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Harsingar Health Benefits: हरसिंगार को नाइट क्वीन भी कहा जाता है. यह एक औषधीय पौधा है जो नसों और जोड़ों के दर्द में राहत देता है. आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार के अनुसार, इसके पत्तों में पाए जाने वाले रसायन सूजन घटाने और ब्लड सर्कुलेशन सुधारने में सहायक होते हैं. खासतौर पर सायटिका रोग में हरसिंगार और निर्गुण्डी के पत्तों का काढ़ा पीने से दर्द और सूजन में कमी आती है.

जो मानव शरीर के लिए काफी अधिक फायदेमंद होते हैं. ऐसा ही एक औषधीय पौधा है हरसिंगार. इसे नाइट क्वीन भी कहा जाता है. इसके फूल छोटे, सफेद और बीच में हल्के नारंगी रंग के होते हैं. बरसात के मौसम में इसकी खूबसूरती और और भी अधिक बढ़ जाती है. सुंदरता के साथ-साथ यह पौधा सेहत का खजाना भी है. खासकर इसके पत्तों में कई औषधीय गुण मौजूद हैं.

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि हरसिंगार को आयुर्वेद में कई गंभीर बीमारियों में उपयोगी माना गया है. यह खासतौर पर नसों और जोड़ों से जुड़ी समस्याओं में कारगर है. जिन लोगों को लगातार दर्द या सूजन रहती है, उनके लिए हरसिंगार प्राकृतिक दवा की तरह काम कर सकता है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार, यह सायटिका नामक बीमारी जिसमें कमर से लेकर पैरों तक नसों में तेज दर्द होता है और चलना-फिरना तो मुश्किल होता ही है. साथ ही कई बार खड़े रहना भी कठिन हो जाता है. हरसिंगार सायटिका के दर्द में बेहद असरदार है. इसे सही तरीके से उपयोग करने पर नसों का दबाव कम होता है और दर्द से राहत मिलती है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि हरसिंगार के पत्तों में इरिडॉइड ग्लाइकोसाइड्स, फ्लेवोनॉइड और अल्कलॉइड्स जैसे रसायन पाए जाते हैं. ये तत्व नसों की सूजन घटाने, ब्लड सर्कुलेशन सुधारने और दर्द नियंत्रित करने में सहायक होते हैं. यही कारण है कि इसके पत्ते औषधि के रूप में बेहद उपयोगी माने जाते हैं.

आयुर्वेदिक डॉक्टर अनुसार, हरसिंगार और निर्गुण्डी के पत्तों को मिलाकर काढ़ा तैयार किया जाए, तो यह सायटिका में राहत देता है. इसके लिए दोनों पौधों के 50-50 पत्ते लेकर एक लीटर पानी में डालें और उबालें. जब पानी 750 मि.ली. रह जाए, तो उसे छानकर उसमें 1 ग्राम केसर मिला दें. यह औषधीय पानी तैयार हो जाता है.

इस काढ़े को रोजाना सुबह और शाम लगभग 150 मि.ली. की मात्रा में पीना चाहिए. इसे साफ बोतल में भर लें. लगातार सेवन से दर्द और सूजन में कमी आती है. इसे सायटिका और नसों की अन्य बीमारियों के लिए बेहद फायदेमंद मानते हैं. सुबह-शाम इनका सेवन करने से फायदा और जल्दी मिलता है.