Last Updated:
Success Story: छतरपुर जिले की 2 महिला शिक्षक जो खुद ही बचपन से दृष्टिहीन हैं, लेकिन इस कमजोरी को उन्होंने अपनी ताकत बनाया और सतना के चित्रकूट स्थित जगत गुरु रामभद्राचार्य जी के कॉलेज से शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- पढ़ें इन महिला शिक्षकों की कहानी
- तानों से बनी ताक़त, संघर्ष से बनी मिसाल
- दृष्टिहीन बच्चों की ‘लाइट’ बन चुकी हैं ये शिक्षिकाएं
बचपन से हैं दृष्टिहीन
शिक्षिका गीता बताती है कि हम भी बचपन से दृष्टिहीन हैं. हमें भी आंखों से दिखाई नहीं देता है. समाज में ताने भी सुनने को मिलते थे लेकिन फिर हमने सोचा कि हम आगे कुछ ऐसा करेंगे जिससे आने वाले समय में दृष्टिहीन बच्चों के लिए कुछ कर सकें.
गीता बताती है कि मैंने सतना के चित्रकूट स्थित रामभद्राचार्य जी के कॉलेज से शिक्षा दीक्षा प्राप्त की. वहां दृष्टिहीन बच्चों को पढ़ाया जाता है. मुझे भी इसका फायदा मिला और आज मैं उन्हीं की बदौलत इन बच्चों को पढ़ा पा रही हूं और इनका भविष्य संवार पा रही हूं. वहीं दूसरी शिक्षिका बताती हैं कि मैंने छतरपुर जिले में ही पढ़ाई की है. बच्चों को संगीत पढ़ाती हूं.
दृष्टिहीन बच्चों को ऐसे सिखाया पढ़ना-लिखना
गीता बताती है कि बच्चों को सबसे पहले हम ब्रेल सिखाते हैं. उन्हें डॉट छूकर पहचानना सिखाते हैं . जब उन्हें अच्छे से समझ आ जाती है , इसका अनुभव हो जाता है तो फिर उनको हम बुक और स्लेट देते हैं. वे अपनी बुक और स्लेट पहचानने लगते हैं. इसके बाद उन्हें लिखना सिखाते हैं. इसके बाद भी उन्हें बहुत कुछ सिखाते हैं. संगीत भी सिखाते हैं. अब ये बच्चे पढ़ना-लिखना और संगीत सब सीख चुके हैं.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked … और पढ़ें
.