Health, बहुत से लोग सोचते हैं कि गेहूं का आटा और मैदा एक जैसे होते हैं, क्योंकि दोनों गेहूं से ही बनते हैं. लेकिन सच तो ये है कि आटा सेहत के लिए अमृत है, जबकि मैदा धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाने वाला “मीठा ज़हर” बन सकता है.
आइए जानते हैं इन दोनों के बीच का फर्क और मैदे से होने वाले नुकसान.
1. कैसे बनते हैं: आटा vs मैदा
विशेषता गेहूं का आटा मैदा
स्रोत साबुत गेहूं (ब्रान, जर्म और एंडोस्पर्म समेत) सिर्फ एंडोस्पर्म (ब्रान और जर्म हटाया जाता है)
प्रोसेसिंग कम प्रोसेस्ड ज्यादा प्रोसेस्ड और रिफाइंड
रंग हल्का भूरा चमकदार सफेद
बनावट थोड़ा दरदरा और मोटा बेहद महीन और मुलायम
2. पोषण का फर्क
पोषक तत्व गेहूं का आटा मैदा
फाइबर बहुत ज्यादा लगभग न के बराबर
विटामिन B, आयरन मौजूद प्रोसेसिंग में खत्म हो जाते हैं
ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम (धीरे पचता है) बहुत ज्यादा (तेजी से शुगर बढ़ाता है)
पोषक तत्व गेहूं का आटा मैदा
फाइबर बहुत ज्यादा लगभग न के बराबर
विटामिन B, आयरन मौजूद प्रोसेसिंग में खत्म हो जाते हैं
ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम (धीरे पचता है) बहुत ज्यादा (तेजी से शुगर बढ़ाता है)
3. मैदे के 5 बड़े नुकसान
1. पाचन खराब करता है
फाइबर ना होने के कारण मैदा कब्ज और एसिडिटी को बढ़ाता है.
2. वजन तेजी से बढ़ाता है
हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कारण मैदा शरीर में जल्दी फैट में बदल जाता है.
3. डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है
ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ाता है, जिससे इंसुलिन रेसिस्टेंस हो सकती है.
4. दिल की बीमारियों का खतरा
मैदे से बनी चीज़ें (जैसे बिस्किट, पिज्जा, बर्गर) ट्रांस फैट्स से भरपूर होती हैं, जो कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं.
5. थकावट और सुस्ती
पोषक तत्वों की कमी के कारण मैदा शरीर को ऊर्जा नहीं देता, उल्टा थकान और आलस्य पैदा करता है.
तो क्या खाएं?
गेहूं का आटा, मल्टीग्रेन आटा, बाजरे, जौ, रागी जैसे विकल्पों का इस्तेमाल करें.
अगर कभी-कभार मैदे वाली चीज़ खानी ही पड़े, तो उसे संतुलन में खाएं. रोज़ाना का हिस्सा न बनाएं.
निष्कर्ष
आटा शरीर को ताकत देता है, जबकि मैदा धीरे-धीरे बीमारियों को न्योता देता है.
स्वाद के लिए कभी-कभी मैदा ठीक है, लेकिन रोज़ की थाली में उसे जगह देना सेहत के साथ समझौता है.
अगर चाहें तो मैं मैदे के हेल्दी विकल्प या मैदे से बनने वाली चीज़ों के पौष्टिक वर्ज़न की रेसिपी भी दे सकता हूं.