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Ujjain News: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में रोजाना लाखों श्रद्धालु आते हैं. सावन मास में यह संख्या और अधिक बढ़ जाती है. जो भी भक्त महाकाल के दरबार आता है, वो दान करना नहीं भूलता. सावन मास में भक्तों के दान का आंकड़ा भी सामने आ गया है.
बाबा महाकाल के दर पर भक्त अलग-अलग मनोकामनाओं के साथ आते हैं और बाबा अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते. मान्यताओं के अनुसार, इस दरबार में सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. यहां आने वाले भक्त मंदिर की दानपेटी में अपनी श्रद्धानुसार भेंट देते हैं.

उज्जैन के राजा बाबा महाकाल के दरबार में दुनियाभर के भक्त सालभर दिल खोलकर दान करते हैं लेकिन श्रावण मास में एक ओर जहां रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु मंदिर पहुंचे, तो वहीं उन्होंने महाकाल मंदिर का खजाना भी भर दिया.

भगवान शिव जी का प्रिय मास श्रावण इस साल 11 जुलाई से शुरू हुआ था, जिसका समापन 9 अगस्त को हुआ. इन 30 दिनों में करीब 85 लाख श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन किए. इस दौरान मंदिर को 27 करोड़ रुपये की आय हुई है.

श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने लोकल 18 से कहा कि श्रावण माह भगवान शिव का अति प्रिय माह है, इसलिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल मंदिर पहुंचते हैं. सावन मास में इस बार करीब 85 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए. इसमें नागपंचमी पर आए भक्त भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि इस दौरान दान पेटी, ऑनलाइन चेक और नकद के माध्यम से करीब पांच करोड़ रुपये का दान मंदिर को मिला. इसके साथ ही लड्डू प्रसादी, शीघ्र दर्शन सहित अन्य आय स्रोत से मंदिर को 22 करोड़ रुपये की आय हुई है. कुल मिलाकर यह आंकड़ा 27 करोड़ रुपये है.

महाकाल की नगरी उज्जैन में श्रद्धालुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. 2023 में 5.28 करोड़ लोग उज्जैन आए थे, वहीं 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 7.32 करोड़ पहुंच गया यानी एक साल में 39 फीसदी की बढ़ोतरी. पिछले दो साल में 12 करोड़ 32 लाख से ज्यादा श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को उज्जैन पहुंचे हैं.

श्री महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दर्शन व्यवस्था निशुल्क है लेकिन शीघ्र दर्शन करने वाले भक्तों से 250 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क लिया जाता है. जो श्रद्धालु भगवान महाकाल की प्रातःकाल होने वाली भस्म आरती में आना चाहते हैं, उन्हें 200 रुपये शुल्क देना पड़ता है.

समय-समय पर मंदिर के अधिकारी, पुजारी, पुरोहितों, मंदिर प्रबंध समिति सदस्यों और कर्मचारियों के माध्यम से भी भक्तों को मंदिर में दान करने हेतु प्रेरित किया जाता है. यही वजह है कि बाबा के दरबार में जो भी भक्त आता है, वो दान देना नहीं भूलता. इस दान से मंदिर की व्यवस्था, धर्मशाला, अन्न क्षेत्र, महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्था, गौशाला, पर्वों पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, महाकाल मंदिर विस्तारीकरण समेत मंदिर की सुरक्षा पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च होता है.
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