फर्मेटेड फूड में सुपर पावर, गट हेल्थ लेकर बीपी, शुगर तक पर लगाम, रिसर्च में बड़ा दावा

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Fermented Foods Benefits: एक अध्ययन में पाया गया है कि फर्मेटेड फूड के कई फायदे हैं लेकिन यह अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग तरह से फायदा पहुंचाता है. फर्मेटेड फूड से जो पेप्टाइड बनता है वह गट हेल्थ के लिए फायदेमंद हो…और पढ़ें

फर्मेटेड फूड में सुपर पावर, गट हेल्थ लेकर बीपी, शुगर तक पर लगाम
Fermented Foods Benefits: भारत सरकार के एक हालिया बयान के मुताबिक फर्मेंटेड यानी किण्वित फूड पर हुए एक नए अध्ययन ने यह साफ किया है कि इनमें पाए जाने वाले बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (Bioactive Peptides) अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग असर डालते हैं. यह जानकारी गुवाहाटी स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (IASST) के वैज्ञानिकों की रिसर्च से मिली है. इस रिसर्च का प्रमुख उद्देश्य पारंपरिक फर्मेटेड भोजन के फायदों को समझना था. फर्मेटेशन का मतलब होता है कि भोजन में मौजूद कार्बोहाइड्रैट को बैक्टीरिया एसिड, गैस और अल्कोहल आदि में बदल देता है. वर्तमान अध्ययन के मुताबिक भोजन का फर्मेंटेशन होने पर यह बायोएक्टिव पेप्टाइड्स में बदलता है. अध्ययन में इसी के फायदों का विश्लेषण किया गया है.

क्या हैं बायोएक्टिव पेप्टाइड्स
बायोएक्टिव पेप्टाइड्स छोटे प्रोटीन के टुकड़े होते हैं, जिनमें दो से बीस अमीनो एसिड होते हैं. ये आमतौर पर दूध, दही, इडली, मिसो, नट्टो, किमची, और फर्मेंटेड मछली जैसे खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं. खाना जब फर्मेंट होता है यानी उसमें बैक्टीरिया या यीस्ट की मदद से रसायनिक परिवर्तन होते हैं, तब ये पेप्टाइड्स बनते हैं. रिसर्च से पता चला कि इन पेप्टाइड्स का असर हर व्यक्ति पर एक जैसा नहीं होता. इसकी कई वजहें हो सकती हैं. जैसे हर व्यक्ति का जीन या आनुवंशिकता अलग होती है. आंतों के बैक्टीरिया (गट माइक्रोबायोटा) की संरचना हर किसी में अलग होती है. लोगों की रोजमर्रा की खाने-पीने की आदतें अलग-अलग होती हैं.स्वास्थ्य की स्थिति भी अलग हो सकती है. इन सभी कारणों से किसी व्यक्ति के शरीर पर इन फर्मेंटेड फूड्स का असर अलग तरह का हो सकता है.

सेहत के लिए कैसे फायदेमंद हैं
अध्ययन में पाया गया कि ये बायोएक्टिव पेप्टाइड्स ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, इम्यूनिटी और सूजन को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं. फर्मेंटेशन के दौरान बनने वाले छोटे पेप्टाइड्स शरीर में जैव-अणुओं के साथ इलेक्ट्रोस्टैटिक बलों, हाइड्रोजन बॉन्डिंग और हाइड्रोफोबिक इंटरैक्शन के जरिए सक्रिय होकर काम करते हैं. इनसे कई तरह के फायदे मिल सकते हैं. इससे इंफेक्शन यानी रोगाणुओं से से बचाव हो सकता है, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है, शरीर के सेल्स को ऑक्सीडेंट्स से बचाव हो सकता है और इम्यूनिटी मजबूत हो सकती है.

भारत के लिए क्यों अहम है यह रिसर्च
भारत विविधताओं से भरा देश है. यहां लोगों के खानपान, संस्कृति और जीन तक सभी अलग-अलग हैं. मंत्रालय ने बताया कि इस रिसर्च से अब खास तौर पर भारतीय आबादी के लिए व्यक्तिगत पोषण रणनीति बनाई जा सकती है. यानी हर व्यक्ति या किसी खास समूह की ज़रूरत के मुताबिक फूड और सप्लीमेंट चुने जा सकते हैं.

आगे क्या किया जा सकता है?
शोधकर्ताओं का मानना है कि पारंपरिक फर्मेटेड फूड्स जैसे दही, इडली, मिसो आदि को भारत के जनस्वास्थ्य कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए. वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ओमिक्स-आधारित रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए. ओमिक्स रिसर्च से मतलब है जीन, प्रोटीन और माइक्रोबायोटा जैसी चीजों का गहराई से अध्ययन. अगर इस तरह की रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए तो भारत व्यक्तिगत पोषण के क्षेत्र में दुनिया में नेतृत्व कर सकता है. इससे लोगों को उनकी सेहत के मुताबिक खास तरह का पोषण मिल सकेगा.

LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें

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