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Jharkhand Famous Gud Sweet: झारखंड की गुड़ से बनी ये मिठाई राज्य की सीमाएं पार करके विदेशों तक धूम मचा रही है. लंबी शेल्फ लाइफ और बेहतरीन स्वाद के कारण लोग इसे बहुत पसंद करते हैं. 30 रुपये से शुरू हुई कीमत 130 …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- झरुआ मिठाई की मांग विदेशों तक है.
- गुड़ के लड्डू की कीमत 30 से 130 रुपये तक बढ़ी.
- महीनों तक खराब नहीं होती झरुआ मिठाई.
Jharua Mithai Of Jharkhand: भारत देश में अलग-अलग क्षेत्र की अपनी खास परंपराएं हैं, व्यंजन हैं. झारखंड और बिहार की संस्कृति बहुत पुरानी है, जो किसी जमाने में दुनिया भर में अपनी अलग पहचान के कारण जानी जाती थी. वहीं आज के समय में भी यहां की मिठाई सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक मशहूर है. जी हां, झारखंड और बिहार की सीमा पर मिलने वाली पारंपरिक मिठाई बहुत प्रसिद्ध है. झारखंड-बिहार की सीमा पर मिलने वाली यह मिठाई स्थानीय लोग झरुआ मिठाई या गुड़ के लड्डू के नाम से जानते हैं.
यह मिठाई न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होती है, बल्कि इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह महीनों तक खराब नहीं होती. यही कारण है कि इसे लोग विदेशों में रह रहे अपने परिवार के लोगों को भी भेजते हैं. स्वाद ऐसा है की इसके आगे बड़ी-बड़ी मिठाइयां भी फेल हैं.
वाहन रोककर करते हैं खरीदारी
स्थानीय दुकानदार राकेश कुमार ने लोकल 18 को बताया कि यह मिठाई देश से लेकर विदेश तक मशहूर है. इसे गुड़ के लड्डू के नाम से जाना जाता है, जोकि बेसन और चावल से तैयार होता है. दोनों के रेट अलग-अलग हैं. लेकिन यह मिठाई स्वाद में इतनी लाजवाब है कि लोग गाड़ी रोककर इसकी खरीदारी करते हैं. केवल इस मिठाई के लिए सफर रोका जाता है.
स्थानीय दुकानदार राकेश कुमार ने लोकल 18 को बताया कि यह मिठाई देश से लेकर विदेश तक मशहूर है. इसे गुड़ के लड्डू के नाम से जाना जाता है, जोकि बेसन और चावल से तैयार होता है. दोनों के रेट अलग-अलग हैं. लेकिन यह मिठाई स्वाद में इतनी लाजवाब है कि लोग गाड़ी रोककर इसकी खरीदारी करते हैं. केवल इस मिठाई के लिए सफर रोका जाता है.
40 वर्ष पुरानी है दुकान
उन्होंने आगे बताया की यह दुकान 40 वर्ष पुरानी है. जहां शुरुआत में यह मिठाई 30 रुपए किलो के रेट से दी जाती थी, वहीं अब इसकी कीमत 100 से 120 रुपए प्रति किलो के रेट से बेची जाती है. दाम में बढ़ोतरी के बावजूद इस मिठाई की मांग में कोई कमी नहीं है. रोजाना लगभग 15 से 20 किलो की बिक्री हो जाती है.
उन्होंने आगे बताया की यह दुकान 40 वर्ष पुरानी है. जहां शुरुआत में यह मिठाई 30 रुपए किलो के रेट से दी जाती थी, वहीं अब इसकी कीमत 100 से 120 रुपए प्रति किलो के रेट से बेची जाती है. दाम में बढ़ोतरी के बावजूद इस मिठाई की मांग में कोई कमी नहीं है. रोजाना लगभग 15 से 20 किलो की बिक्री हो जाती है.
लंबे समय तक नहीं होती खराब
इस मिठाई की सबसे बड़ी खासियत है कि यह लंबे समय तक टिकती है. इसका स्वाद हर उम्र के लोगों को पसंद आता है और एक बार जिसने इसे चख लिया, वह दोबारा जरूर लौटता है. अम्बा की झरुआ मिठाई न सिर्फ एक स्वादिष्ट व्यंजन है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक स्वाद का प्रतीक भी बन चुकी है. आज यह मिठाई झारखंड-बिहार की सीमाओं को पार कर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना रही है.
ऐसे होती है तैयार
झरुआ मिठाई को बनाने की विधि भी खास है. इसे चावल और बेसन से तैयार किया जाता है. पहले चावल को पीसकर पाउडर बनाया जाता है, जिससे बूंदी तैयार होती है. फिर गुड़ का गाढ़ा पाग बनाकर उसमें बूंदी को मिलाया जाता है. स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें सौंफ, नारियल और काजू डाले जाते हैं. अंत में इसे हाथों से लड्डू का आकार दिया जाता है. एक बार में करीब 25 से 30 किलो लड्डू तैयार होते हैं और इसे बनाने में लगभग 2 से 2.5 घंटे का समय लगता है.
झरुआ मिठाई को बनाने की विधि भी खास है. इसे चावल और बेसन से तैयार किया जाता है. पहले चावल को पीसकर पाउडर बनाया जाता है, जिससे बूंदी तैयार होती है. फिर गुड़ का गाढ़ा पाग बनाकर उसमें बूंदी को मिलाया जाता है. स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें सौंफ, नारियल और काजू डाले जाते हैं. अंत में इसे हाथों से लड्डू का आकार दिया जाता है. एक बार में करीब 25 से 30 किलो लड्डू तैयार होते हैं और इसे बनाने में लगभग 2 से 2.5 घंटे का समय लगता है.
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