16 अगस्त को जन्माष्टमी: जानिए श्रीकृष्ण की सरल पूजा विधि और जन्माष्टमी पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं

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2 घंटे पहले

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कल, 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। जन्म के समय अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में चंद्रमा था।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल का अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अभिषेक के लिए दक्षिणावर्ती शंख का इस्तेमाल करना चाहिए।

अभिषेक और पूजा की सरल विधि

  • बाल गोपाल के अभिषेक के लिए केसर मिश्रित दूध का प्रयोग करें। केसर मिलाने से दूध केसरिया रंग का हो जाएगा।
  • पूजा में कच्चे दूध का इस्तेमाल करें। श्रीकृष्ण के साथ यशोदा मैया, बलराम, राधा, गौ माता और गोवर्धन पर्वत की भी पूजा करें। ये सभी श्रीकृष्ण से जुड़े हुए हैं, भगवान इनसे अलग नहीं हैं।
  • भगवान को भोग में माखन-मिश्री और मौसमी फल अर्पित करें। पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल जरूर करें।
  • यदि संभव हो तो इस दिन यमुना नदी में स्नान करें। यदि नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर स्नान करते समय पानी में यमुना जल या गंगाजल मिलाएं और गंगा-यमुना का ध्यान करते हुए स्नान करें।
  • ऐसा करने से भी घर पर ही नदी स्नान का पुण्य मिल सकता है।

भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की भी करें पूजा

  • इस दिन भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की भी पूजा करें। दक्षिणावर्ती शंख का इस्तेमाल विष्णु-लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
  • शंख को देवी लक्ष्मी का भाई कहा गया है, क्योंकि ये दोनों समुद्र से उत्पन्न हुए हैं। शंख में दूध भरकर भगवान का अभिषेक करें।
  • भगवान को पीले, चमकीले वस्त्र पहनाएं। चंदन से तिलक, मोरपंख, मुकुट, और हार-फूल से श्रृंगार करें। माखन-मिश्री, मिठाई, और तुलसी के साथ भोग अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
  • पूजा में कृं कृष्णाय नमः, “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। इसके लिए तुलसी की माला का उपयोग करें।
  • इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता, गीता सार, और हरिवंश पुराण का पाठ करें। भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं को पढ़ें और सुनें।

शिवलिंग पर लगाएं चंदन का लेप

जन्माष्टमी पर भगवान शिव का भी विशेष पूजन करना चाहिए। शिवलिंग पर दूध व जल चढ़ाएं। शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं।

बिल्वपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, और गुलाब से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं, मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं। ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जप करें।

जन्माष्टमी पर धन, अन्न, जूते-चप्पल, वस्त्र, छाता आदि का दान करना पुण्यकारी होता है। विशेष रूप से किसी गोशाला में धन और अनाज का दान अवश्य करें। गायों को हरी घास खिलाएं।

शनिवार को तेल से करें शनिदेव का अभिषेक

  • इस बार जन्माष्टमी शनिवार को है। इसलिए इस दिन शनिदेव का भी विशेष पूजन करना चाहिए। सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें।
  • शनिदेव को नीले फूल चढ़ाएं। काले तिल, काले वस्त्र, काली उड़द अर्पित करें। ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें। जरूरतमंद लोगों को तेल का दान करें।
  • शनिवार को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। आप चाहें तो ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।

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