एम्स के कैंसर अस्पताल डॉ. बीआरएआईआरसीएच (DRBRAIRCH) में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की प्रोफेसर और हेड डॉ. सुमन भास्कर बताती हैं कि भारत में पहले नंबर पर ब्रेस्ट कैंसर है जो आमतौर पर मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग की महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है.वहीं दूसरे नंबर पर मौजूद सर्वाइकल कैंसर निम्न मध्यम वर्ग या निम्न सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि वाली महिलाओं की बीमारी बन गया है.जहां हाईजीन को लेकर लापरवाही एक बड़ी समस्या है.
अस्पताल में आने वाले मरीजों से बातचीत में पता चलता है कि बहुत सारी लड़कियां और महिलाएं अपनी समस्याएं अपने घरवालों को ही खुलकर नहीं बता पाती हैं.जैसे अगर उनको डिस्चार्ज हो रहा है या असामान्य ब्लीडिंग हो रही है तो वे इसे तब तक छिपाए रखती हैं, जब तक कि स्थिति गंभीर न हो जाए. महिलाएं वैवाहिक संबध के बाद अगर हाईजीन पर ध्यान नहीं देती हैं तो भी संक्रमण की चपेट में आ जाती हैं. देखा गया है कि अस्पतालों में सर्वाइकल कैंसर की मरीज लगभग आखिरी स्टेज में आती हैं.लिहाजा उस समय उनके इलाज का प्रोसेस न केवल काफी लंबा हो जाता है बल्कि काफी क्रिटिकल भी हो जाता है.
. पीरियड्स के दौरान पैड्स, टैंपून्स या मैन्स्ट्रुअल कप्स को हर 4-6 घंटे में बदलें.
. सेनिटरी प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के बाद हाथों को पानी और साबुन से अच्छे से साफ करें.
. पैरिनियल एरिया को पानी से अच्छे से साफ करें और सुखाएं.
. पीरियड्स् में कपड़ों के बजाय पैड्स इस्तेमाल करें.
. शारीरिक संबंध के बाद साफ-सफाई का ध्यान रखें.
. रोजाना भी अपने जेनिटल एरिया की सफाई करते रहें.
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डॉ. सुमन कहती हैं कि जो बीमारी जल्दी डायग्नोस होने के बाद पूरी तरह ठीक हो सकती है, वह देरी से डायग्नोस होने के कारण गंभीर हो जाती है और इस वजह से कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है.जबकि सर्वाइकल कैंसर का 100 फीसदी सफल इलाज भारत में मौजूद है.अगर समय से मरीज डॉक्टर के पास पहुंच जाए और उसकी बीमारी का पता चल जाए तो इस कैंसर को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है.इसलिए अगर आपको कोई लक्षण दिखाई देता है तो बिना देर किए घरवालों से खुलकर बताएं और डॉक्टरी परामर्श लें.
. किसी भी तरह का डिस्चार्ज
. शारीरिक संबंध के दौरान या बाद में ब्लीडिंग और दर्द
. मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग
. पेल्विक पेन
डॉ. सुमन कहती हैं कि भारत में सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है. सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि 9 साल के बाद छोटी बच्चियों को भी एचपीवी वैक्सीन लगवानी चाहिए. महिलाओं की सुरक्षा में ये एक अहम कदम है.