स्विगी से खाना मंगाना अब और महंगा हुआ: कंपनी ने 17% प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाई, अब ₹12 की जगह ₹14 चार्ज लगेगा

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नई दिल्ली24 मिनट पहले

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ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी से खाना मंगाना अब थोड़ा और महंगा हो गया है। कंपनी ने अपनी प्लेटफॉर्म फीस में 2 रुपए यानी करीब 17% का इजाफा किया है। अब स्विगी के कस्टमर्स को हर ऑर्डर पर 14 रुपए प्लेटफॉर्म फीस देनी होगी।

पहले यह फीस 12 रुपए थी। कंपनी ने यह कदम फेस्टिव सीजन में बढ़ते ऑर्डरों के बीच अपनी प्रति ऑर्डर मुनाफे को बेहतर करने और फाइनेंशियल कंडीशन को मजबूत करने के लिए उठाया है।

स्विगी ने 2023 में प्लेटफॉर्म फीस शुरू की थी

स्विगी ने अप्रैल 2023 में सबसे पहले प्लेटफॉर्म फीस शुरू की थी, ताकि कंपनी अपने यूनिट इकोनॉमिक्स को बेहतर कर सके। तब से कंपनी ने धीरे-धीरे इस फीस को कई बार बढ़ाया है। क्योंकि, इससे कंपनी के ऑर्डर की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ा है। शुरुआत में यह फीस मात्र 2 रुपए थी। कंपनी ने पिछले साल न्यू-ईयर पर यह फीस 12 रुपए कर दी थी।

वित्त वर्ष-26 की अप्रैल-जून तिमाही में स्विगी का नेट लॉस 96% बढ़कर 1,197 करोड़ रुपए रहा।

वित्त वर्ष-26 की अप्रैल-जून तिमाही में स्विगी का नेट लॉस 96% बढ़कर 1,197 करोड़ रुपए रहा।

सालाना ₹33.6 करोड़ की एडिशनल इनकम होगी

हालांकि, 2 रुपए की बढ़ोतरी ग्राहकों के लिए छोटी हो सकती है। लेकिन स्विगी के लिए यह बड़ा बदलाव है। कंपनी हर दिन 20 लाख से ज्यादा ऑर्डर डिलीवर करती है। इस हिसाब से 14 रुपए की प्लेटफॉर्म फीस से कंपनी को प्रतिदिन 2.8 करोड़ रुपए, हर तिमाही 8.4 करोड़ रुपए और सालाना 33.6 करोड़ रुपए की एडिशनल इनकम होगी।

स्विगी और जोमैटो दोनों ने पहले भी हाई डिमांड वाले दिनों में ज्यादा प्लेटफॉर्म फीस की टेस्टिंग की है। अगर इससे ऑर्डर की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ता, तो कंपनियां नए फीस स्ट्रक्चर को बनाए रखती हैं। हालांकि, स्विगी भविष्य में नॉन-फेस्टिव सीजन में इस फीस को वापस 12 रुपए कर सकती है।

यह कदम स्विगी के लिए अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। क्योंकि, कंपनी क्विक कॉमर्स और फूड डिलीवरी में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है।

स्विगी का नेट लॉस 96% बढ़कर ₹1,197 करोड़ हुआ

स्विगी ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब कंपनी के नुकसान में बढ़ोतरी हुई है। 31 जुलाई को स्विगी ने बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में उसका नेट लॉस यानी शुद्ध घाटा 96% बढ़कर 1,197 करोड़ रुपए हो गया, जो पिछले साल की समान तिमाही में 611 करोड़ रुपए था। यह नुकसान मुख्य रूप से स्विगी की क्विक कॉमर्स यूनिट इंस्टामार्ट में बढ़ते निवेश के कारण हुआ है।

हालांकि, कंपनी के ऑपरेशन से रेवेन्यू में 54% की ग्रोथ हुई और यह 3,222 करोड़ रुपए से बढ़कर 4,961 करोड़ रुपए हो गई। पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 4,410 करोड़ रुपए था। दूसरी ओर स्विगी की कॉम्पिटिटर कंपनी जोमैटो ने भी पहली तिमाही में 90% की भारी गिरावट के साथ 25 करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया, जबकि कंपनी की आय 70.4% बढ़कर 7,167 करोड़ रुपए हो गई।

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