5 चीजें कैंसर कोशिकाओं को भूखों मार देती है, डाइट में करेंगे शामिल तो इस बीमारी से बचे रहने का चांस

Last Updated:

5 Vegetables Starve Cancer Cells: कैंसर आज की दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी है.विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, इसके बावजूद हम इसका मुकम्मल इलाज इजाद नहीं कर पाए. इसमें कोई शक नहीं कि कैंसर की पहचान अगर थोड़ी सी पहले हो जाए तो इसका इलाज हो जाता है लेकिन पूरी तरह इलाज नहीं है. इसलिए इससे परहेज करना ज्यादा बेहतर है. दरअसल, कैंसर कोशिकाएं हमारे शरीर में हमेशा मौजूद रहती है लेकिन हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इसे मारती रहती है. इसके लिए हमें कुदरती भोजन करने की जरूरत है. अगर आप ऐसा भोजन करेंगे तो कैंसर कोशिकाएं पनपने से पहले भूखी होकर मर जाएगी. आइए ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में जानते हैं.

ब्रोकली- ब्रोकली या फूलगोभी क्रूसीफेरस परिवार में शामिल है. इसमें अन्य सब्जियां हैं- पत्ता गोभी और ब्रसल्स स्प्राउट्स. ब्रोकली में मौजूद सल्फोराफेन नामक कंपाउड शरीर में सुरक्षात्मक एंजाइम को सक्रिय करता है और कैंसर पैदा करने वाले रसायनों को बाहर निकालने में मदद करता है. शरीर के भीतर यह सल्फोराफेन कैंसर स्टेम सेल को समाप्त करता है. यही स्टेम सेल कैंसर कोशिकाओं या ट्यूमर को बढ़ाने में योगदान देते हैं. इसलिए नियमित रूप से ब्रोकली खाने से शरीर अपने प्राकृतिक सुरक्षात्मक तंत्र के माध्यम से स्तन, प्रोस्टेट, फेफड़े और कोलन के कैंसर से लड़ने में मदद करता है. ब्रोकली में फाइबर, विटामिन सी और विटामिन के जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो सेहत को बनाए रखने में सहायक होते हैं. भोजन में ब्रोकली का उपयोग सूजन को कम करने में मदद करता है, जो कैंसर के विकास का एक प्रमुख कारण है.

टमाटर-टमाटर में मौजूद लाइकोपीन इस सब्जी का प्रमुख कैंसर रोधी गुण है. लाइकोपीन की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता कोशिकाओं की रक्षा करती है और अन्य प्रकार के कैंसर के साथ-साथ प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी कम करती है. टमाटर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट विटामिन सी, सी और ई फ्री रेडिकल्स भी हटाते हैं. फ्री रेडिकल्स अस्थिर अणु हैं और कैंसर बनने का कारण बन सकते हैं. टमाटर को पका देने से टमाटर में लाइकोपीन की उपलब्धता बढ़ जाती है, इसलिए सॉस, सूप और यहां तक कि नियमित सब्ज़ियों में इनका उपयोगउत्कृष्ट है. इनके जल-संतुलन और पोषक तत्व त्वचा की सेहत को सुरक्षित रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी मदद करते हैं.

टमाटर-टमाटर में मौजूद लाइकोपीन इस सब्जी का प्रमुख कैंसर रोधी गुण है. लाइकोपीन की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता कोशिकाओं की रक्षा करती है और अन्य प्रकार के कैंसर के साथ-साथ प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी कम करती है. टमाटर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट विटामिन सी, सी और ई फ्री रेडिकल्स भी हटाते हैं. फ्री रेडिकल्स अस्थिर अणु हैं और कैंसर बनने का कारण बन सकते हैं. टमाटर को पका देने से टमाटर में लाइकोपीन की उपलब्धता बढ़ जाती है, इसलिए सॉस, सूप और यहां तक कि नियमित सब्ज़ियों में इनका उपयोगउत्कृष्ट है. इनके जल-संतुलन और पोषक तत्व त्वचा की सेहत को सुरक्षित रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी मदद करते हैं.

केल-केल में पाए जाने वाले कैंसर-रोधी यौगिकों में विटामिन सी और के के साथ-साथ फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व शामिल हैं. केल में मौजूद इंडोल-3-कारबिनॉल नामक पदार्थ डीएनए की मरम्मत में सहायता करता है और टॉक्सिक केमिकल के डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है. ठीक वैसे ही जैसे ब्रोकोली में होता है. शोध से पता चलता है कि इस सब्जी का सेवन प्रोस्टेट, कोलन, फेफड़ों और स्तन कैंसर के विकास की संभावना को कम करता है. केल का तीखा स्वाद और ठोस बनावट इसे सलाद बनाने, स्मूदी में मिलाने और सूप में पकाने के लिए उपयुक्त बनाता है. केल कैल्शियम और आयरन का उत्कृष्ट स्रोत है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और ऊर्जा प्रदान करता है. केल का नियमित सेवन से पाचन भी मजबूत होता है.

