शेल्टर होम्स में एक कुत्ते पर कितना आएगा खर्च? IVA एक्सपर्ट ने बताया

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Stray Dogs: द‍िल्‍ली की सड़कों पर आवारा घूमते डॉग्‍स को अब शेल्‍टर होम्‍स में रखा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद द‍िल्‍ली सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है, हालांक‍ि दिल्‍ली सरकार को इन डॉग्‍स की देखभाल के ल…और पढ़ें

शेल्टर होम्स में एक कुत्ते पर कितना आएगा खर्च? IVA एक्सपर्ट ने बतायाशेल्‍टर होम्‍स में एक डॉग को रखने में कितना आएगा खर्च, जानें..
How much money to be spent on keeping Stray dogs in shelter homes: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम्स में रखने का आदेश दिया है. दिल्ली सरकार को दो महीने के अंदर इस काम को अंजाम देना है. इसके लिए देसी कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई भी शुरू हो गई है. हालांकि सभी स्ट्रे डॉग्स को शेल्टर होम्स में रखना जितना आसान लग रहा है, उतना है नहीं. इन डॉग्स के लिए शेल्टर होम्स बनने से लेकर उनके रखरखाव के लिए काफी लंबा-चौड़ा इंतजाम करना होगा. इतना ही नहीं अभी तक लावारिस घूमने वाले इन जानवरों को पर्याप्त भोजन भी देना होगा. इसके लिए मोटे बजट की जरूरत पड़ेगी.

यहां जानना दिलचस्प है कि एक इंडी या देसी डॉग को शेल्‍टर होम में रखने में आखिर कितने रुपये का खर्च आ सकता है.साथ ही कौन सी बेसिक सुविधाएं हैं जो किसी भी बेजुवान जानवर के लिए इन होम्‍स में होनी चाहिए. आइए इंडियन वेटरिनरी एसोसिएशन के महासचिव डॉ. विमल कुमार चौधरी से जानते हैं.

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डॉ. चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश ठीक है. यहां सिर्फ दिल्ली की बात करें तो स्ट्रे डॉग्स दो तरह से लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं. पहला तो काटकर या रेबीज जैसी घातक बीमारी फैलाकर और दूसरा डॉग बाइट के पैनिक के चलते होने वाले एक्सीडेंट. बहुत सारे लोग कुत्तों के काटने के डर से भागते हैं और चोट खा जाते हैं. डॉ. विमल कहते हैं कि देसी कुत्ते गांव-देहातों में अलग तरह से काम करते हैं, ये इकोसिस्टम को बनाए रखने का काम करते हैं, लेकिन दिल्ली जैसे शहरी इलाकों में ऐसा नहीं है. ऐसे में अगर इन्हें शेल्टर होम्स में रखा जाता है तो यह इनके लिए भी बेहतर होगा. हालांकि वहां इनकी पर्याप्त देखभाल और मैनेजमेंट होना चाहिए.

एक डॉग पर कितना आ सकता है खर्च ?
डॉ. विमल बताते हैं कि शेल्टर होम्स में डॉग्स को रखते वक्त उस पर आने वाला खर्च इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसे शाकाहारी डाइट दी जा रही है या उसे नॉन वेज या अंडा आदि भी दिया जा रहा है. हालांकि सड़कों पर पलने वाले देसी डॉग्स को किसी खास प्रकार के खाने की आदत नहीं होती, ऐसे में बेहतर है कि इन्हें शाकाहारी भोजन ही दिया जाए और हफ्ते में एक या दो दिन अंडे दिए जाएं.

अगर किसी डॉग को चावल, रोटी, थोड़ा दूध आदि शाकाहारी डाइट दी जाती है तो एक अनुमान के मुताबिक उस पर करीब 40 रुपये रोजाना का खर्च आएगा. ऐसे में महीने में उसके खाने पर करीब 1200 रुपये खर्च होंगे. ऐसे में अगर एक शेल्टर होम में 100 डॉग्स भी रखे जाते हैं तो उनके खान-पान पर ही हर महीने एक लाख 20 हजार रुपये का खर्च आएगा.

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डॉ. विमल कहते हैं कि जब डॉग्स को शेल्टर होम्स में रखा जाएगा तो पूरी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की होगी. उन शेल्टर होम्स की देखभाल के लिए भी स्टाफ को नियुक्त किया जाएगा. साथ ही कुत्तों के स्टेरलाइजेशन से लेकर उनकी प्रॉपर मॉनिटरिंग के लिए वेटरिनरी एक्सपर्ट्स को भी रखना होगा. इनमें से कोई भी कुत्ता अन्य कुत्तों में रेबीज फैलाने का वाहक न बने इसके लिए जरूरी है कि पहले इन्हें क्वेरेंटाइन किया जाए. इन्हें पहचानने के लिए इनकी टैगिंग की जाए. मेल और फीमेल डॉग्स को अलग रखा जाए.इन कुत्तों को सिर्फ शेल्टर होम्स में बंद रखने के बजाय इन्हें ट्रेंड करने के लिए कोई ट्रेनर रखा जाए, ताकि इन्हें किसी एक्टिविटी में इंगेज किया जा सके. इसके अलावा अगर कोई डॉग को अडॉप्ट करना चाहता है तो उसके लिए भी एक पॉलिसी होनी चाहिए.

प्रिया गौतमSenior Correspondent

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस…और पढ़ें

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस… और पढ़ें

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