खान सर के अस्पताल में होगा दोनों किडनी फेल बच्चे का इलाज, जानें वजह

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Khan Sir Dialysis Centre Patna: मशहूर शिक्षक खान सर पटना में डायलिसिस सेंटर खोल रहे हैं, जिसका प्रेरणा स्रोत एक बच्चे की दर्दनाक कहानी है. उनके हेल्थ सेंटर में मरीजों को ‘गेस्ट’ कहा जाएगा और कम खर्च पर सेवा दी …और पढ़ें

खान सर के अस्पताल में होगा दोनों किडनी फेल बच्चे का इलाज, जानें वजहडायलिसिस मशीनों के साथ खान सर 
पटना: देशभर में अपने अनोखे अंदाज से पढ़ाने वाले मशहूर शिक्षक और युवाओं के आइकॉन खान सर अब एजुकेशन के बाद मेडिकल सेक्टर में भी कदम रख रहे हैं. इसकी शुरुआत वह डायलिसिस सेंटर से करेंगे. राजधानी पटना में पहला सेंटर तैयार है. मशीनें आ चुकी हैं और इंस्टॉलेशन का काम भी लगभग पूरा हो चुका है. जल्द ही ट्रायल के बाद इसकी औपचारिक शुरुआत होगी. खान सर का कहना है कि पटना के बाद बिहार के अलग-अलग जिलों में भी डायलिसिस सेंटर खोले जाएंगे.

बच्चे की तकलीफ से मिली प्रेरणा

खान सर ने अपने एक क्लास में बताया कि इस डायलिसिस सेंटर की शुरुआत के पीछे एक बच्चे की दर्दनाक कहानी जुड़ी है. करीब 12 से 13 साल का यह बच्चा खांसी से परेशान था. इलाज के दौरान स्थानीय डॉक्टरों ने उसे टीबी समझकर दवाइयां दे दीं. जबकि उसे टीबी नहीं थी. गलत दवाओं के हेवी डोज से उसकी किडनी फेल हो गई. अब उसे हमेशा डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. इसमें काफी खर्च भी आता है.अभी उस बच्चे का डायलिसिस किसी दूसरे अस्पताल में चल रहा है. खान सर की कोशिश है कि उनके डायलिसिस सेंटर की शुरुआत उसी बच्चे से हो.

डायलिसिस पर हर महीने 50 हजार तक का खर्च

खान सर ने बताया कि जिन मरीजों की किडनी फेल हो जाती है, उन्हें हफ्ते में तीन बार यानी महीने में 12 से 13 बार डायलिसिस कराना पड़ता है. प्राइवेट अस्पतालों में एक डायलिसिस कराने में 3 से 4 हजार रुपये खर्च होता है. इस तरह एक मरीज को हर महीने केवल डायलिसिस पर ही लगभग 50 हजार रुपये खर्च करना पड़ता है. गरीब और मिडिल क्लास परिवारों के लिए यह खर्च बहुत ज्यादा है. इसी वजह उन्होंने फैसला किया है कि कम खर्च पर हर जिले में डायलिसिस सेंटर की सुविधा दी जाएगी.

मरीज नहीं, गेस्ट कहलाएंगे

खान सर ने आगे कहा कि उनके अस्पताल या डायलिसिस सेंटर में किसी भी बीमार इंसान को मरीज, पेशेंट या केस के नाम से नहीं बुलाया जाएगा. उनकी नजर में वे सब ‘गेस्ट’ यानी मेहमान होंगे. उनका कहना है कि बीमार व्यक्ति पहले से ही दर्द और तकलीफ से गुजर रहा होता है. अगर उसे मरीज या पेशेंट कहकर पुकारा जाए तो उसका आत्मविश्वास और गिर जाता है. इसलिए मेरे सेंटर में सभी को गेस्ट कहा जाएगा.

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