लोकायुक्त टीम ने मंगलवार को बाल संप्रेक्षण गृह अधीक्षक हरजिंदर सिंह अरोरा को महिला रसोइया से 4 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा। आरोप है कि अरोरा महिला रसोइया ज्योति पाल से 12 हजार रुपए वेतन में से हर माह 2 हजार रुपए घूस लेता था।
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धमकियों और लगातार पैसों की मांग से परेशान होकर ज्योति और उसकी बेटी ने लोकायुक्त में शिकायत की थी। लोकायुक्त अधिकारियों ने घटना का प्रतिवेदन तैयार कर इंदौर से महिला एवं बाल विकास विभाग को भेजा है।
विभाग ने प्रतिवेदन से पहले ही कार्रवाई की फाइल भेजी प्रतिवेदन मिलने से पहले ही महिला एवं बाल विकास विभाग ने कलेक्टर के जरिए कार्रवाई की फाइल भोपाल संचालनालय भेज दी। डीपीओ रत्ना शर्मा ने बताया, “अरोरा जैसे अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जो विभाग का नाम खराब कर रहे थे।” कलेक्टर ने फाइल पर हस्ताक्षर कर भोपाल भेज दी है, जहां से निलंबन या अटैचमेंट का आदेश जारी होगा।
गिरफ्तारी के अगले दिन गृह पहुंचा और चाबी सौंपी बुधवार सुबह अरोरा बाल संप्रेक्षण गृह पहुंचा और भंडार गृह व अलमारियों की चाबियां प्रभारी कर्मचारी को सौंप दीं। करीब 10 मिनट बाद वह अपनी कार लेकर चला गया। कर्मचारियों के अनुसार भंडार गृह का काम पहले एक महिला कर्मचारी के पास था, लेकिन अरोरा ने दबाव डालकर चाबी अपने पास रख ली थी।
पहले भी रिश्वत के आरोप में हो चुका है सस्पेंड अरोरा की महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से सांठगांठ बताई जाती है। पहले भी वह एक महिला अधिकारी के साथ 25 लाख की रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित हुआ था, लेकिन बाद में दोनों बहाल हो गए। कर्मचारियों के मुताबिक अरोरा उन्हीं अधिकारियों का नाम लेकर जिले के अफसरों को धमकाता था और कलेक्टर कार्यालय के एक बाबू के साथ मिलकर विभाग की महिला अधिकारी को साइडलाइन कर खुद पद पाने की कोशिश कर रहा था।
छोटे कर्मचारियों और बच्चों से भी वसूलता था पैसा लोकायुक्त अधिकारियों ने बताया कि अरोरा ने पूछताछ में माना कि उसका मासिक वेतन 84 हजार रुपए है, फिर भी वह छोटे कर्मचारियों से और बाल संप्रेक्षण गृह में बच्चों को छोड़ने के नाम पर 500-500 रुपए वसूलता था। पीड़िता ज्योति पाल का कहना है कि अरोरा बच्चों के खाने-पीने की वस्तुओं से भी पैसा निकाल लेता था और कहता था, “मेरी ऊपर तक पकड़ है, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”
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