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Khansi Ka Desi Ilaz: आमतौर पर खांसी के लिए लोग दवा या कफ सिरफ का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, खरगोन में लोग पान खाते हैं. जानें इसकी खासियत…
खरगोन के रहने वाले पान विक्रेता रवि कुमरावत 20 साल से इस खास पान को बना रहे हैं. इससे पहले उनके पिता सुरेश इसे तैयार करते थे. यहां अधिकतर पान विक्रेता इस पान को बनाकर खिलते है. रवि बताते हैं कि यह पान आम पान की तरह नहीं होता, बल्कि इसे खासतौर पर खांसी के इलाज के लिए तैयार किया जाता है. इसमें चूना, कत्था, पिपरमिंट, लौंग, पान के डंठल और सुपारी जैसी चीजें डाली जाती हैं. खास बात ये कि इसमें कोई मिठास नहीं होती और इसे जलाकर तैयार किया जाता है. यही कारण है कि यह पान खांसी में तुरंत असर करता है.
लोगों का कहना है कि जब खांसी लंबे समय तक नहीं छूटती और दवाइयों से भी आराम नहीं मिलता, तब वे इस पान को आजमाते हैं. कई मरीजों ने बताया कि रात को यह पान खाने के बाद सुबह उठते ही खांसी लगभग खत्म हो जाती है. यही वजह है कि यह पान सिर्फ खरगोन में ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों और कस्बों से भी लोकप्रिय हैं. कई लोग अपने बच्चों को भी खासी होने पर यही पान खिलाते है.
खाने का तरीका ओर कीमत
इस पान को बनाने का तरीका जितना खास है, उतना ही खाने का तरीका भी है. इसे दिन के किसी भी समय नहीं खाना चाहिए. रवि बताते हैं कि इसे केवल रात को सोने से पहले ही खाना ज्यादा लाभदायक होता है. पान खाने के बाद पानी या कोई और चीज नहीं खानी चाहिए. ऐसा करने से इसका असर तुरंत दिखता है और खांसी थोड़े ही समय में खत्म हो जाती है. यह पान महज 10 से 15 रुपए में मिलता है.
दवाई की जगह खाते है पान
बता दें, खरगोन में यह देसी नुस्खा लोगों के बीच आज भी काफी लोकप्रिय है. यहां तक कि कई लोग इसे अपनी आदत बना चुके हैं. उनका कहना है कि जब भी खांसी होती है, दवा पर पैसा खर्च करने की जगह वे सीधे दुकान पर जाकर यह पान खाते हैं. यह सस्ता, आसान और असरदार इलाज है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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