Janmashtami: आज की जन्माष्टमी पर अगर ये भूल की, तो कृष्ण भी नहीं देंगे आशीर्वाद

Janmashtami 2025 Special: आज जन्माष्टमी 2025 पूरे भारत में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है. लाखों भक्त व्रत रखकर और मंदिरों में पूजा-अर्चना करके श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मना रहे हैं. लेकिन शास्त्रों में कहा गया है कि ‘राधा के बिना कृष्ण की पूजा अधूरी है’. यदि आप चाहते हैं कि इस जन्माष्टमी पर केवल श्रीकृष्ण ही नहीं बल्कि राधा रानी की कृपा भी प्राप्त हो, तो पूजा विधि में कुछ विशेष नियम और उपाय अपनाना आवश्यक है.

राधा के बिना अधूरी है कृष्ण पूजा

श्रीमद्भागवत महापुराण और पद्म पुराण में उल्लेख है कि राधा जी श्रीकृष्ण की आंतरिक शक्ति और भक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं. कृष्ण स्वयं कहते हैं कि –

‘राधा नाम बिना लागे नहीं श्याम’.

इसका अर्थ है कि जब तक कोई भक्त राधा का स्मरण नहीं करता, तब तक वह श्रीकृष्ण तक नहीं पहुँच सकता. यही कारण है कि जन्माष्टमी जैसे पावन पर्व पर यदि राधा-कृष्ण दोनों की संयुक्त आराधना की जाए, तो साधक को दोगुना आशीर्वाद प्राप्त होता है.

जन्माष्टमी 2025 पर राधा-कृष्ण की कृपा पाने के दिव्य उपाय

1. राधा नाम का स्मरण करें

पूजा आरंभ करने से पहले ‘राधे-राधे’ का जप करें. इस नाम का स्मरण मन को शुद्ध करता है और कृष्ण भक्ति की राह खोलता है.

2. पहला दीप राधा को, दूसरा दीप कृष्ण को

जन्माष्टमी की संध्या आरती में पहला दीप राधा जी के सामने जलाएँ और फिर कृष्ण को अर्पित करें. यह प्रतीक है कि राधा के माध्यम से ही कृष्ण तक पहुँचना संभव है.

3. भोग में संतुलन रखें

श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री, फल और पंचामृत प्रिय हैं.

राधा को गुलाब और खीर अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है.
यदि भक्त इन दोनों का संयुक्त भोग अर्पित करता है, तो पूजा पूर्ण फलदायी होती है.

4. युगल मंत्र का जाप करें

जन्माष्टमी पर इस मंत्र का जाप करना सर्वोत्तम है: ‘ॐ राधा कृष्णाय नमः’
इसे 108 बार जपने से दांपत्य जीवन में प्रेम, भक्ति में दृढ़ता और घर-परिवार में शांति आती है.

5. भजन-कीर्तन और रासलीला

जन्माष्टमी की रात को राधा-कृष्ण भजन गाना या रासलीला का दर्शन करना शुभ फल देता है. भक्तगण मानते हैं कि भक्ति का यह रूप स्वयं राधा-कृष्ण को आकर्षित करता है.

6. निष्काम सेवा और दान

जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है – गरीबों को भोजन कराना, बच्चों को मिठाई बाँटना और गौ-सेवा करना.

शास्त्रीय प्रमाण और महत्व

  • भागवत पुराण – राधा भक्ति को कृष्ण तक पहुँचने का सेतु मानता है.
  • ब्रह्मवैवर्त पुराण – राधा को कृष्ण की आत्मा कहा गया है.
  • गौड़ीय वैष्णव परंपरा – राधा जी को भक्ति की देवी माना गया है और हर मंत्र से पहले ‘राधे’ का नाम लिया जाता है.

राधा-कृष्ण कृपा से मिलने वाले फल

  • दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य
  • सांसारिक कष्टों से मुक्ति
  • भक्ति में दृढ़ता और मन की शांति
  • व्यापार और परिवार में उन्नति
  • जीवन में करुणा और प्रेम का वास

आधुनिक परिप्रेक्ष्य: क्यों जरूरी है राधा की कृपा?

आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग भक्ति को भी केवल कर्मकांड मान लेते हैं. लेकिन राधा जी की कृपा का अर्थ है प्रेम और त्याग का संतुलन.

कृष्ण बुद्धि और नीति के प्रतीक हैं.

राधा प्रेम और करुणा की अधिष्ठात्री हैं.

जब दोनों का संतुलन जीवन में आता है तो व्यक्ति न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रगति करता है.

FAQs

Q1. क्या जन्माष्टमी पर केवल कृष्ण की पूजा करने से लाभ मिलेगा?
हाँ, लाभ मिलेगा, लेकिन राधा की पूजा करने से आशीर्वाद दोगुना होता है.

Q2. कौन-सा मंत्र इस दिन सबसे प्रभावी है?
‘ॐ राधा कृष्णाय नमः’ – इसे 108 बार जपें.

Q3. क्या राधा-कृष्ण की कृपा सांसारिक जीवन में भी असर डालती है?
बिल्कुल, यह दांपत्य प्रेम, मानसिक शांति और भक्ति में स्थिरता देती है.

Q4. क्या दान-पुण्य से भी राधा-कृष्ण प्रसन्न होते हैं?
हाँ, विशेषकर गौ-सेवा और भूखों को भोजन कराना सर्वोत्तम उपाय है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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