Aadi Pooram 2025: आदि पूरम कब है ? देवी पार्वती से है इसका खास संबंध, जानें डेट, महत्व

Aadi Pooram 2025: दक्षिण भारत में आदि पूरम तमिल कैलेंडर का एक प्रमुख त्योहार है. पूरम नक्षत्र जिसे पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के नाम से जाना जाता है वह 27 नक्षत्रों में से 11वां है. तमिल माह  ‘आषाढ़ी’ (आदि) के दौरान जब यह नक्षत्र आता है, उस दिन को आदि पूरम कहा जाता है.

ये महीना देव शक्ति को समर्पित है. मान्यता है कि इस माह में देवी पार्वती स्वंय पृथ्वी पर वास करती हैं और अपने भक्तों की पीड़िएं दूर करती हैं. इस साल आदि पूरम 28 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा.

आदि पूरम का महत्व

तमिलनाडु के अधिकांश विष्णु मंदिरों में आदि पूरम के दौरान भव्य उत्सव मनाया जाता है. श्रीवल्लीपुत्तुर स्थित देवी अंडाल मंदिर में इस उत्सव की रौनक खास होती है क्योंकि कहते हैं इसी जगह देवी अंडाल का जन्म हुआ था, जो लक्ष्मी स्वरूपा है. यहां 12 दिनों का उत्सव होता है.

ऐसा माना जाता है कि जिन कन्याओं का विवाह अभी नहीं हुआ है या जो योग्य वर की तलाश में हैं, इस दिन देवी अंडाल से शीघ्र विवाह और उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं. साथ ही इस दिन माता पार्वती की पूजा और उनकी पहनी चूड़ी पहनने से सुखी दांपत्य जीवन और संतान सुख प्राप्त होता है.

आदि पूरम का माता पार्वती से खास संबंध

आदि पूरम को लेकर मान्यता है कि इसी दिन देवी पार्वती ने स्त्रीत्व को प्राप्त किया था. इस शुभ अवसर को शाक्त मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं. मंदिरों में पुजारी देवी की विशेष पूजा और आरती करते हैं, उन्हें कांच की चूड़ियां चढ़ाई जाती है.

अंडाल जयंती

विष्णु मंदिरों में इस दिन को देवी आंडाल और भगवान रंगनाथस्वामी (विष्णु जी के स्वरूप) के विवाह समारोह के रूप में मनाया जाता है, जिसे थिरुकल्याणम् भी कहते हैं. इसे अंडाल जयंती के तौर पर भी जाना जाता है.

आदि पूरम में चूड़ी का महत्व

तमिलनाडु़ में आदि पूरम का दिन वलैकप्पु (गोद भराई) के रूप में भी मनाया जाता है, इसमें माता पार्वती को चूड़ियां अर्पित की जाती है और फिर इन्हें स्त्रियों में प्रसाद स्वरूप में बांट दिया जाता है. गर्भवती महिलाओं के लिए आशीर्वाद का प्रतीक होता है, तो वहीं विवाहिता के लिए ये अखंड सौभाग्य का आशीष होता है.

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