1 दिन पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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मानसून की फुहारें जहां एक ओर मौसम को सुहाना बना देती हैं, वहीं दूसरी ओर यह अपने साथ कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी लेकर आती हैं। इस मौसम में बढ़ी हुई नमी के कारण वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन का खतरा तो रहता ही है। साथ ही जिन लोगों को गठिया, जॉइंट पेन या हड्डियों से जुड़ी कोई बीमारी है, उनके लिए यह मौसम ज्यादा दर्दनाक हो सकता है।
‘रिसर्च गेट’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, वातावरण में नमी, वायुदाब और हवा की रफ्तार जैसे फैक्टर जॉइंट पेन को बढ़ा सकते हैं। हालांकि सभी लोगों पर इसका प्रभाव एक जैसा नहीं होता है।
‘द जर्नल ऑफ रुमेटोलॉजी’ में पब्लिश एक अन्य स्टडी भी बताती है कि कम तापमान और ज्यादा नमी कुछ लोगों में जॉइंट पेन की समस्या को बढ़ा सकते हैं। इसमें उम्र और स्वास्थ्य जैसे कारकों की भूमिका अहम होती है।
हालांकि कुछ जरूरी सावधानियों और घरेलू उपायों की मदद से मानसून में होने वाले जॉइंट पेन से काफी हद तक राहत मिल सकती है।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम मानसून के दौरान होने वाले जॉइंट पेन के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- कौन-से लोग बारिश में जॉइंट पेन से ज्यादा प्रभावित होते हैं?
- इससे बचने के लिए क्या उपाय हैं?
एक्सपर्ट: डॉ. पलाश गुप्ता, ऑर्थोपेडिक सर्जन, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली
सवाल- मानसून के दौरान जॉइंट पेन बढ़ने के मुख्य कारण क्या हैं?
जवाब- बरसात के मौसम में बढ़ी हुई नमी (ह्यूमिडिटी), तापमान में उतार-चढ़ाव और वायुदाब (एटमॉस्फेरिक प्रेशर) में बदलाव शरीर को खासतौर पर जोड़ों को प्रभावित करते हैं। इसका असर उन लोगों पर ज्यादा होता है, जो पहले से अर्थराइटिस, पुराने जोड़ों के दर्द या हड्डियों की पुरानी चोट से पीड़ित हैं। नीचे दिए ग्राफिक से मानसून में जॉइंट पेन बढ़ने के मुख्य कारणों को समझिए-

सवाल- मानसून में जॉइंट पेन के साथ कौन-कौन से लक्षण आमतौर पर देखने को मिलते हैं?
जवाब- इस दौरान तापमान में उतार-चढ़ाव और ज्यादा नमी के कारण जॉइंट पेन के साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखने को मिलते हैं। खासकर उन लोगों में जो पहले से गठिया या पुराने जोड़ों के दर्द से जूझ रहे होते हैं। जैसेकि-
- सुबह उठने या लंबे समय तक आराम करने के बाद जोड़ों में अकड़न होना।
- चलने-फिरने पर जोड़ों के आसपास सूजन और दर्द होना।
- जॉइंट्स के मूवमेंट की क्षमता सीमित होना।
- प्रभावित हिस्से में भारीपन या थकान महसूस होना।
- ठंडी या नम हवा से घुटनों, कंधों या पीठ में दर्द बढ़ना।
- पुराने दर्द वाले हिस्से में हल्का दबाव भी असहनीय दर्द पैदा करना।
सवाल- मानसून में किन लोगों को जॉइंट पेन का खतरा ज्यादा होता है?
जवाब- इस मौसम में कुछ लोगों को जॉइंट पेन का रिस्क ज्यादा होता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- मानसून में जॉइंट पेन से राहत पाने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
जवाब- कुछ आसान आदतों और सावधानियों को अपनाकर मानसून में होने वाले जॉइंट पेन से काफी हद तक राहत पाया जा सकता है। इसे नीचे दिए गए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- क्या फिजियोथेरेपी से मानसून में होने वाले जॉइंट पेन से राहत मिल सकती है?
जवाब- ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. पलाश गुप्ता बताते हैं कि हां, फिजियोथेरेपी से मानसून में होने वाले जॉइंट पेन को कम किया जा सकता है। इसमें पेन रिलीफ टेक्निक, मसल स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज और जॉइंट मोबिलाइजेशन जैसी थेरेपीज शामिल होती हैं, जो सूजन कम करने और मूवमेंट बेहतर करने में मदद करती हैं।

सवाल- क्या कोई घरेलू उपाय जॉइंट पेन से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं?
जवाब- हां, कुछ आसान घरेलू उपायों से जॉइंट पेन से काफी हद तक राहत मिल सकती है। जैसेकि-
- गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड से सिकाई करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और सूजन व जकड़न कम होती है।
- रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं। हल्दी में नेचुरल एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करते हैं।
- सरसों या तिल के तेल को गुनगुना करके जोड़ों पर हल्के हाथ से मालिश करें। चाहें तो उसमें लहसुन की कुछ कलियां गर्म कर मिला सकते हैं। ये जोड़ों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है।
- जोड़ों को बहुत ज्यादा न हिलाएं, लेकिन पूरी तरह आराम भी न करें। बीच-बीच में धीरे चलना जरूरी है।
सवाल- किस कंडीशन में डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है?
जवाब- अगर दर्द लगातार बना रहे, सूजन बहुत बढ़ जाए या चलने में दिक्कत हो तो फिजियोथेरेपिस्ट या ऑर्थोपेडिक से सलाह जरूर लें। ध्यान रखें शुरुआती इलाज से बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।
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