सतना जेल से रिहा हुए 17 कैदी, 4 सगे भाइयों समेत कई बनकर निकले लखपति

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Satna News: 8 अगस्त 2012 को कोर्ट ने इन चारों भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. 13 साल बाद स्वतंत्रता दिवस पर चारों भाइयों को रिहा किया गया. जेल में रहते हुए इन्होंने अलग-अलग कार्यों से करीब तीन लाख रुपय…और पढ़ें

सतना. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश की विभिन्न जेलों से कई कैदियों को रिहाई मिली लेकिन सतना केंद्रीय जेल का नजारा कुछ अलग ही था. यहां 17 बंदी रिहा किए गए, जिनमें से कई लखपति बनकर जेल से बाहर निकले. खास बात यह रही कि इन 17 बंदियों में से चार सगे भाई एक साथ आजाद हुए और उनकी मेहनत की कमाई ने उन्हें लखपति बना दिया. सतना केंद्रीय जेल से रिहा हुए सगे भाई कृपाल यादव, भागवत यादव, गोपाल यादव और राजू यादव हैं, जो छतरपुर जिले के छुलहा पुरवा गांव के रहने वाले हैं. साल 2010 में अपने गांव में जमीनी विवाद के चलते टिकरी गांव के लोधी परिवार के तीन सदस्यों की हत्या के आरोप में इन्हें गिरफ्तार किया गया था.

8 अगस्त 2012 को अदालत ने इन चारों भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अब 13 साल बाद स्वतंत्रता दिवस 2025 पर ये चारों भाई रिहा हुए हैं. जेल में रहते हुए इन्होंने विभिन्न कार्य कर करीब तीन लाख रुपये की मेहनत की कमाई जमा की, जो अब उनकी नई जिंदगी की शुरुआत में मददगार होगी. इस मामले का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि इन चार भाइयों को इस बार रिहा किया गया जबकि उनके परिवार के चार अन्य भाइयों पिछले साल ही इसी मामले में रिहा किया गया था. एक ही परिवार के 8 भाई लोधी परिवार हत्याकांड के चलते वर्षों से जेल में बंद थे.

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मेहनत से बदली किस्मत
सिर्फ ये चारों भाई ही नहीं बल्कि अन्य दो बंदी भी लखपति बनकर बाहर निकले हैं. इनमें ददोली जोशी पिता राम सजीवन जोशी और राजेश मावसी पिता गलबतिया मावसी शामिल हैं. ददोली ने जेल में रहते हुए 1,13,186 रुपये कमाए जबकि राजेश ने 1,07,023 रुपये की राशि जमा की. जेल प्रशासन की नीति के तहत कैदियों को बढ़ईगिरी, बुनाई और उद्योग जैसे कार्यों के बदले पारिश्रमिक दिया जाता है. यह न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि रिहाई के बाद नई शुरुआत के लिए आर्थिक आधार भी देता है.

रिहा कैदियों को दी भगवत गीता
जेल अधीक्षक लीना कोष्टा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि इस बार 17 कैदियों को रिहा किया गया. इनमें से तीन कैदी खुली जेल के थे. जेल में मिलने वाले पारिश्रमिक से कई बंदियों ने एक लाख रुपये से ज्यादा की बचत की. जेल प्रशासन ने इन बंदियों को एक आम का पौधा, भगवत गीता और अन्य उपहार देकर विदा किया गया. इसका संदेश स्पष्ट था कि नई जिंदगी को सही दिशा में मोड़ने का मौका हर किसी को मिलना चाहिए.

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