Intermittent fasting: इंटरमिटेंट फास्टिंग से बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा? नई रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा

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Intermittent Fasting Risks: इंटरमिटेंट फास्टिंग को वेट लॉस में कारगर माना जाता है, लेकिन यह हार्ट हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकती है. एक रिसर्च में पता चला है कि यह फास्टिंद सभी के लिए सुरक्षित नहीं है. इससे मौत का…और पढ़ें

इंटरमिटेंट फास्टिंग से बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा? नई रिसर्च में खुलासाइंटरमिटेंट फास्टिंग लंबे समय तक करना बेहद नुकसानदायक है.
Side Effects of Intermittent Fasting: इंटरमिटेंट फास्टिंग एक नया ट्रेंड है, जिसमें लोग दिनभर फास्टिंग करते हैं और एक फिक्स टाइम में ही खाना खाते हैं. इस फास्टिंग को वेट लॉस में असरदार माना जाता है, जिसकी वजह से लोग यह तरीका खूब फॉलो कर रहे हैं. इंटरमिटेंट फास्टिंग कई तरह की होती है. इसमें कई लोग दिन के सिर्फ 4 घंटे के अंदर ही खाना खाते हैं, तो कई लोग 24 घंटे में से सिर्फ 8 घंटे के बीच ही भोजन करते हैं. सोशल मीडिया पर अक्सर लोग इसके फायदे बताते हैं, लेकिन एक नई स्टडी में इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर हैरान करने वाला खुलासा हुआ है. इसमें पता चला है कि अगर कोई व्यक्ति गलत तरीके से इंटरमिटेंट फास्टिंग करता है, तो इससे हार्ट डिजीज से मौत का खतरा 135% तक बढ़ सकता है.

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरमिटेंट फास्टिंग से शॉर्ट टर्म में वजन घट सकता है, लेकिन लंबे समय तक इस ट्रेंड को फॉलो करना सेहत के लिए नुकसान हो सकता है. डायबिटीज एंड मेटाबॉलिक सिंड्रोम, क्लीनिकल रिसर्च एंड रिव्यूज जर्नल में प्रकाशित नई स्टडी में इंटरमिटेंट फास्टिंग के खतरे सामने आए हैं. इसमें पता चला है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से हार्ट डिजीज से होने वाली मृत्यु दर में बढ़ोतरी हो सकती है. इस स्टडी में अमेरिका के लगभग 19,000 लोगों के खानपान की आदतों और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का एनालिसिस किया गया था.
शोधकर्ताओं की मानें तो रिसर्च के दौरान जिन लोगों ने रोज 8 घंटे से कम समय में भोजन किया, उनमें हार्ट डिजीज से मौत का खतरा 135% ज्यादा पाया गया. जबकि 12 से 14 घंटे की सामान्य अवधि में भोजन करने वाले लोगों में यह खतरा काफी कम था. हालांकि स्टडी में यह भी कहा गया है कि इस खतरे का कारण केवल कम समय में खाना है या इसके पीछे अन्य कारक भी हैं, यह स्पष्ट नहीं है. फोर्टिस सी-डॉक के चेयरमैन और जर्नल के एडिटोरियल हेड डॉ. अनूप मिश्रा ने TOI को बताया कि जो लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं, वे फास्टिंग खत्म होने पर अक्सर कुछ भी खा लेते हैं, जिसमें जंक फूड भी शामिल होता है. इसका नतीजा यह होता है कि उनका एलडीएल (LDL) यानी खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है, जो हार्ट डिजीज और मौत का एक बड़ा जोखिम बन जाता है. इसलिए इस डाइट को अपनाने से पहले सभी रिस्क फैक्टर्स का इवैलुएशन करना जरूरी है.

डॉक्टर के अनुसार जब तक इंटरमिटेंट फास्टिंग पर लॉन्ग टर्म इफेक्ट पर पुख्ता डाटा नहीं आ जाता, तब तक इस फास्टिंग को बहुत सावधानी से अपनाना चाहिए. खासकर जिन लोगों को पहले से कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, उन्हें यह डाइट डॉक्टर की निगरानी में ही अपनानी चाहिए. इसके अलावा यह केवल कुछ हफ्तों या महीनों के लिए अपनाई जानी चाहिए, न कि हमेशा के लिए. इंटरमिटेंट फास्टिंग या अत्यधिक डाइटिंग से शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो सकती है. इससे न केवल शरीर में कमजोरी आती है, बल्कि मैग्नीशियम की कमी के चलते दिल की धड़कनों में अनियमितता (Arrhythmia) और अचानक कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) जैसी कंडीशन भी पैदा हो सकती हैं. लंबे समय तक ऐसा करना शरीर में सूजन बढ़ सकती है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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इंटरमिटेंट फास्टिंग से बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा? नई रिसर्च में खुलासा

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