Agri Tips: सोयाबीन पर छेदक मक्खी का कहर, लाखों एकड़ की फसल पर संकट, एक्सपर्ट ने बता दिया उपाय

Farming Tips: खंडवा निमाड़ अंचल और आसपास के जिलों में इस समय सोयाबीन की फसल पर एक नए कीट का प्रकोप किसानों की चिंता बढ़ा रहा है. इस कीट को स्थानीय भाषा में छेदक मक्खी (Stem Fly) कहा जा रहा है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, यह हमला मुख्य रूप से उन किस्मों में देखा जा रहा है जो पुरानी वैरायटी की हैं. साथ ही, पिछले आठ-दस साल से लगातार बोई जा रही हैं. खंडवा जिले के बड़े हिस्से में लाखों एकड़ में बोई गई, इस वैरायटी की फसल पर असर देखा जा रहा है. कई जगह पौधे पीले पड़ने लगे हैं और तनों में छेद दिखाई दे रहे हैं.

तना कमजोर, पैदावार पर असर
इस विषय पर खंडवा के कृषि विशेषज्ञ नवनीत रेवा पाटी बताते हैं, सोयाबीन की पुरानी सरकारी वैरायटी में यह छेदक मक्खी का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है. यह समस्या तब ज्यादा गंभीर हो जाती है, जब किसान फसल में समय पर कीट नियंत्रण का छिड़काव नहीं करते. यह कीट पौधे के तनों के भीतर सुरंग बनाकर रस चूसता है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है. पैदावार पर सीधा असर पड़ता है.

जानें बचाव के उपाय
कृषि एक्सपर्ट नवनीत रेवा पाटी ने बताया, “किसान को चाहिए कि वे फसल 20 दिन की होने से पहले ही इसका पहला ट्रीटमेंट करें. इससे प्रकोप को काफी हद तक रोका जा सकता है. बाजार में कई प्रभावी मॉलिक्यूल उपलब्ध हैं. इन दवाओं की लागत अधिक नहीं है. यदि सही समय व मात्रा में छिड़काव किया जाए तो बेहतर परिणाम मिलते हैं.

1. थायमेथोक्साम+ लैम्डा साइलोथ्रीन का कॉम्बिनेशन: 80 मिली प्रति एकड़ की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें.
2. बीटा साइलोथ्रीन+ इमीडाक्लोप्रिड का कॉम्बिनेशन: यह भी प्रभावी है और विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
3. यदि उसी समय खेत में सेमी लूपर या टोबैको कैटरपिलर जैसे अन्य कीट का प्रकोप भी दिखे, तो किसान 100 ग्राम प्रति एकड़ इमामेक्टिन भी मिला सकते हैं.

सही डोज और समय पर छिड़काव जरूरी
विशेषज्ञ के अनुसार, कई बार किसान कम या ज्यादा मात्रा में दवा का इस्तेमाल कर देते हैं, जिससे कीट नियंत्रण प्रभावी नहीं हो पाता. इसलिए पैकेट पर लिखे निर्देश, कृषि वैज्ञानिकों या कृषि विभाग द्वारा बताए गए डोज़ का पालन करना जरूरी है. कृषि विज्ञान केंद्र, भगवत राव मंडलोई कृषि महाविद्यालय, खंडवा के वैज्ञानिक भी समय-समय पर वीडियो और सलाह जारी करते हैं. किसान इन स्रोतों से जुड़कर फसल की सुरक्षा के लिए अपडेट रह सकते हैं.

नमी और मौसम का असर
छेदक मक्खी का प्रकोप खासतौर पर तब बढ़ता है, जब मौसम में नमी अधिक हो और तापमान मध्यम रहे. ऐसे में खेतों का नियमित निरीक्षण करना और शुरुआती लक्षण दिखते ही कार्रवाई करना, नुकसान को 80-90% तक कम कर सकता है.

किसान भाइयों के लिए सलाह
– पुरानी वैरायटी की जगह समय-समय पर नई और प्रमाणित बीज किस्म अपनाएं.
– फसल के शुरुआती 15-20 दिन कीट नियंत्रण के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण होते हैं.
– खेत की निगरानी हर 3-4 दिन में करें.
– कीटनाशक का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, जब हवा कम हो.
– छिड़काव के दौरान सुरक्षा उपाय अपनाएं.
– विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर की गई रोकथाम ही इस समस्या का सबसे बड़ा समाधान है. छेदक मक्खी भले ही नई चुनौती हो, लेकिन जागरूक किसान और सही तकनीक के साथ इसका प्रभावी नियंत्रण संभव है.

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