केल-केल में पाए जाने वाले कैंसर-रोधी यौगिकों में विटामिन सी और के के साथ-साथ फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व शामिल हैं. केल में मौजूद इंडोल-3-कारबिनॉल नामक पदार्थ डीएनए की मरम्मत में सहायता करता है और टॉक्सिक केमिकल के डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है. ठीक वैसे ही जैसे ब्रोकोली में होता है. शोध से पता चलता है कि इस सब्जी का सेवन प्रोस्टेट, कोलन, फेफड़ों और स्तन कैंसर के विकास की संभावना को कम करता है. केल का तीखा स्वाद और ठोस बनावट इसे सलाद बनाने, स्मूदी में मिलाने और सूप में पकाने के लिए उपयुक्त बनाता है. केल कैल्शियम और आयरन का उत्कृष्ट स्रोत है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और ऊर्जा प्रदान करता है. केल का नियमित सेवन से पाचन भी मजबूत होता है.

गाजर-गाजर में पाया जाने वाला पिगमेंट बीटा-कैरोटीन शरीर में बदलकर विटामिन ए बनाने में मदद करता है. बीटा-कैरोटीन की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता कोशिकाओं को नुकसान से बचाती है और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करती है. गाजर में मौजूद प्राकृतिक कीटनाशक फालकारिनॉल, गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक साबित हुआ है. जब आप गाजर को नियमित रूप से कच्चा या पका हुआ खाते हैं, तो आपके शरीर में ये सुरक्षात्मक यौगिक अधिक मात्रा में पहुंचते हैं. गाजर दो तरह से स्य लाभ देती है, इसमें मौजूद आहार फाइबर पाचन में मदद करता है और आंतों की सेहत को सुधारता है.

गाजर-गाजर में पाया जाने वाला पिगमेंट बीटा-कैरोटीन शरीर में बदलकर विटामिन ए बनाने में मदद करता है. बीटा-कैरोटीन की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता कोशिकाओं को नुकसान से बचाती है और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करती है. गाजर में मौजूद प्राकृतिक कीटनाशक फालकारिनॉल, गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक साबित हुआ है. जब आप गाजर को नियमित रूप से कच्चा या पका हुआ खाते हैं, तो आपके शरीर में ये सुरक्षात्मक यौगिक अधिक मात्रा में पहुंचते हैं. गाजर दो तरह से स्य लाभ देती है, इसमें मौजूद आहार फाइबर पाचन में मदद करता है और आंतों की सेहत को सुधारता है.

पालक-पालक में कैरोटिनॉइड्स ल्यूटिन और ज़ीएक्सैंथिन के साथ-साथ विटामिन ए, सी और फोलेट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह पत्तेदार हरी सब्जी इन पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और डीएनए को नुकसान से बचाकर कैंसर बनने की संभावना को कम करते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि पालक का सेवन करने से मुंह, फेफड़ों, अग्न्याशय और पेट के कैंसर का खतरा कम हो जाता है. पालक का बहुउपयोगी स्वभाव इसे सलाद, ऑमलेट, स्मूदी और पके हुए व्यंजनों में आसानी से शामिल करने योग्य बनाता है. पालक में मौजूद मैग्नीशियम मांसपेशियों और नसों के सही कार्य के लिए जरूरी है. इस सब्जी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स लंबे समय से बनी सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो कैंसर बनने का एक कारण है.

पालक-पालक में कैरोटिनॉइड्स ल्यूटिन और ज़ीएक्सैंथिन के साथ-साथ विटामिन ए, सी और फोलेट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह पत्तेदार हरी सब्जी इन पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और डीएनए को नुकसान से बचाकर कैंसर बनने की संभावना को कम करते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि पालक का सेवन करने से मुंह, फेफड़ों, अग्न्याशय और पेट के कैंसर का खतरा कम हो जाता है. पालक का बहुउपयोगी स्वभाव इसे सलाद, ऑमलेट, स्मूदी और पके हुए व्यंजनों में आसानी से शामिल करने योग्य बनाता है. पालक में मौजूद मैग्नीशियम मांसपेशियों और नसों के सही कार्य के लिए जरूरी है. इस सब्जी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स लंबे समय से बनी सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो कैंसर बनने का एक कारण है.

एक्सरसाइज-आप डाइट कितनी भी अच्छी ले लें, जब तक आप नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करेंगे किसी बीमारी का खतरा कम नहीं होगा. शरीर में हरकत करने से बरकत होती है. इसलिए रोजाना एक्सरसाइज भी कैंसर से बचने का प्रमुख तरीका है.

एक्सरसाइज-आप डाइट कितनी भी अच्छी ले लें, जब तक आप नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करेंगे किसी बीमारी का खतरा कम नहीं होगा. शरीर में हरकत करने से बरकत होती है. इसलिए रोजाना एक्सरसाइज भी कैंसर से बचने का प्रमुख तरीका है.

homelifestyle

5 चीजें कैंसर कोशिकाओं को भूखों मार देती है, डाइट में करेंगे शामिल तो…

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *