कैसे एक तेल मिल को अजीम प्रेमजी ने बना दिया 2.8 लाख करोड़ की कंपनी?

नई दिल्‍ली. दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो के संस्‍थापक अजीम प्रेमजी का आज जन्‍म दिन है. उनका जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में एक गुजराती मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनकी गिनती न केवल दुनिया के अरबपतियों में होती है बल्कि उनका नाम बड़े दानवीरों में भी शामिल है. उनकी नेटवर्थ फोर्ब्‍स के अनुसार, ₹10.115 लाख करोड़ है. वे अब तक ₹1.275 लाख करोड़ (15 अरब डॉलर) दान कर चुके हैं. अजीम प्रेमजी का परिवार व्‍यापार से लंबे समय से जुड़ा हुआ है. उनके दादा का चावल का कारोबार था. उनके पिता मोहम्मद हुसैन प्रेमजी ने भी पिता के कारोबार को आगे बढ़ाया. चावल के व्‍यापार में घाटा होने पर मोहम्‍मद हुसैन प्रेमजी के पिता ने एक तेल मिल खोली. यह खाद्य तेल और वनस्पति घी का उत्पादन करती थी.

अजीम प्रेमजी ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री शुरू की, लेकिन 1966 में अपने पिता की अचानक मृत्यु के कारण पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत लौट आए और पिता के कारोबार की कमान संभाली. उनकी कंपनी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोजक्ट लिमिटेड का कारोबार सही नहीं चल रहा था और उस पर काफी कर्ज था. अजीम प्रेमजी ने कंपनी की हालत सुधारने की कोशिशें शुरू कर दी.

आपातकाल के बाद मिली सफलता

अजीम प्रेमजी को कारोबारी सफलता देश में आपातकाल हटने के बाद मिली. दरअसल, 1977 में तत्कालीन मोरारजी देसाई की कैबिनेट में उद्योग मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने विदेशी कंपनियों को फेरा कानून का पालन करने को कहा. 1973 में पारित हुए इस कानून के तहत भारत में कारोबार करने के लिए विदेशी कंपनियों में बहुसंख्यक हिस्सेदारी भारतीय के पास होनी चाहिए थी या फिर कंपनी को तकनीक साझा करनी थी. कई कंपनियों ने इन कानूनों का पालन करने का फैसला लिया, लेकिन आईबीएम और कोका कोला ने देश छोड़ने का फैसला किया.

आईटी सेक्‍टर के भविष्‍य को पहले ही भांप गए प्रेमजी

अजीम प्रेमजी को आईटी सेक्टर में बड़ा अवसर दिखाई दिया और इस सेक्टर में कारोबार करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया. इसी दौरान वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोजक्ट लिमिटेड का नाम बदलकर विप्रो कर दिया गया. कंपनी ने शुरुआत में हार्डवेयर में काम करना शुरू किया, लेकिन वक्त के साथ कंपनी का सॉफ्टवेयर का कारोबार आगे निकल गया.

अब 100 देशों में फैला है विप्रो का कारोबार

मौजूदा समय में विप्रो का कारोबार 100 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है. कंपनी की मार्केट कैप करीब 2.80 लाख करोड़ रुपए है. वित्त वर्ष 25 में कंपनी ने 13,218 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था. 2019 में अजीम प्रेमजी ने विप्रो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया. उनके बेटे रिशद प्रेमजी ने उनकी जगह ली. विप्रो को बुलंदियों पर पहुंचाने में अजीम प्रेमजी का ही सबसे बड़ा हाथ है.

₹1.275 लाख करोड़ कर चुके दान

अजीम प्रेमजी का नाम देश के बड़े दानवीर लोगों में भी आता है. अब तक वह करीब 15 अरब डॉलर यानी ₹1.275 लाख करोड़ से ज्यादा की राशि दान कर चुके हैं. 2001 में अजीम प्रेमजी ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा परोपकार के लिए समर्पित किया और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की. यह फाउंडेशन मुख्य रूप से भारत में शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है.

2013 में, अजीम प्रेमजी भारत के पहले व्यक्ति बने, जिन्होंने बिल गेट्स और वॉरेन बफेट द्वारा शुरू किए गए “द गिविंग प्लेज” में शामिल होकर अपनी आधी से अधिक संपत्ति दान करने का वचन दिया.भारत सरकार ने उनके योगदान के लिए 2005 में पद्म भूषण और 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया.

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