Blood Pressure Control Tips: यदि आपको तला-भुना खाना अधिक पसंद है तो आदत बदलने में ही भलाई है. क्योंकि, हो सकता है कि कहीं आप भी हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) की श्रेणी में आ गए हों. जी हां, ब्लड प्रेशर की समस्या इन दिनों दुनिभर में तेजी से बढ़ रही है. एक समय में हाई बीपी को बुजुर्गों की बीमारी कहा जाता है, लेकिन अब सबसे ज्यादा युवा इसका शिकार हो रहे हैं. हाइपरटेंशन दबे पांव हमारे जीवन में जगह बना रहा है. इसी को लेकर अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने ब्लड प्रेशर प्रबंधन के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं.
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (ACC) के मुताबिक, अमेरिका में लगभग आधे वयस्क (46.7%) हाई बीपी की समस्या से पीड़ित हैं, और यह अब भी दुनियाभर में मृत्यु के लिए सबसे अधिक जोखिम है. ये नए दिशानिर्देश न बीपी को कंट्रोल में रखेगा, बल्कि जीवनशैली, विज्ञान और वास्तविक दुनिया के उपकरणों को भी मिलाता है.
बीपी कंट्रोल करने के नए दिशा-निर्देश
शराब छोड़ें: बिना दवा के ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए शराब छोड़ देना चाहिए. अगर नहीं छोड़ सकते तो पुरुष दिन में दो ड्रिंक और महिलाएं एक से अधिक ड्रिंक्स न लें. इसके अलावा, तंबाकू और कैफीन का सेवन भी कम करें. बता दें कि, ये पदार्थ रक्त वाहिकाओं को संकुचित करते हैं, जिससे बीपी बढ़ता है. धूम्रपान करने वालों में हाइपरटेंशन और हृदय रोगों का खतरा कई गुना अधिक होता है.
वजन कंट्रोल करें: बिना दवा के ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए वजन कंट्रोल करें. बता दें कि, शरीर का अधिक वजन होने से हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर खतरा बढ़ जाता है. वजन कम करने के लिए, अधिक व्यायाम करें, कैलोरी का सेवन कम करें और स्वस्थ आहार लें.
हेल्दी डाइट: हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने के लिए आहार का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है. डाइट में फलों, हरी सब्जियों, साबुत अनाज, ओट्स, लो-फैट डेयरी उत्पाद को शामिल करें. केला, टमाटर, पालक, बीन्स, और सूखे मेवे जैसे फूड्स पोटैशियम से भरपूर होते हैं, जो सोडियम के प्रभाव को कम करते हैं. तले-भुने, अधिक घी-तेल वाले, मीठे और प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज करें. हफ्ते में 1-2 बार उपवास या डिटॉक्स डाइट भी शरीर को साफ और स्वस्थ बनाए रखती है.
होम मॉनिटरिंग: केवल क्लिनिक रीडिंग्स पर भरोसा न करें. अपने बीपी के नंबरों को घर पर भी ट्रैक करें. यह आपकी मदद करता है, और यह आपके डॉक्टर को उपचार को व्यक्तिगत बनाने में मदद करता है.
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