वामन जयंती गुरुवार, 4 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की 12वीं तिथि को वामन जयंती का पर्व मनाया जाता है. इसे वामन द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इसी तिथि में भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. यह भगवान विष्णु का पांचवा अवतार है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करने से समस्त बुरे कर्मों का नाश होता है और पुण्य फल में वृद्धि होती है. भगवान विष्णु ने धर्म और सृष्टि की रक्षा के लिए कई अवतार लिए, जिसमें वामन अवतार भी एक हैं. विष्णुजी के इस अवतार का विस्तृत वर्णन श्रीमद् भागवत पुराण और विष्णु पुराण में भी मिलता है. आइए जानते हैं आखिर भगवान विष्णु को यह अवतार क्यों लेना पड़ा.
- वामन जयंती तिथि- गुरुवार, 4 सितंबर 2025
- द्वादशी तिथि प्रारंभ- 4 सितंबर, सुबह 4 बजकर 20 मिनट से
- द्वादशी तिथि समाप्त- 5 सितंबर, सुबह 4 बजकर 10 मिनट तक
भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा वामन अवतार?
- शास्त्र और पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि, भगवान विष्णु के वामन अवतार का उद्देश्य राक्षस बलि की बढ़ती शक्तियों को नियंत्रित करके देवताओं को इंद्रलोक वापिस कराना और धर्म का पुनर्स्थापन करना था. इसके संदर्भ में कथा भी प्रचलित है.
- भगवान विष्णु ने देवों की रक्षा के लिए वामन रूप लिया. इस रूप में भगवान ने एक बौने ब्राह्मण का रूप धरा और अपनी माया से उन्होंने बलि से भिक्षा में तीन पग भूमि मांगी.
- वामन अवतार में श्रीहरि ने पहले पग में पूरी पृथ्वी, दूसरे पग में स्वर्ग नाप लिए जब तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तो बलि ने अपना सिर अर्पण कर दिया.
- इस प्रकार भगवान का यह अवतार और उनकी माया न्याय, धर्म और संविदा के संरक्षण को भी दर्शाती है.
वामन जयंती पर क्या करते हैं
वामन जयंती के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. कई लोग इस दिन फलाहार या सात्विक उपवास भी रखते हैं. इस दिन पशुओं को अन्न और दही खिलाना शुभ माना जाता है. विष्णु जी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए भक्त पूजा पाठ के साथ ही मंत्रों का जाप और विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ भी करते हैं.
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