू में जम जाते हैं। बाद में लैब में उसे एचसीएल या नाइट्रिक एसिड में घोलकर परीक्षण किया जाता है। वहां असली पहचान होती है कि बर्न किस कारण से हुआ।

.

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *