डाइटिंग की जरूरत नहीं, हर रसोई में मिलने वाला ये मसाला वरदान, गला डालेगा पेट की चर्बी

बलिया. बदलती जीवनशैली में शरीर तेजी से रोगों के चपेट में आ रहा है. इन हालातों में खुद को मेंटेन रखना बड़ी चुनौती है. बच्चे, जवान और बुजुर्ग डॉक्टरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं. ऐसे में हमारी रसोई में आसानी से मिलने वाले कुछ साधारण मसाले रामबाण साबित हो सकते हैं. काली मिर्च इन्हीं में से एक है. ये देखने में भले ही छोटी हो लेकिन असर बड़ा करती है. आयुर्वेद में काली मिर्च को औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है. राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की सात अनुभवी (MD और पीएचडी इन मेडिसिन) चिकित्साधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह कहती हैं कि काली मिर्च का नियमित सेवन करने से शरीर अंदर से मजबूत और कई तरह की बीमारियां दूर रहता है. इसके एक नहीं, बल्कि अनेक फायदे हैं.

पाचन तंत्र

काली मिर्च में पिपेरिन नामक लाभकारी यौगिक पाया जाता है, जो पाचन एंजाइमों के स्राव को उत्तेजित कर भोजन को पचाने में मदद करता है. यह गैस, सूजन और कब्ज आदि समस्याओं से छुटकारा दिलाता है.

वेट लॉस

अगर आप वजन घटाने का प्रयास रहे हैं, तो काली मिर्च आपके लिए संजीवनी है. यह वसा कोशिकाओं के निर्माण को रोककर शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है, जिससे मोटापा कम होता है.

सर्दी-जुकाम

बरसात के मौसम में संक्रमण वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. खांसी, जुकाम और गले की खराश से बचने के लिए दादी नानी काली मिर्च का उपयोग सदियों से करती आ रही हैं.

घातक रोग

काली मिर्च एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है, जिसके कारण यह हृदय रोग और कैंसर के खतरे को भी कम कर सकता है. काली मिर्च में न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो मस्तिष्क के कार्य को बेहतर बनाते हैं. यह यादाश्त, एकाग्रता को शानदार बनाती है. तिल के तेल में काली मिर्च को पकाकर लगाने से दर्द में काफी राहत मिलती है.

सेवन का तरीका और सावधानी

काली मिर्च का उपयोग सब्जी, सूप, करी, काढ़ा और चाय के रूप में किया जा सकता है. सुबह खाली पेट शहद और काली मिर्च का मिश्रण गुणकारी माना जाता है. हालांकि अत्यधिक सेवन से पेट में जलन हो सकती है. किन्हीं परिस्थितियों में ये हानिकारक भी हो सकती है, इसलिए आयुर्वेद एक्सपर्ट से सलाह लेकर ही सेवन करें.

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