MP News: रीवा जिले के जवा में एक विशेष अदालत ने एक राजस्व निरीक्षक को रिश्वत लेने के आरोप में तीन साल के कठोर कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने का भुगतान न करने पर आरोपी को अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह फैसला उन सरकारी अधिकारियों के लिए एक कड़ी चेतावनी है, जो जनता से उनके काम के बदले में रिश्वत की मांग करते हैं।
By Mohan Kumar
Publish Date: Thu, 14 Aug 2025 05:59:05 PM (IST)
Updated Date: Thu, 14 Aug 2025 05:59:05 PM (IST)
HighLights
- लोकायुक्त की टीम ने राजस्व निरीक्षक को रंगे हाथ पकड़ा
- राजस्व निरीक्षक को रिश्वत लेने के आरोप में तीन साल की सजा
- जुर्माने का भुगतान न करने पर भुगतनी होगी अतिरिक्त सजा
नईदुनिया प्रतिनिधि,रीवा। भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसले में रीवा जिले के जवा में एक विशेष अदालत ने एक राजस्व निरीक्षक को रिश्वत लेने के आरोप में तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में आरोपी राजस्व निरीक्षक राम शिरोमणि तिवारी को 5,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया था। विशेष अदालत ने गवाहों के मुकर जाने के बावजूद अभियोजन पक्ष की दलीलों और सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया और सजा सुनाई। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासन की सख्त नीति का एक स्पष्ट संदेश है।
यह मामला 2019 का है, जब गंगासागर पांडेय नामक व्यक्ति ने लोकायुक्त कार्यालय में एक शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि राजस्व निरीक्षक राम शिरोमणि तिवारी, उसकी और उसके भाइयों की जमीन का सीमांकन करने के लिए 5,000 रुपये की रिश्वत की मांग कर रहे थे। गंगासागर पांडेय ने लोकायुक्त पुलिस को बताया कि तिवारी बिना रिश्वत के काम करने को तैयार नहीं थे। लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए इसे सत्यापित किया और आरोपी को पकड़ने के लिए एक सुनियोजित जाल बिछाया।
टीम ने राजस्व निरीक्षक को रंगे हाथों पकड़ा
गत 13 जून 2019 को लोकायुक्त की टीम ने जवा स्थित राम शिरोमणि तिवारी के आवास पर छापा मारा और उन्हें शिकायतकर्ता से 5,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। लोकायुक्त पुलिस ने तुरंत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी। जांच के बाद मामले को विशेष अदालत में पेश किया गया। विशेष न्यायाधीश डॉ. अंजलि पारे की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व विशेष लोक अभियोजक आलोक श्रीवास्तव ने किया।
सुनवाई के दौरान एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब शिकायतकर्ता गंगासागर पांडेय अपने बयान से मुकर गया और उसने अभियोजन पक्ष के दावे का समर्थन नहीं किया। आमतौर पर, ऐसे मामलों में जब शिकायतकर्ता पक्ष बदल लेता है, तो आरोपी को लाभ मिल जाता है। हालांकि, इस मामले में अभियोजन पक्ष ने मजबूत तर्क और पूर्व दृष्टांतों को प्रस्तुत करते हुए यह साबित किया कि गवाह के मुकरने के बावजूद आरोपी दोषी है। विशेष लोक अभियोजक आलोक श्रीवास्तव ने अदालत में बताया कि लोकायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई और रिश्वत लेते समय पकड़े जाने के सबूत स्पष्ट रूप से आरोपी के अपराध को दर्शाते हैं।
कोर्ट ने तीन साल की कैद और जुर्माने की सजा
अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए पाया कि आरोपी राम शिरोमणि तिवारी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और रिश्वत ली थी। अदालत ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और उसे तीन साल के कठोर कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने का भुगतान न करने पर आरोपी को अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह फैसला उन सरकारी अधिकारियों के लिए एक कड़ी चेतावनी है, जो जनता से उनके काम के बदले में रिश्वत की मांग करते हैं। यह फैसला दिखाता है कि न्यायपालिका भ्रष्टाचार के मामलों को कितनी गंभीरता से लेती है, भले ही गवाह बाद में पीछे हट जाएं।
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