1. केले के छिलके- पोटैशियम और कैल्शियम का खजाना
केले के छिलकों में पोटैशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ये तत्व पौधों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं और नई पत्तियों के विकास में मदद करते हैं.
छिलकों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर सीधे मिट्टी में दबा दें या फिर छिलकों को पानी में दो-तीन दिन भिगोकर रखें और फिर उस पानी को पौधों में डाल दें. यह तरीका फूलों और फल देने वाले पौधों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है.
2. इस्तेमाल की हुई चायपत्ती- मिट्टी में ऑर्गेनिक ताकत
उबली हुई चायपत्ती पौधों के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक खाद है. इसमें मौजूद ऑर्गेनिक मैटर मिट्टी की बनावट को सुधारता है जबकि इसका हल्का एसिडिक तत्व खासकर गुलाब जैसे फूलों वाले पौधों के लिए फायदेमंद होता है.
चायपत्ती को अच्छी तरह धोकर सुखा लें ताकि दूध और चीनी का अंश न रह जाए.
सूखी चायपत्ती को सीधे मिट्टी में मिलाएं या कंपोस्ट के साथ डालें. यह पौधों की मिट्टी में नमी बनाए रखने और पोषण देने में मदद करती है.
3. अंडे के छिलके- कैल्शियम से भरपूर खाद
अंडे के छिलकों में मौजूद कैल्शियम पौधों को मजबूती देता है और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारता है. यह खासकर टमाटर और मिर्च जैसे पौधों में कैल्शियम की कमी से होने वाली समस्याओं को दूर करता है.
छिलकों को धोकर धूप में सुखा लें. इन्हें बारीक पीसकर मिट्टी में मिलाएं या गमले की सतह पर फैला दें. यह तरीका मिट्टी के pH संतुलन को भी बेहतर बनाता है.
4. सब्जियों के छिलके- मिनरल्स और फाइबर का स्रोत
सब्जियों के छिलकों में कई तरह के मिनरल्स, विटामिन और फाइबर होते हैं, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं.
छिलकों को कंपोस्ट पिट या डिब्बे में डालकर खाद तैयार करें. चाहें तो ताजे छिलकों को थोड़ी मात्रा में गमले की मिट्टी में दबा सकते हैं लेकिन ध्यान रखें कि इनमें सड़ा-गला हिस्सा न हो. यह तरीका लंबे समय तक पौधों को लगातार पोषण देता है.
5. चावल का पानी- स्टार्च से भरा पौधों का एनर्जी ड्रिंक
चावल धोने या उबालने के बाद जो पानी बचता है, वह स्टार्च और मिनरल्स से भरपूर होता है. यह पौधों की जड़ों को पोषण देता है और नई कोपलों के विकास में मदद करता है.
चावल का पानी ठंडा करके पौधों में डालें. ध्यान रखें कि इसमें नमक या मसाले न मिलें, वरना पौधों को नुकसान हो सकता है.
क्यों अपनाएं ये नेचुरल तरीके?
सस्ते और आसान: ये चीजें आपके घर में रोजाना निकलती हैं और इन्हें फेंकने की बजाय उपयोग किया जा सकता है.
केमिकल फ्री: इनमें किसी तरह का हानिकारक रसायन नहीं होता, जिससे पौधे और मिट्टी दोनों सुरक्षित रहते हैं.
पर्यावरण के अनुकूल: घरेलू कचरे का पुनः उपयोग करके आप पर्यावरण प्रदूषण कम करने में योगदान देते हैं.
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