क्या प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर हो सकता है? आखिर क्या है सच्चाई, जानकर होश उड़ जाएंगे

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Plastic Bottles and Cancer: प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. कुछ लोग प्लास्टिक की बोतल में पाए जाने वाले BPA जैसे रसायनों को लेकर कैंसर का दावा करते हैं, लेकिन यह म…और पढ़ें

क्या प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर हो सकता है? आखिर क्या है सच्चाईप्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर का रिस्क नहीं बढ़ता है.
Plastic Bottle and Cancer Risk: प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स अक्सर प्लास्टिक के बजाय कांच या स्टील की बोतल यूज करने की सलाह देते हैं. कई रिसर्च में पता चला है कि प्लास्टिक की बोतल से पानी पीने से माइक्रोप्लास्टिक शरीर में पहुंच सकती है, जिससे सेहत को नुकसान हो सकता है. आजकल इंटरनेट पर एक पॉडकास्ट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर हो सकता है. खासकर जब बोतल को गर्मी में कार में छोड़ दिया जाए या उसे बार-बार उपयोग किया जाए. इस तरह की बातें कई सालों से सोशल मीडिया पर चल रही हैं. अब सवाल है कि क्या वाकई प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर होने का खतरा है?

कैंसर रिसर्च UK और कैंसर काउंसिल ऑस्ट्रेलिया की रिपोर्ट्स बताती हैं कि अभी तक इसका कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने से कैंसर होता है. भले ही प्लास्टिक की बोलत में बिस्फेनॉल-ए यानी BPA जैसे केमिकल्स या अन्य प्लास्टिक कंपाउंड्स मिल जाते हैं, लेकिन ये बहुत कम मात्रा में पानी में मिल सकते हैं. यह मात्रा इतनी कम होती है कि उससे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है. यहां तक कि जब प्लास्टिक को गर्म किया जाए या फ्रीज किया जाए, तब भी कैंसर का कोई जोखिम नहीं पाया गया है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और वाल्टर रीड आर्मी मेडिकल सेंटर के हवाले से भी कैंसर को लेकर इस तरह की अफवाहें फैलाई गई थीं, लेकिन दोनों संस्थानों ने साफतौर पर इन दावों को खारिज किया है.
अब बात करते हैं कि BPA क्या होता है, जिसे अक्सर लोग कैंसर से जोड़ते हैं. दरअसल बिस्फेनॉल-ए यानी BPA एक केमिकल कंपाउंड है, जिसका उपयोग कई दशकों से प्लास्टिक बनाने में किया जाता रहा है. BPA मुख्य रूप से पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक और एपॉक्सी रेजिन के निर्माण में प्रयोग होता है, जिससे रोजमर्रा की चीजें जैसे- प्लास्टिक की बोतलें, फूड कंटेनर्स, बेबी बोतल, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के डब्बों की अंदरूनी कोटिंग और थर्मल पेपर तैयार किया जाता है.

BPA को एंडोक्राइन डिसरप्टर माना जाता है. आसान भाषा में कहें, तो यह शरीर के हार्मोन सिस्टम में हस्तक्षेप कर सकता है. यह एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन की नकल कर सकता है, जिससे शरीर के हार्मोनल संतुलन पर बुरा असर पड़ सकता है. कुछ अध्ययनों में यह सुझाव दिया गया है कि BPA का अत्यधिक संपर्क प्रजनन तंत्र को प्रभावित कर सकता है, भ्रूण विकास में हस्तक्षेप कर सकता है, हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है. इसके अलावा BPA का ज्यादा एक्सपोजर ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क बढ़ा सकता है, लेकिन इसके अभी तक ठोस सबूत नहीं मिले हैं. इस बारे में ज्यादा रिसर्च की जरूरत है.

अब सवाल है कि क्या प्लास्टिक की बोतलों में इस्तेमाल किया जाने वाला BPA सेहत के लिए सुरक्षित है? कई देशों की नियामक संस्थाओं जैसे- US FDA, EFSA और फूड स्टैंडर्ड्स ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड ने यह पाया है कि कम मात्रा में BPA का सेवन सुरक्षित है, क्योंकि शरीर इसे तेजी से बाहर निकाल देता है. प्लास्टिक की बोतल से BPA बेहद कम मात्रा में शरीर में जाता है, जिसे शरीर भी जल्दी तोड़कर पेशाब के जरिए बाहर निकाल देता है, जिससे इसके शरीर पर दुष्प्रभाव नहीं होते हैं. हालांकि फिर भी कई देशों में बेबी प्रोडक्ट्स समेत कुछ प्रोडक्ट्स में BPA को बैन कर दिया गया है, ताकि सेहत को कोई खतरा न रहे.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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क्या प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर हो सकता है? आखिर क्या है सच्चाई

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